महंगाई के इस दौर में 500 रूपए तो एक बार बाज़ार निकलने पर यूं ही खर्च हो जाते हैं, ऐसे में गरीब परिवार क्या बचाएँ और क्या खाएं?
पूरे देश की तरह एमपी के टीकमगढ़ ज़िले में भी महंगाई की मार ने आम जनता की कमर तोड़ दी है। यहाँ लोग महंगाई बढ़ने के कारण न ही सब्ज़ी-फल खरीद पा रहे हैं और न ही राशन का बाकी सामान ले पा रहे हैं।
टीकमगढ़ जिले के इंद्रा कालोनी के रहने वाले राकेश कुमार जैन का कहना है कि उनके घर में पांच सदस्य हैं और कमाने वाले वो अकेले हैं, बढ़ती महंगाई ने घर की आर्थिक स्थिति पूरी तरह से पस्त कर दी है। राकेश दिहाड़ी पर मज़दूरी का काम करते हैं और रोज़ाना मुश्किल से दो सौ, ढाई सौ रूपए की कमाई कर पाते हैं। ऐसे में आसमान छू रहे सब्ज़ी, दाल, मसाले खरीद पाना उनके लिए बहुत मुश्किल हो जाता है। उन्होंने बताया कि अगर ऐसे में घर में किसी व्यक्ति की तबियत खराब हो जाती है तो उसका इलाज कराना भी एक कठिनाई होती है।
राकेश का कहना है कि ये गरीब लोग इतने भी सक्षम नहीं हैं कि अपना फल फ्रूट का ठेला लगाकर गुजारा कर सकें। उन्होंने बताया कि एक साथ एक-डेढ़ किलो राशन खरीद पाना तो उनके लिए नामुमकिन होता है, इसलिए वो हर हफ्ते पाव भर दाल, चावल, आटा इत्यादि खरीद लेते हैं और उसी में हफ्ता गुज़ारने की कोशिश करते हैं।
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गरीबों को झेलनी पड़ती है महंगाई की मार-
ग्राहक केदारनाथ भदौरिया ने हमें बताया कि तेल, हल्दी, मिर्च, सब कुछ ही महंगा हो चुका है। और डीजल- पेट्रोल के दामों ने तो आम जनता को अब साइकिल चलाने पर मजबूर कर दिया है। इसका सबसे ज्यादा प्रभाव गरीब व्यक्तियों पर पड़ रहा है जो मजदूरी करके अपना घर चलाते हैं और दिनभर में सिर्फ 200-300 रूपए ही कमा पाते हैं। उन्होंने बताया कि महंगाई के इस दौर में 500 रूपए तो एक बार बाज़ार निकलने पर यूं ही खर्च हो जाते हैं, ऐसे में गरीब परिवार क्या बचाएँ और क्या खाएं? उनका कहना है कि लॉकडाउन के बाद से महंगाई और ने और पैर फैला लिए हैं और सरकार भी जनता को किसी प्रकार की राहत नहीं दे रही है।
बता दें कि जो सरसों का तेल कोरोना महामारी से पहले 80-90 रूपए किलो मिलता था, वो आज 180-200 रूपए किलो के भाव से बिक रहा है। आलू भी पहले 10-15 रूपए किलो के रेट से बिक रहा था लेकिन साल भर के अंदर ही इसका रेट दोगुना होकर 20-25 रूपए प्रति किलो पहुँच चुका है।
ग्राहकों के साथ विक्रेता भी हुए परेशान-
सब्जी विक्रेता दयाराम कुशवाहा जो कि नरैया मुहल्ला के रहने वाले हैं उनका कहना है कि महंगाई के कारण सब्ज़ियों की खरीद में भी काफी कमी आई है। उन्होंने बताया कि ज़िले के सब्ज़ी विक्रेताओं को मंडी से ही महंगी सब्ज़ी खरीदनी पड़ रही है, जिसके चलते इन लोगों को भी अपना मुनाफा करने के लिए महंगी सब्ज़ियां बेचनी पड़ती हैं। दयाराम बताते हैं कि ग्राहक जब 10 ठेलों पर सब्ज़ियां देख लेते हैं, उसके बाद किसी एक के पास से वो सामान खरीदते हैं या कई बार तो बिना लिए ही चले जाते हैं।
उनकी मानें तो बढ़ती महंगाई से सिर्फ ग्राहक ही नहीं बल्कि विक्रेता भी अब परेशान हो चुके हैं, क्यूंकि इससे उनके काम पर भी भारी प्रभाव पड़ रहा है।
फिलहाल टीकमगढ़ ज़िले में टमाटर 60 रुपए प्रति किलो, आलू 25 रुपए प्रति किलो, भिंडी 40 रूपए प्रति किलो, लौकी 60 रूपए प्रति किलो के हिसाब से बिक रही है। वहीँ यही सब्ज़ियां साल भर पहले तक 20-25 रूपए प्रति किलो के रेट से मिला करती थीं।
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मसाले भी हुए महंगे-
उधर मसालों पर भी महंगाई की मार बढ़ती ही जा रही है। दुकानदार हिमालू ने बताया कि सूखी लाल मिर्च 160 प्रति किलो के भाव से बिक रही है, धनिया 100 रूपए पार्टी किलो है, हल्दी 150 रूपए प्रति किलो पहुँच चुकी है। उन्होंने बताया कि गरीब परिवार 10-20 रूपए के ही मसाले खरीद कर ले जाते हैं क्यूंकि इतना महंगा सामान खरीद पाना उनके लिए मुश्किल होता है। हिमालू ने भी सरकार से अपील की है कि इस महंगाई को जल्द से जल्द रोका जाए ताकि आम जनता कुछ राहत की साँस ले सके।
महंगाई की मार तो थमने का नाम नहीं ले रही है, लेकिन हैरानी की बात तो यह है कि जो सरकार चुनाव से पहले महंगाई से राहत जैसे बड़े-बड़े वादे कर रही थी, उसी सरकार ने अब देश में महंगाई के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। और इसकी सीधी गाज़ आकर गिरी है गरीबों पर, जो अपने परिवार का पेट पालने के लिए महंगाई के इस दौर में भी पैसे जोड़-जोड़ कर एक-एक वक़्त की रोटी का इंतज़ाम कर रहे हैं।
इस खबर को खबर लहरिया के लिए रीना द्वारा रिपोर्ट किया गया है।
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