बाँदा जिले के पनगरा गांव में कमतू और उनकी पत्नी नथिया सालों से टीवी की बीमारी से जूझ रहे हैं| इसके बाद भी ये छोटे छोटे बच्चों को लेकर ईट भट्ठे के काम करे लिए जाते है| जब कमतू से पूछा कि ऐसी स्थित में आप कैसे काम करते है और उनको ये बीमारी कैसे हुई उसका कहना था कि उसके पत्नी को पहले यह बीमारी थी इसी के चलते उनको भी हो गई मजदूर आदमी मेहनत मजदूरी से अपने घर का खत चलाते हैं
मेहनत का तो होता ही है| इसी साल जो कमा के लाए वह एक ही महीने के घर खर्च लग गया अब दवा के लिए घर बेचना पडा है| उनके पस सरकरी अस्पताल के इलाज के बारे में जानकारी नही है की फ्री होता है और पैसा मिलता है न उन्हें किसी ने बतया|
इस मामले को लेकर वहां की डांट सुपरवाइजर सरस्वती का कहना है कि लोग सरकारी अस्पताल के इलाज में विश्वास नहीं रखते जो लोग रखते हैं उनको वह दवा देती हैं और समय-समय से देखते हैं काफी लोग उनके इलाज से ठीक भी होगा है लेकिन बहुत लोग बीच में ही दवा खाना बंद कर देते हैं
फिलहाल तो नथिया के बारे में उन्हें अभी जानकारी नहीं है कि क्या है पता तो चला कि बीमार है लेकिन उन्होंने देखा नहीं कि उनको क्या बीमारी है अब उनके पास जाएंगी और उनसे जांच के लिए कहेंगे| साथ ही जो सरकार पैसा देती है डांटस से इलाज के दौरान मरीजों को 500 का महीना उसके लिए उन्होंने कई लोगों के आधार कार्ड खाता नंबर दिए हैं जो लोग इलाज करवा रहे हैं लेकिन अभी तक किसी का भी पैसा नहीं आया|