टीकमगढ़ जिले में एक ऐसी प्रथा है जो सावन के महीने में होती है। जिसमें जब लड़की की शादी होती है तो लड़के वाले पहली सावनी के रूप में कपड़े, सोने-चांदी के खेल-खिलौने लाते हैं। वहीं लड़की वाले सम्मान के रूप में पैसों के साथ दाल, चावल, गेहूं और बांस के पांच बर्तन देते हैं जिसमें सूपा, दौरिया, टुकना, बिजना आदि शामिल है।
यहां के लोगों ने बताया कि उनके जिले में यह प्रथा पीढ़ियों से चली आ रही है। बांस के बर्तनों के बारे में वह बताते हैं कि उनके बाप-दादा बांस के बर्तन बनाते आ रहे हैं इसलिए वह लोग भी बनाते हैं। जिसमें वह सबसे ज़्यादा सूपा, दौरिया, टुकना, बिजना, छोटे-बड़े पिरा आदि बनाते हैं। वह कहते हैं कि उनके सबसे ज़्यादा बांस के बर्तनों की बिक्री शादी-विवाह,सावन के महीने और मकर संक्रांति में होती है।
वह बांस के बर्तनों को त्यौहार से एक महीने पहले बनाना शुरू कर देते हैं ताकि समय आने पर उसे बेच पाएं। वह कहते हैं कि बांस का अपना ही महत्व होता है। शादी-विवाह में अगर कूलर, फ्रीज़ आदि के साथ बांस के बर्तन न दो तो यह अशुभ माना जाता है। लोग इसे अपने ख़ुशी से लेते और देते हैं।
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