खबर लहरिया ताजा खबरें Unemployment: देश में बेरोजगारी दर में वृद्धि, निर्यात में इजाफा आयात में उछाल 

Unemployment: देश में बेरोजगारी दर में वृद्धि, निर्यात में इजाफा आयात में उछाल 

सरकार द्वारा सोमवार को जारी किए गए ताजा आंकड़ों से यह सामने आया है कि मई 2025 में देश की बेरोजगारी दर बढ़कर 5.6 प्रतिशत हो गई है, जो अप्रैल में 5.1 प्रतिशत थी। इसका मतलब है कि काम ढूंढ रहे लोगों की संख्या में बढ़ोतरी हुआ है।

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सांकेतिक तस्वीर (फोटो साभार: सोशल मीडिया)

सुबह से शाम तक नौकरी की तलाश में भटकते रोजगार के तलाश में लोग, जो शिक्षित हैं और ग्रैजुएट भी, अब खुद से ही सवाल करते होंगे कि क्या पढ़ाई ही सब कुछ थी? ये कहानी सिर्फ किसी एक की नहीं, बल्कि आज भारत के लाखों युवाओं की है, जो डिग्रियां लेकर भी दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं।

हाल ही में जारी की गई राष्ट्रीय बेरोज़गारी रिपोर्ट ने इस चिंता को और गहरा कर दिया है। सरकार द्वारा सोमवार (16 जून) को जारी आंकड़ों से पता चला है कि इस साल मई में देश में बेरोजगारी दर पिछले महीने की तुलना में बढ़कर 5.6 प्रतिशत हो गई।

द वायर के रिपोर्ट के अनुसार और  समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान साप्ताहिक स्थिति (सीडब्ल्यूएस) में एकत्र किए गए ताजा आंकड़ों से संकेत मिलता है कि मई 2025 के दौरान सभी उम्र के व्यक्तियों में बेरोजगारी दर (यूआर) अप्रैल 2025 के 5.1 प्रतिशत से बढ़कर 5.6 प्रतिशत हो गई।

ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्र प्रभावित

वायर के रिपोर्ट के मुतबिक सिर्फ शहरों में ही नहीं, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी बेरोजगारी तेजी से बढ़ रही है। खेती पर निर्भर ग्रामीण भारत में अब मौसम, तकनीक और बाज़ार की मार ने काम के मौके कम कर दिए हैं। वहीं शहरी क्षेत्रों में कंपनियों की छंटनी और नई नौकरियों की कमी ने हालात को और बिगाड़ दिया है।

महिलाएं अधिक प्रभावित

आंकड़ों के अनुसार मई 2025 में महिलाओं की बेरोज़गारी दर 5.8 प्रतिशत दर्ज की गई, जबकि पुरुषों में यह दर 5.6 प्रतिशत रही। यानी महिलाओं के लिए नौकरी मिलना थोड़ा और मुश्किल होता दिख रहा है।

युवा वर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित

देश में 15 से 29 साल की उम्र वाले युवाओं में बेरोज़गारी की दर भी बढ़ी है। अप्रैल 2025 में यह दर 13.8 प्रतिशत थी, जो मई 2025 में 15 प्रतिशत तक पहुंच गई।

शहरी और ग्रामीण इलाकों की स्थिति

शहरी क्षेत्रों में भी बेरोजगारी अप्रैल 2025 में 17.2 प्रतिशत से बढ़कर मई में 17.9 प्रतिशत  हो गई और ग्रामीण क्षेत्रों में यह आंकड़ा मई 2025 में 13.7 प्रतिशत रहा, जो इस साल अप्रैल में 12.3 प्रतिशत था। 

काम की तलाश करने वालों की संख्या में गिरावट

आंकड़ों से यह भी पता लगा कि 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों के बीच श्रम बल भागीदारी दर (एलएफपीआर) मई में घटकर 54.8 प्रतिशत हो गई जो अप्रैल 2025 में 55.6 प्रतिशत थी।

व्यापार की स्थिति: निर्यात घटा, आयात बढ़ा

द हिंदू बिजनेस लाइन के अनुसार भारत का माल निर्यात (जैसे सामान भेजना) मई 2025 में 2.17 प्रतिशत कम होकर 38.73 अरब डॉलर रह गया। खासकर पेट्रोलियम, गहनों और इंजीनियरिंग सामान के निर्यात में कमी आई है।

इस महीने अमेरिका भारत से सबसे ज़्यादा माल खरीदने वाला देश रहा, जबकि चीन से भारत ने सबसे ज़्यादा सामान मंगवाया। चीन से आयात में तेज़ उछाल दिखी। चीन से आयात 21.61% बढ़कर 10.31 अरब डॉलर पहुंच गया।

अप्रैल-मई में व्यापार घाटा बढ़ा

अप्रैल और मई के बीच भारत का कुल निर्यात सिर्फ 3.11 प्रतिशत बढ़ा और 77.19 अरब डॉलर तक पहुंचा, जबकि आयात में 8 प्रतिशत की तेज़ वृद्धि हुई और वह 125.52 अरब डॉलर हो गया। यानी भारत ने इस दौरान ज़्यादा सामान बाहर से खरीदा, और कम बेचा।

ऑटो सेक्टर में भी गिरावट

इस बीच, सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स ने सोमवार (16 जून) को कहा कि घरेलू यात्री वाहन थोक बिक्री इस साल मई में 0.8 प्रतिशत घटकर 3,44,656 इकाई रह गई, जबकि पिछले साल इसी महीने में 347,492 इकाई थी।

मई 2025 के आंकड़े देश की आर्थिक स्थिति को लेकर गंभीर चिंताओं की ओर इशारा कर रहे हैं। बेरोजगारी दर में वृद्धि, खासकर युवाओं और महिलाओं में, यह दर्शाता है कि देश में गुणवत्तापूर्ण नौकरियों की भारी कमी है। ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में रोजगार के अवसर घट रहे हैं, जिससे आम जनता की जीवन स्थितियां प्रभावित हो रही हैं।

वहीं, व्यापार के मोर्चे पर भी तस्वीर कुछ खास सकारात्मक नहीं है। निर्यात में गिरावट और आयात में उछाल ने व्यापार घाटे को बढ़ा दिया है, जिससे देश की आर्थिक सेहत पर दबाव बढ़ रहा है। ऑटोमोबाइल जैसे प्रमुख क्षेत्र में गिरावट इस बात का संकेत है कि उपभोक्ता मांग में भी कमी आ रही है।

सरकार और नीति निर्माताओं के लिए यह समय सतर्कता और ठोस हस्तक्षेप का है, ताकि रोजगार के नए अवसर पैदा किए जा सकें, घरेलू उत्पादन को बढ़ावा मिले और भारत की आर्थिक वृद्धि को संतुलित और समावेशी बनाया जा सके।

 

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