खबर लहरिया Blog Ukraine Russia War : रूस विदेश मंत्री ने कहा, ‘बातचीत के लिए तैयार हैं लेकिन यूक्रेन सेना पहले लड़ाई बंद करे’

Ukraine Russia War : रूस विदेश मंत्री ने कहा, ‘बातचीत के लिए तैयार हैं लेकिन यूक्रेन सेना पहले लड़ाई बंद करे’

रूस के विदेश मंत्री सर्गी लेवरोव ने कहा है कि, “हम यूक्रेन के साथ बातचीत करने के लिए तैयार हैं लेकिन पहले यूक्रेन की सेना को लड़ाई बंद करनी होगी।”

                                                                                                                   credit – Al Jazeera

यूक्रेन में जो इस समय युद्ध हो रहा है, वह रूस और यूक्रेन के बीच बहुत सालों से चलता आ रहा तनाव और टकराव का परिणाम है। 25 फरवरी 2022 को राष्ट्रपति पुतिन द्वारा सैन्य कार्यवाही के आदेश के बाद रूस ने यूक्रेन पर मिसाइलें छोड़ दी। ताज़ा खबर यह है कि रूस के विदेश मंत्री सर्गी लेवरोव ने कहा है कि, “हम यूक्रेन के साथ बातचीत करने के लिए तैयार हैं लेकिन पहले यूक्रेन की सेना को लड़ाई बंद करनी होगी।”

आपको बता दें, रूसी सेना द्वारा यूक्रेन पर किए गए हमले में बहुत से लोग अभी तक अपनी जान गंवा चुके हैं। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की का कहना है कि रूस द्वारा किये गए हमले में अब तक 137 लोग मारे जा चुके हैं। इसमें 10 से ज़्यादा सैन्य अधिकारी शामिल हैं। जबकि, 316 लोग घायल भी हुए हैं। वलोडिमिर जेलेंस्की ने कहा कि उनके देश को रूस से लड़ने के लिए अकेला छोड़ दिया गया है। उन्होंने कहा कि हर कोई डर रहा है। हमारे साथ लड़ने के लिए कोई नहीं खड़ा है।

 

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बुखारेस्ट के लिए भारत करेगा दो उड़ानें संचालित

जो भारतीय यूक्रेन में फंसे हैं उनके लिए भारत सरकार हवाईजहाज की व्यवस्था कर रही है। भारत सरकार की चार्टर्ड उड़ानों के तौर पर संचालन के लिए आज रोमानिया में बुखारेस्ट के लिए दो उड़ानें और हंगरी में बुडापेस्ट के लिए एक उड़ान की तैयारी की जा रही है। यह जानकारी समाचार एजेंसी एएनआई द्वारा दी गयी है।

यह भी बता दें कि जो भारतीय नागरिक सड़क मार्ग से यूक्रेन और रोमानिया की सीमा तक पहुंच गए हैं उन्हें भारत सरकार के अधिकारी बुखारेस्ट ले जाएंगे। वहां से फिर उन्हें एयर इण्डिया के हवाईजहाजों द्वारा भारत वापस लाया जाएगा।

 

मेडिकल छात्रों की सुरक्षा के लिए आईएमए ने पीएम को लिखा पत्र

इंडियन मेडिकल एसोशिएशन (आईएमए) ने यूक्रेन में फंसे भारत के मेडिकल छात्रों को बचाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा है। आईएमए ने भारत सरकार से अनुोध किया है कि मेडिकल छात्रों के लिए एक अलग हेल्पडेस्क तैयार की जाए, साथ ही उन्हें वित्तीय मदद भी उपलब्ध कराई जाए।

वहीं केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि केंद्र सरकार यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों को वापस लाने के लिए व्यवस्थाएं कर रही है। उन्होंने कहा कि जैसे ही पूर्वी यूरोपीय देश का हवाई क्षेत्र नागरिक उड़ानों के लिए खुल जाता है, उन्हें जल्द से जल्द देश वापस लाया जाएगा।

 

आंध्र प्रदेश ने शुरू की हेल्पलाइन

आंध्र प्रदेश सरकार ने यूक्रेन में फंसे छात्रों के लिए हेल्पलाइन शुरू की है। इनमें आंध्र प्रदेश अनिवासी तेलुगु सोसायटी के लिए 08632340678 और व्हाट्सएप पर 8500027678 पर संपर्क किया जा सकता है। इसके अलावा दिल्ली में ओएसडी (विशेष ड्यूटी पर अधिकारी) पी रवि शंकर से 987199905, सहायक आयुक्त एमवीएस रामा राव से 9871990081 और सहायक आयुक्त एएसआरएन साईबाबू से 9871999430 और 011-23384016 पर संपर्क किया जा सकता है।

पिछले 24 घंटे में कीव में हुए 33 धमाके

सत्रों के अनुसार, यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने युवाओं से हथियार उठाने की अपील की है। यूक्रेन के आधिकारिक बयान में बताया गया कि कीव पर कब्ज़े के लिए रूसी सैनिकों नें पिछले 24 घंटों में कीव में 33 जगहों पर बम धमाके किए हैं। वहीं रूस यह भी दावा करता है कि, उसने यूक्रेन के 118 सैन्य ठिकानों को तबाह कर दिया है। आपको बता दें, कीव यूक्रेन की राजधानी है।

