खबर लहरिया Blog टीकमगढ़-सर्द मौसम में बिना छत के ठिठुर रहे गरीब

टीकमगढ़-सर्द मौसम में बिना छत के ठिठुर रहे गरीब

केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत लोगों को घर देने के वादे किए थे लेकिन टीकमगढ़ जिले में ग्राम पंचायत बसनेरा गांव कांटी में आदिवासी लोग कच्चे घरों में रह रहे हैं। कड़ाके की ठंड की मार करीब एक सौ से अधिक परिवार झेल रहे हैं। बिना आवास के ऐसे लोग ठंड में ठिठुर रहे हैं। सिर्फ ठंड ही इनके लिए मुसीबत नहीं लाती बल्कि बारिस का सितम और गर्मी भी इन्हें तपाती है। प्रकृति के मार को झेल रहे ऐसे परिवार का दर्द प्रशासन भी नहीं सुन रहा। स्थिति काफी खराब है। 

खाने के रहते हैं लाले तो मकान कहाँ से बनायें 

Tikamgarh-poor weather remains cold without roof

कांटी गांव निवासी दयाराम आदिवासी ने बताया कि हमारे गाँव में आदिवासी समाज का कम से कम 30- 40 घरों का परिवार रहता है। जिसमें से पांच छह लोगों के ही आवास बने हैं। और बाकी लोगों का आवास नहीं बना है। अभी हमारी ऐसी स्थिति है कि रहने के लिए घर नहीं हैं। कच्चे घरों में रहते हैं तो कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। हम आदिवासी हैं और हमारे पास इतने पैसे भी नहीं है की हम खुद अपने पैसों से घर बना सकें। सरकार भले ही गरीब लोगों के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ दे रही है लेकिन हम जैसे आदिवासी गरीब लोगों को उसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। 

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पात्रता श्रेणी में नाम लेकिन नहीं मिला आवास 

Tikamgarh-poor weather remains cold without roof

दयाराम ने आगे बताया कि जिन लोगों को योजना का लाभ चाहिए उनको तो मिल ही नहीं रहा है और जिनके पास रहने के लिए घर है, जो पात्रता की श्रेणी में नहीं आते उनको आवास का लाभ दिया जा रहा है। जब चुनाव आता है तो चुनाव के टाइम पर वोट लेने के लिए गांव के सरपंच और बड़े-बड़े नेता लोग आते हैं। चिकनी चोपड़ी बातें करते हैं और चले जाते हैं।  ऐसी उम्मीद जताते हैं की इस साल तो आवास मिल ही जाएगा पर  जीतने के बाद गाँव का रास्ता ही भूल जाते हैं। 1 साल से ज्यादा हो गए हैं फ़ार्म भरवाए लेकिन अभी तक रहने के लिए घर नहीं मिला। हम चाहते हैं अगर सरकार गरीबों को रहने के लिए घर दे रही है तो हमें भी उसका लाभ दिया जाए।  

 मैदा आदिवासी का कहना कि बरसात के मौसम में हमें बहुत दिक्कत होती है। जब ज्यादा बारिश होने लगती है तो कच्चे खपरैल के घरों के ऊपर पन्नी डाल लेते हैं उसी से हमारे चार-पांच बच्चों के साथ गुजारा करते हैं। और कभी तो बैठे ही बैठे रात गुजारना पड़ता है लेकिन, यह स्थिति सरकार यहां पर देखने नहीं आ रही हैं। जिन लोगों को यह लगता है कि यह लोग आवास योजना के लायक नहीं है तो यहां पर सर्वे करके देखा जाए और फिर उसकी जांच की जाए। 

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प्रशासन से लगा चुके हैं गुहार

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सावित्री कहती हैं कि आवास ना मिलने से बहुत ही परेशान हूँ। बरसात के समय में रात कीड़ों मकोड़ों का डर भी बना रहता है। हम आदिवासी लोग दिल्ली आगरा पलायन करके अपना और अपने बच्चों का भरण पोषण करते हैं।  इसलिए हम लोगों के पास इतना पैसा भी नहीं है की घर बना सकें। जितना काम करते हैं उतना खाना-पीना खर्चा ही बस चलता है। सोमती कहती हैं की सरपंच से बोला है तो कहते हैं की लिस्ट में नाम नहीं है। जब लिस्ट में नाम आएगा तो फिर बनवा दिया जाएगा। 

 पात्रता सूची में जोड़े गये 212 लोगों के नाम

मुकेश अहिरवार ग्राम पंचायत बसनेरा रोजगार सेवक ने बताया है कि हमारे ग्राम पंचायत में बसनेरा और कांटी में 140 आवास बन चुके हैं। और 212 लोगों के नाम आवास की सूची में जोड़ दिए गए हैं। इन लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ दिया जाएगा। यहां पर कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्हें पहले इंदिरा आवास के नाम से आवास मिल चुका है। और वह दुबारा आवास की मांग कर रहे हैं। सरकार एक व्यक्ति को एक बार ही योजना का लाभ दे रही है तो उसको दुबारा कैसे दिया जाएगा। बाकी जो पात्र हैं उनका सूचि में नाम आते ही बनवा दिया जाएगा। 

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