टीकमगढ़ जिले के ग्राम पंचायत माडूमर मैं एक ऐसी बच्ची है, जो बचपन से ही दोनों हाथ पैरों पैरों से दिव्यांग है। परिवार वालों की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण इस बच्ची का थी इलाज भी नहीं हो पा रहा है।
जब हमने पायल अहिरवार की माँ रश्मि अहिरवार से बातचीत की तो उन्होंने बताया, जब उनकी बेटी पैदा हुई थी तो उनका परिवार पहली बार में बहुत घबरा गया था। इनको चिंता सताने लगी कि इस बच्ची का भरण-पोषण कैसे होगा। इन्होंने आगे बताया कि इनके पति मजदूरी करते हैं और वह बेटी की देखभाल के चलते घर से भी नहीं निकल पाती हैं। आगे बताया कि उनके दो बेटे और हैं। ऐसे में इतने खर्च में ठीक से घर का भी गुज़ारा नहीं हो पाता है।
ये भी देखें – छतरपुर: सालों बीत गए, न तो नालियां साफ़ हुई, ना ही उठा है कूड़ा
जब इनका मजदूरी के पैसे से घर का गुज़ारा नहीं तो ये कैसे अपनी बच्ची का इलाज करवा सकती हैं? इस बारे में जब हमने इनसे पूछा तो उन्होंने बताया कि ये लोग अपनी बच्ची के इलाज के लिए बहुत जगह गए लेकिन पैसे न होने के कारण उनको मायूस ही वापस आना पड़ता है। आगे बताया कि इनको 6000 रुपय पेंशन मिलती है लेकिन उसमें कितना ही इलाज हो जायेगा। डॉक्टरों ने भी कहा कि इस बच्ची को रोहतक या चंडीगढ़ इलाज के लिए ले जाना पड़ेगा लेकिन घरवाले मजबूर हैं, क्या करें।
पायल की माँ का कहना है कि अगर सरकार इसमें उनकी बच्ची कि कुछ मदद कर सके तो उसका भविष्य संभल जाएगा क्योंकि उसको पढ़ने का बहुत शौक है वह आगे चलकर कुछ बन सकती है, अपने पैरों पर खड़ी हो सकती है।
सामाजिक न्याय के उपसंचालक आर.के पस्तोर ने कहा, वैसे ऐसे बच्चों के लिए जिला दिव्यांग पुर्नवास केंद्र है। वहां इनको शिक्षा प्रदान की जाती है और अगर यह बच्ची वहां से शिक्षा प्राप्त कर रही है तो उसे दिव्यांग छात्र वृत्ति भी प्राप्त हो रही होगी। साथ ही वह परिवार वालों को सलाह देंगे कि किसी बाहर की शासकीय संस्था में बच्ची को वह भेजने के लिए मान जाएं तो इनकी टीम पूर्ण रूप से इस बच्ची का संस्थाओं में दाखिला करवा दे। वहां उसके रहने का भी इंतज़ाम होगा और वह आसानी से वहाँ पर अपनी पढ़ाई भी कर सकेगी।
ये भी देखें – सफेद धात की समस्या ठीक करने का देसी नुस्खा | Desi Nuskha
यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’