टीकमगढ़ के गाँव बुड़ेरा की औरतें शादियों में एक खेल खेलती है जिसमे एक औरत पुरुष का कपड़ा पहन कर और हाथ में बेलन लेकर शादी में खूब नाचती हैं और एक औरत उसकी बालिका यानि वधु बनती है। इन महिलाओं का एक जमघट बनता है और यह पूरे गांव घूम- घूम कर खूब नाचती है। यह औरते वहां का लोक गीत भी जाती हैं।
यह खेल लड़के की शादी में खेला जाता हैं। यह बुंदेलखंड का रिवाज़ है जोकि लड़के की शादी में मनोरंजन के तौर पर खेला जाता हैं।
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गांव के लोगो का कहना है की यह बहुत पुराना रीति-रिवाज है। इन लोगो का ऐसा मानना है कि बाबड़ी नाम का एक बाबा था। एक बार वह हाथ में बेलन लेकर वर- वधु को परेशान करने के लिए एक शादी में घुस गया। वह वर-वधु को फेरे लेने नहीं दे रहा था, तो उस बावड़े बाबा को रोकने के लिए शादी में उपस्थित महिलाये दूल्हा-दुल्हन बन कर उसके सामने शादी का खेल खेलने लगी। बाबा उनके इस खेल में इतना मगन हो गया की वहाँ की असली शादी के बारे में भूल गया और इस वजह से उन वर-वधु की शादी पूरी हो सकी।
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तबसे यह खेल एक रिवाज बन गया हैं और लड़के की शादी में खेला जाता हैं। लड़के की बारात वापिस आने के बाद इस खेल की शुरुआत होती हैं। लगभग पूरा गांव इस खेल में जुड़ता है और औरते पूरे गांव में घूमती है और जगह-जगह रुक कर खूब नाचती है। इससे शादी- ब्याह में मनोरंजन और बड़ जाता है और गांव के लोग भी इसका खूब मजा लेते हैं।
वहां के लोगो का मानना हैं कि अगर यह खेल नहीं खेला जाता हैं तो इसके बिना शादी में मज़ा नहीं आता हैं, इसके बिना पूरी शादी फीकी लगती हैं।
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