इस आधुनिक युग में जहां ट्रैक्टर आ गए हैं, उसने कारीगरों से बैलगाड़ी का पहिया, हल, कृषि संबंधित औज़ार इत्यादि बनाने का काम छीन लिया है। बुन्देलखंड में इन बैलगाड़ियों की त्योहारों में नज़र उतरी जाती थी। इन्हें साफ़-सुथरा कर, रंग-रोगन लगाकर उसकी पूजा की जाती थी। अब हमारी ये अनमोल धरोहर विलुप्त होने की कगार पर है।
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