खबर लहरिया Blog ये महिलाएं सिर्फ लड़ीं ही नहीं बल्कि जीतीं भी – यूपी पंचायत चुनाव

ये महिलाएं सिर्फ लड़ीं ही नहीं बल्कि जीतीं भी – यूपी पंचायत चुनाव

इस बार यूपी पंचायत चुनाव में महिलाओं ने कई पदों पर जीत हासिल की हैं। जहां कई महिलाएं ऐसी भी थी जिन्हें लोगों ने हज़ारों वोट देकर जीताया।

Live update from polling boothइस बार यूपी के पंचायत चुनाव का रुख महिलाओं के जज़्बों के नाम रहा। एक ओर जहां ग्रामीण महिलाओं को दहलीज़ के अंदर रखने में समाज ने कभी भी कोई कसर नहीं छोड़ी। अब उन सारी महिलाओं ने चौखट को पार कर अपनी आज़ादी और विकास का रास्ता चुन लिया है। इतना ही नहीं, पंचायत चुनाव में उन्होंने अपनी दावेदारी पेश करते हुए, यह ऐलान भी किया कि अब वह सामने से आकर गांव के विकास की बागडोर संभालेंगी।

इस बार महिलाएं चाहें वह बीडीसी की सीट हो या फिर जिला पंचायत सदस्य की। वह हर जगह से चुनाव में खड़ी हुईं और जीतीं भी। आपकी जानकारी के लिए बता दें, जिला अयोध्या के ब्लॉक तारुन में 11 न्याय पंचायत है। जिसमें 97 ग्राम पंचायत है। यहां पर लगभग 35 सीटों पर महिलाओं ने जीत पाई हैं। इन सीटों पर ज़्यादातर अनुसूचित जाति की महिलाओं ने जीत दर्ज़ की। पिछड़ा वर्ग माने जाने वाली जातियों की महिलाओं ने समाज को जीत हासिल कर यह दिखा दिया कि असल में समाज की सोच पिछड़ी हुई है। चलिए, अब जानते हैं जीत प्राप्त की हुई महिलाओं से कि वह अब किस तरह से गाँव के विकास का काम करेंगी।

गांव के विकास के लिए यह काम करेंगी विजयी महिलाएं

ब्लॉक ग्राम पंचायत बेलगरा की रहने वाली मधु कुमारी

जिला अयोध्या ब्लॉक ग्राम पंचायत बेलगरा की रहने वाली मधु कुमारी ने 403 वोटों से जीत हासिल कर बीडीसी (क्षेत्र पंचायत) पद प्राप्त किया है। मधु कहती हैं कि उन्हें खुशी है कि लोगों ने उन्हें प्यार और सम्मान दिया। वह महिला होने के नाते महिलाओं के लिए जो कुछ भी हो सकेगा। उसे करने की पूरी कोशिश करेंगी। गाँव में जिनके पास आवास नहीं और वह लोग पात्र हैं। उन्हें आवास देने का काम किया जाएगा। इसके अलावा गाँव में शौचालय,सड़क आदि सुविधाओं पर भी काम किया जाएगा।

ग्राम पंचायत यादवपुर की रहने वाली सुनीता देवी प्रधान पद के लिए 304 वोटों से जीतीं हैं। वह बताती हैं कि उनकी यह पहली जीत है। उनका कहना है कि वह सभी लोगों तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने को लेकर काम करेंगी। जिनके नाम राशन कार्ड से काट दिए गए हैं। उनके नाम फिर से सूची में डाले जायेंगे क्यूंकि लॉकडाउन की वजह से लोग वैसे ही बहुत परेशान है। साथ ही, कोरोना संक्रमण को देखते हुए कोविड नियमों का भी पालन करवाया जाएगा ताकि लोगों को संक्रमण के खतरे से बचाया जा सके।

