यूपी बोर्ड ने 31 जुलाई को 10वीं और 12वीं कक्षा के परिणाम घोषित कर दिए हैं, और इन नतीजों से जहाँ एक तरफ कुछ छात्र-छात्राओं के चेहरों पर मुस्कान देखने को मिली, वहीँ ज़्यादातर चेहरे मुरझाए हुए दिखे। छात्रों का कहना है कि ये नतीजे और भी बेहतर हो सकते थे अगर परीक्षा लेकर रिजल्ट घोषित किया जाता। इन लोगों की मानें तो अभी जो बच्चे पढ़ने में अच्छे थे और जिन्होंने मेहनत करी थी उनके नंबर कम आए हैं ।
कोरोना के चलते पिछले 2 साल से ये बच्चे ऑनलाइन ही पढ़ाई कर रहे थे लेकिन ऑनलाइन पढ़ाई में न ही ये लोग कुछ सीख पा रहे और न ही ढंग से पढ़ाई पूरी कर पा रहे हैं। ऐसे में ये बच्चे अपने भविष्य को लेकर भी काफी चिंता में हैं। इन बच्चों का कहना है कि दसवीं और बारहवीं बोर्ड के इम्तेहान को बच्चों के भविष्य की नींव माना जाता था लेकिन इस तरह के नंबर पाकर और बिना एग्जाम के रिजल्ट घोषित करके सरकार इन बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है।
डायमंड इंटर कॉलेज के प्रधानाध्यापक का कहना है कि यूपी बोर्ड ने किस आधार पर ये परिणाम घोषित किए हैं यह उन्हें भी नहीं पता, लेकिन आगे बोर्ड को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि अगर बच्चों के भविष्य को सवांरना है, तो ज़रूरी है कि सुचारू रूप से ही परीक्षाएं कराई जाएं और फिर परिणाम घोषित किया जाए।
फ़िलहाल अगर छात्र अपने परिणाम से नाखुश हैं तो उन्हें यह सुविधा दी गई है कि वो एक ऑनलाइन फॉर्म भर कर दोबारा चेकिंग के लिए शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
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