मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने “इलेक्ट्रिक बसों और ई-ऑटो” यानी आस्था रथ को हरी झंडी दिखाई।
रिपोर्ट – संगीता, लेखन – कुमकुम
अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा से पहले शहर के सार्वजनिक परिवहन को साफ-सुथरा और आधुनिक बनाने के लिए कदम उठाए गए हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने “इलेक्ट्रिक बसों और ई-ऑटो” यानी आस्था रथ को हरी झंडी दिखाई। दर्शन के लिए आए लोगों की सुविधा के लिए अयोध्या विकास प्राधिकरण ने “गोल्फ कार्ट” सेवाएं भी शुरू कर दी हैं।
अयोध्या राम मंदिर के तीन किलोमीटर रेंज में यह सुविधा है, जैसे टेढ़ी बाजार से लेकर राममंदिर, हनुमान गढ़ी, लता मंगेशकर नया घाट, राजघाट, चौक नया घाट तक यह सेवा चलती है। सुबह से लेकर शाम लगभग दस बजे तक यह सुविधा मिलती है। प्रत्येक व्यक्ति पर एक तरफ का किराया 20 रुपए किया गया है।
अयोध्या के रहने वाले आस्था रथ के ड्राइवर रविन्द्र कुमार और राहुल बताते हैं कि अब लगभग डेढ़ सौ आस्था रथ चल रहे हैं। हमें काम मिलने से खुशी है। अपने घर और परिवार के पास रहकर 12 हजार रुपए वेतन के साथ पीएफ और ईएसआई भी मिलता है जिससे खर्च निकालना आसान हो जाता है।
ई-रिक्शा चालकों का रोजगार ठप
आस्था रथ सेवा शुरू होने से अयोध्या में दर्शन करने वाले लोगों को सुविधा तो मिली है लेकिन अयोध्या के ई-रिक्शा चालक परेशान हैं। पहले ये लोग अपनी ई-रिक्शा चलाकर 25-30 हजार रुपए महीने कमा लेते थे लेकिन अब उनका काम बहुत कम हो गया है। अगर उन्हें आस्था रथ में काम भी मिलता है तो सिर्फ 10 हजार रुपए महीने ही मिलते हैं जो महंगाई में बहुत कम हैं।
ई-रिक्शा चालकों का कहना है कि राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के बाद उन्हें लगा था कि उनका रोजगार बढ़ेगा लेकिन नई व्यवस्था से उनकी जिंदगी पर काफी प्रभाव पड़ा उनका रोजगार ठप सा हो गया है सरकार कहती है कि रोजगार दिया गया, लेकिन असल में हमारा रोजगार छिन गया ।
अयोध्या में आस्था रथ से स्थानीय युवाओं को मिला रोजगार
अयोध्या विकास प्राधिकरण के प्रोग्राम मैनेजर गगन बताते हैं कि यह सुविधा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के समय अयोध्या वासियों के लिए दी गई थी। अयोध्या के भीतर लता चौक से टेढ़ी बाजार तक लगभग 3 किलोमीटर में भारी भीड़ होने के कारण बड़ी गाड़ियों से जाम लग जाता था। इसलिए 165 आस्था इलेक्ट्रॉनिक ई-रिक्शा चलाने की अनुमति दी गई। सबसे खास बात यह है कि इन्हें चलाने के लिए आसपास के रहने वाले ही ड्राइवर चुने गए हैं।
इससे स्थानीय लोगों को अपने परिवार के साथ रहकर रोजगार का अवसर मिला है। लोग 20 रुपए में नया घाट से लेकर पूरे मंदिर परिसर का घूम सकते हैं। ड्राइविंग के लिए कोई भी व्यक्ति आवेदन कर सकता है, बशर्ते वह हाई स्कूल या इंटर तक पढ़ा लिखा हो, उसके पास ड्राइविंग लाइसेंस हो और वह स्थानीय निवासी हो। गाड़ी चलाने से पहले 15 दिन का प्रशिक्षण दिया जाता है। साथ ही पीएफ, ईएसआई और मेडिकल कार्ड भी बनवाया जाता है। 18 साल से अधिक उम्र का कोई भी व्यक्ति जब तक चाहे आवेदन सकता है।
भले सरकार की इस पहल से लोगों को सुविधा हुई हो लेकिन ई रिक्शा चालकों के जीवन की गाड़ी धीमी रफ़्तार से चलने लगी है। उन्हें चिंता इस बात की है कि ऐसे में वे कैसे अपने परिवार का खर्चा उठायेंगे?
यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’