खबर लहरिया Blog पंचायती चुनाव : कौन होता है ग्राम प्रधान, उसका काम,उसकी ज़िम्मेदारी ?

पंचायती चुनाव : कौन होता है ग्राम प्रधान, उसका काम,उसकी ज़िम्मेदारी ?

यूपी पंचायती चुनाव में ग्राम प्रधानों के चुनाव होने को है। ऐसे में प्रधान का क्या काम होता है,उसे क्या करना चाहिए आदि चीज़ों के बारे में जानना सही चुनाव करने के लिए बेहद ज़रूरी हो जाता है।

 

यूपी में होने वाले पंचायती चुनाव के लिए आरक्षण सीटें जिला स्तर पर जारी की जा रही है। आने वाले 15 मार्च को आरक्षित सूची की पूरी लिस्ट सामने आ जाएगी। इसके साथ ही चुनाव की अधिसूचना भी ज़ारी की जायेगी। यह कहा जा रहा है कि अप्रैल तक गाँवों के प्रधानों की नियुक्ति हो जाएगी। 25 दिसंबर 2020 को प्रधानों का कार्यकाल खत्म हुआ था।

लेकिन क्या आपको पता है कि प्रधान आखिर होता कौन है? उसका क्या काम होता है या वह क्या करता है? उसकी क्या-क्या ज़िम्मेदारियाँ होती हैं? उसके क्या अधिकार होते हैं? क्या उसके पास कोई विशेष अधिकार भी होता है? साथ ही आपको अपने गाँव के प्रधान को चुनते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। यह सब जानना बेहद ज़रूरी है। सबसे पहले यह जान लेना बेहद ज़रूरी है कि :-

कौन बन सकता है प्रधान?

ज़ाहिर सी बात है, प्रधान बनने के लिए चुनाव लड़ना पड़ता है। इसके आलावा :-

– वह उसी गाँव का रहने वाला हो।

– उसकी उम्र कम से कम 21 साल हो।

– वोटर लिस्ट में उसका नाम हो।

– सरकारी नौकरी ना कर रहा हो।

– अगर वह आरक्षित सीट से चुनाव लड़ रहा है तो उसके पास उसका प्रमाण-पत्र होना ज़रूरी है।

– कुछ राज्यों ने प्रधान प्रत्याशी को लेकर कुछ चीज़ें भी रखी हैं। जैसे उसकी शैक्षणिक योग्यता ( आठवीं या हाई स्कूल पास) और उसके सिर्फ दो ही बच्चे हो।

पंचायत चुनाव में आरक्षण किस प्रकार से होता है?

– चुनाव से पहले राज्य निर्वाचन आयोग गाँव की जनसंख्या का अनुपात और रोस्टर व्यवस्था के आधार पर अनुसूचित जाति,अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के हिसाब से सीटें निर्धारित करता है।

– गाँव में उसी वर्ग का प्रधान बनता है जिसके लिए पंचायत में सीट आरक्षित की गयी है। अगर सीट महिला के लिए आरक्षित की गयी है तो उस सीट से महिला को ही प्रधान बनाया जायेगा। वर्तमान में कुछ राज्यों में पंचायती राज अधिनियम में महिलाओं के लिए  50 प्रतिशत सीटें आरक्षित की गयी हैं।

– ठीक इसी प्रकार अगर किसी सीट को अनुसूचित जाति,अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए रखा गया है तो उस सीट से वही महिला या पुरुष चुनाव लड़ेंगे।

रोस्टर का क्या अर्थ है?

रोस्टर यूनिवर्सिटीज में वैकेंसी जारी करना का एक तरीका होता है। जिससे यह निर्धारित किया जाता है कि किसी विभाग में निकलने वाली वेकंसी किस वर्ग (जनरल, पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति या जनजाति) को मिलेगी। इसे विभिन्न नामों से जाना जाता है, जैसे कि शिफ्ट चार्ट, ड्यूटी चार्ट या फिर रोस्टर।

राज निर्वाचन आयोग की भूमिका

उत्तर प्रदेश राज निर्वाचन आयोग के मुताबिक़,इस बार ग्राम प्रधान के नामंकर फॉर्म के लिए प्रत्याशियों को 300 रूपये भरने होंगे। इसके साथ ही दो हज़ार रूपये की ज़मानत राशि भी देनी होगी। चुनाव प्रचार-प्रसार के लिए कोई कितना धन खर्च कर सकता है। इसका फैसला भी राज निर्वाचन आयोग ही करता है।

साभार- खबर लहरिया

ग्राम प्रधान का क्या काम है?