ब्लॉक बीकापुर ग्राम पंचायत खेवली की रहने वाली नीलम

जिला अयोध्या ब्लॉक बीकापुर ग्राम पंचायत खेवली की रहने वाली नीलम ने 213 वोटों से जीत हासिल की हैं। अनुसूचित जाति की महिला नीलम ने प्रधान पद पर अपना हक जमाया है। इनका कहना है कि वह गांव में सड़क,पानी, आवास और बिजली की समस्याओं पर काम करेंगी।

कोविड प्रोटोकॉल का पालन करेंगे और गांव वासियों से करवाएंगे

प्रधान बनी महिलाओं का कहना है कि वे गांव में कोविड नियमों के पालन की ओर ध्यान देंगी। साथ ही पूरे गांव में सैनिटाइज़र का छिड़काव भी करवाया जाएगा ताकि बढ़ते संक्रमण को कुछ हद तक रोका जा सकें।

चुनाव में इतने मतों से जीतीं से महिलायें

इस बार चुनाव में कुछ महिलाएं ऐसी थीं। जिन्होंने हज़ारो वोट पाकर बड़े स्तर जीत हासिल कीं। इनमें कुछ महिलाएं अनुसूचित जाति से भी थीं। लेकिन जाति तो बस समाज की अवधारणा है। तो आइये जानते हैं कि कहाँ से, किस महिला ने कितने मतों से चुनाव में जीत हासिल की। जो की इस प्रकार है :-

जिला चित्रकूट से

– मीरा भारती

मानिकपुर ब्लॉक के वार्ड नंबर-16 सरैया से मीरा भारती

दलित वर्ग से आने वाली महिला मीरा भारती लगभग 4500 वोटों से जीतीं और जिला पंचायत सदस्य की सीट प्राप्त की। मानिकपुर ब्लॉक के वार्ड नंबर-16 सरैया से उन्होंने अपने जीत का परचम फैलाया। यह लोक सभा का चुनाव भी लड़ चुकीं हैं।

– मऊ ब्लॉक गाँव बरमार की रहने वाली नीलम देवी पहली बार चुनाव में उतरीं। जिसमें उन्होंने लगभग 100 वोटों से जीत हासिल कर प्रधान पद हासिल किया।

– वार्ड नंबर-12 की अकबरपुर सीट से अनुराधा पटेल ने 11 हज़ार वोट पाकर प्रधान पद के लिए एक बहुत बड़ी जीत हासिल की है।

प्रधानी महिला अनुराधा पटेल ने जीती पर पोस्टर पर नाम लिखा गया ‘भाभी अनिल प्रधान’

महिलायें इस बार आगे आईं। चुनाव भी लड़ा और उसमें जीत भी हासिल की। लेकिन क्या वह अपने जीते पदों पर रहकर काम कर पाती हैं या नहीं? यह सवाल रहेगा। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्यूंकि जब अकबरपुर सीट से अनुराधा पटेल ने जीत का परचम लहराया। तब उनसे ज़्यादा उनके देवर अनिल प्रधान का नाम सामने आ रहा था। यह नहीं कहा जा रहा था कि अनुराधा पटेल जीतीं हैं। बल्कि यह कहा जा रहा था कि अनिल प्रधान की भाभी जीतीं हैं। अनिल प्रधान पूर्व जिला पंचायत सदस्य रह चुके हैं।

महिलाओं के नाम पर सियासत चलाना और जीत हासिल करना तो आम राजनीतिक पैतरे हैं। लेकिन महिलायें इन सब चीज़ों से निकलकर किस तरह से ज़िम्मेदारियों को संभालती है और उसे पूरा करती हैं। इन सब चीज़ों पर मतदाताओं की नज़रे लगी हुई हैं। हालाँकि, महिलाओं द्वारा पंचायत चुनाव में आना यह दिखाता है कि वह अब हर तरह की लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हैं।

इस खबर को खबर लहरिया के लिए कुमकुम यादव द्वारा रिपोर्ट किया गया है।