खुद सशक्ति की आस में है महिलाओं को सशक्त करने वाले|
वर्तमान सरकार महिला साशक्ती करण के लिए अलग ,अलग कार्यक्रम करती है ,
नारी शक्ति ,नारी सम्मान जैसे प्रोग्राम कालेजों ,थाने ,मे पूलिस द्वारा कार्यक्रम किए जा रहे हैं
पर क्या इसतरह के कार्यक्रम चलाने से महिलाएं साशक्त हो रही हैं! क्या इसतरह महिला हिंसा रूकेगी आइए जानते उन महिलाओं को जो दूसरी महिलाओं के सिक्षा पर और महिला हिंसा की रोकथाम करने का काम कर रही थी आज वो बेरोजगार हो गई हैं
बता दू 19 89से यू पी के 19 जिले मे महिला समख्या नाम की संस्था काम कर रही थी जिसमे लगभग 450महिलाएं काम कर रही 2016 मे ये संस्था बंद कर दी गई फिर भी महिलाएं बिना वेतन काम करती रही की शायद काम मिले लेकिन नहीं हुआ ऐसा जो महिलाएं काम कर रही थी
उनमें से कुछ महिलाओं से जब हमने बात करी तो उनकी आर्थिक मानसिक स्तिथि ठीक नहीं है
ललिता देवी ने बताया 23 ,24 साल से महिलाओं के मुद्दे पर काम किया महिलाओं की सिक्षा और उन्हें साशक्त करने का काम किया महिलाओं के हक की लडाई लडी लेकिन आज हम खुद बे सहारा हो गये हैं
2016से हमारी संस्था बंद कर दी गई 2019 से वेतन रोक दिया गया हम फिर भी काम करते रहे की शायद दूबारा से कुछ हो संस्था मे और हमारी वेतन आए उसके बावजूद हमे
हमे 2020 मे हमें नोटिस दे दिया गया है हमें काम से निकाल दिया
वेतन रूकी हुई ही थी अब हमारी स्तिथि ये है घर के खर्च नहीं हो पा रहे लाकडाउन मे हमारे घर मे खाने तक को नहीं था परिवार मेरे कामाई से चलता था जितनी महिलाएं काम करती थी सब की यही स्तिथि है