– किसी भी गाँव के प्रधान का सबसे महत्वपूर्ण काम उस गाँव का विकास करना होता है। जिसके लिए लोगों द्वारा उन्हें चुना जाता है।

– इसके आलावा गाँव की सड़क बनवाना, पानी के निकाय की व्यवस्था करना, गाँव के लोगों के पशुओं के लिए पानी की व्यवस्था करना, किसानों की खेती की सिंचाई के लिए सरकारी ट्यूबवेल का इंतज़ाम करना, नालियों की साफ़-सफ़ाई का काम।

– ग्राम पंचायत के सार्वजनिक स्थान, जैसे मंदिर, मस्जिद आदि स्थानों पर लाइट लगवाना।

– पंचायत में अलग-अलग धर्म व समुदाय के लोगों के लिए दाह संस्कार स्थल और कब्रिस्तान की देख-रेख और उसके चारों तरफ दीवार का निर्माण करवाना।

– बच्चों के लिए खेल का मैदान सुनिश्चित करना।

– ग्राम पंचायत में जन्म,मृत्यु,शादी आदि का रिकॉर्ड रखना। ताकि जनगणना जैसे कामों में आसानी हो।

– शिक्षा के अधिकार के तहत पहली से आठवीं कक्षा तक के बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा सुनिश्चित करना।

– आंगनवाड़ी कार्यकर्ता द्वारा किशोरियों, बच्चों और गर्भवती महिलाओं को ठीक प्रकार से पौष्टिक आहार मिल रहा है या नहीं। इस बात का ध्यान रखना।

– केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं का फ़ायदा गाँव के लोगों तक पहुँच रहा है या नहीं। इस बात का ध्यान रखना।

गाँव के विकास के लिए कहां से आता है पैसा?

– केंद्र और राज्य सरकार ग्राम पंचायत को पैसे देती है।

– इन पैसों से शौचालय, नाली बनाना, पानी साफ़-सफाई, पक्के निर्माण का कार्य होता है।

गांव कनेक्शन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ग्राम सभा को 14वें वित्त आयोग की तरफ से प्रति मतदाता करीब 1130 रुपये (केंद्र और राज्य वित्त को मिलाकर) दिए जाते हैं। इनमें मनरेगा और गरीबी उन्मूलन समेत कई योजनाएं शामिल नहीं हैं। यानी औसतन हर पंचायत को 7 से 10 लाख रुपये मिलते हैं।

प्रधानों की सैलरी कितनी होती है?

उत्तर प्रदेश में वर्तमान में प्रधानों की सैलरी 3,500 रुपये है। जो की पहले पहले 1,000 थी फिर 2,500  हुई और अब 3,500 है। कई बार ग्राम प्रधानों द्वारा इस बात की शिकायत की जाती है कि उन्हें कम राशि मिलती है। उनके अनुसार उन्हें कम से कम दस हज़ार तो मिलने ही चाहिए।

क्या कार्यकाल खत्म होने से पहले प्रधान को हटाया जा सकता है?

जी हाँ, अगर प्रधान द्वारा उसका काम सही से नहीं किया जा रहा तो उसे उसके पद से हटाया जा सकता है। इसके लिए

– समय से पहले प्रधान को पद से हटाने के लिए एक लिखित सूचना जिला पंचायत राज अधिकारी को देनी होती है।

– इसमें ग्राम पंचायत के आधे सदस्यों के हस्ताक्षर होने ज़रूरी होते हैं।

-1000 तक की आबादी वाले गांवों में 10 ग्राम पंचायत सदस्य, 2,000 तक में 11 तथा 3,000 की आबादी तक में 15 सदस्य होने चाहिए।

– सूचना में सभी कारणों के बारे में लिखा होना चाहिए।

– हस्ताक्षर करने वाले ग्राम पंचायत सदस्यों में से तीन सदस्यों का जिला पंचायतीराज अधिकारी के सामने उपस्थित होना अनिवार्य है।

– सूचना मिलने के 30 दिन के अंदर जिला पंचायत राज अधिकारी गांव में एक बैठक बुलाएगा। जिसकी सूचना कम से कम 15 दिन पहले दी जाएगी।

– बैठक में उपस्थित और वोट देने वाले सदस्यों के 2/3 बहुमत से प्रधान को पदमुक्त किया जा सकता है।

आपकी जानकरी के लिए बता दें, पूरे देश में 2 लाख 39 हजार ग्राम पंचायतें हैं। पंचायती राज अधिनियम 1992 के बाद प्रधान या मुखिया पद का महत्व और भी बढ़ गया है। संविधान के अनुच्छेद 243 के तहत पंचायती राज व्यवस्था में ग्रामसभा और ग्राम पंचायत के गठन का प्रावधान किया गया है। इसके लिए 73वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 तत्कालीन प्रधानमंत्री पी. वी. नरसिंह राव के कार्यकाल में प्रभावी हुआ। विधेयक के संसद द्वारा पारित होने के बाद 24 अप्रैल, 1993 से 73वां संविधान संशोधन अधिनियम लागू हुआ। जिसे 24 अप्रैल को ‘राष्ट्रीय पंचायत दिवस’के रूप में मनाया जाता है।

उम्मीद है कि आपको प्रधान के कार्य से लेकर उसके अधिकारों और ज़िम्मेदारियों के बारे में अच्छे से मालूम हो गया होगा। अब आप इसके बाद पंचायती चुनाव में अपने हेतु सही प्रधान की नियुक्ति के लिए उम्मीदवारों को अपने हिसाब से टटोल सकते हैं।