टीकमगढ़ जिले के प्रजापति समाज के लोग दीवाली से एक महीने पहले ही दिये बनाने के काम में जुट जाते हैं। चुन्नी लाल प्रजापति कहते हैं कि दीये बनाने की मिट्टी लाने के लिए वह 10 किलोमीटर दूर तक जाते हैं। दीयों के लिए लाल मिट्टी की ज़रूरत होती है और मटकों के लिए चिकनी मिट्टी की। मिट्टी को वह पहले छन्नी से छानते हैं और फिर पानी में घोलते हैं। घोलने के बाद उसे जमाकर दीयें तैयार किये जाते हैं। वह एक दिन में 15 सौ दीयें बना लेते हैं। बाजार में वह 20 रूपये के 16 दीयें बेचते हैं।
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मोहल्ला पुरानीटेहरी के रहने वाले मुल्लीधर प्रजापति कहते हैं कि सरकार की तरफ से उन्हें किसी भी तरह का आर्डर नहीं मिलता। उन्होंने 4 से 5 हज़ार दीये बनाये हैं जिसे बनाने में तकरीबन 20 दिन लगे हैं।
सल्लो प्रजापति कहती हैं कि यह उनकी परम्परा है और इसके अलावा उन्हें और कोई काम भी नहीं आता। इसी से वह अपना गुज़ारा करती हैं। उन्हें दीये बेचने में काफी परेशानी होती है क्यूंकि बाजार में चाइना जैसे दीपक ज़्यादा आने लगे हैं और लोग भी उसे ही ज़्यादा लेते हैं। वह कहती हैं कि उन्हें सरकार की तरफ से कोई लाभ नहीं मिला। वह सरकार से निवेदन करती हैं कि सरकार उनके लिए भी कुछ करे, उनके बारे में भी सोचे।
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