                                                                                                        credit – The Guardian

जानकारी के मुताबिक, यूक्रेन की राजधानी कीव में शुक्रवार, 26 फरवरी की सुबह चार बजे (स्थानीय समयानुसार) से रूस ने हमले करना शुरू कर दिया था। हमले में आसमान ऐसा दिख रहा था मानों आसमान से आग बरस रही हो। इस बीच यूक्रेन ने कहा कि कीव में उन्होंने एक रूसी जेट मार गिराया है।

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यूक्रेन के राष्ट्रपति को अगवा करने की साजिश

अमेरिकी की खुफिया एजेंसियों ने बड़ा दावा किया है कि, रूस के 10 हज़ार से ज़्यादा पैराट्रूपर्स कीव में दाखिल होने की तैयारी कर रहे हैं। ये पैराट्रूपर्स यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की को अगवा करने की योजना बना रहे हैं। उन्हें अगवा करने के बाद जेलेंस्की से शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर करेंगे।

यूक्रेन व रूस के बीच लड़ाई की वजह

– यूक्रेन की सीमा पश्चिम में यूरोप और पूर्व में रूस से जुड़ी है। 1991 तक यूक्रेन पूर्ववर्ती सोवियत संघ (दुनिया का सबसे बड़ा देश था) का हिस्सा था।

– रूस और यूक्रेन के बीच तनाव नवंबर 2013 से शुरू हुआ। फिर यूक्रेन के वर्तमान राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच का कीव में विरोध शुरू हुआ जबकि उन्हें रूस का समर्थन मिला हुआ था।

– यानुकोविच को अमेरिका-ब्रिटेन को समर्थन करने वाले प्रदर्शनकारियों के विरोध करने की वजह से फरवरी 2014 में देश छोड़कर भागना पड़ा था।

– इसका परिणाम यह हुआ कि रूस ने दक्षिणी यूक्रेन के क्रीमिया पर कब्ज़ा कर लिया। इसके बाद वहां के अलगाववादियों को समर्थन दिया। इन अलगाववादियों ने पूर्वी यूक्रेन के बड़े हिस्से पर कब्ज़ा कर लिया। आपको बता दें, जो लोग देश के किसी हिस्से को उससे अलग करना चाहते हैं, उन्हें अलगाववादी कहा जाता है, हालाँकि ऐसा ज़रूरी नहीं है कि वे अलग देश की ही माँग करें।

– 2014 के बाद से रूस समर्थक अलगाववादियों और यूक्रेन की सेना के बीच डोनबास प्रांत में संघर्ष चल रहा था।

– इससे पहले जब 1991 में यूक्रेन सोवियत संघ से अलग हुआ था तब भी कई बार क्रीमिया को लेकर दोनों देशों में टकराव हुआ।

– 2014 के बाद रूस व यूक्रेन में लगातार तनाव व टकराव को रोकने व शांति बनाये रखने के लिए पश्चिमी देशों ने पहल की।

– फ्रांस और जर्मनी ने 2015 में बेलारूस की राजधानी मिन्स्क में दोनों के बीच शांति व संघर्ष को विराम देते हुए समझौता कराया।

– यह बताया गया कि यूक्रेन का नाटो से अच्छे संबंध है। नाटो यानी ‘उत्तर अटलांटिक संधि संगठन’ जिसे सोवियत संघ से निपटने के लिए बनाया गया था। यह कहा गया कि यूक्रेन की नाटो से करीबी रूस को हज़म नहीं हो रही थी।

– अमेरिका और ब्रिटेन समेत दुनिया के 30 देश नाटो के सदस्य हैं। अगर कोई देश किसी तीसरे देश पर हमला करता है तो नाटो के सभी सदस्य देश एकजुट होकर उसका मुकाबला करते हैं। रूस चाहता है कि नाटो अपना विस्तार न करे। वहीं राष्ट्रपति पुतिन इसी मांग को लेकर यूक्रेन व पश्चिमी देशों पर दबाव डाल रहे थे।

                                                                                                           credit – 19FortyFive

यूक्रेन पर रूस के हमले का कई जगहों पर विरोध हो रहा है। अमेरिका के वाशिंगटन में भी सैंकड़ों लोगों ने प्रदर्शन कर विरोध जताया। खबरों के मुताबिक, व्हाइट हाउस के बाहर लोगों ने घंटों जाम भी लगाया। नाटो देश युद्ध की जगह बातचीत को बढ़ावा दे रहा था इसके बावजूद भी रूस ने यूक्रेन पर हमला बोल दिया। अब स्थिति पहले से बेहद खराब हो चुकी है। हर किसी को जान का खतरा है। हालाँकि, रूस ने कहा कि वह बातचीत के बाद हमले को रोक सकता है। अगर ऐसा था तो बातचीत के लिए पहले भी नाटो देश द्वारा सुझाव दिए गए थे तो रूस ने फिर हमला क्यों किया? क्या बातचीत के बाद युद्ध टल जाएगा या अभी इस युद्ध में और भी कुछ देखना बाकी है?

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