जल ही जीवन है
बिन पानी सब सून
ये कहावते हम सब अक्सर ही सुनते है । इन कहावतों का आशय यह है कि पृथ्वी पर जीवन का आधार यहां मौजूद जल ही है। पानी का मूल्य समझना है तो उन लोगों से पूछो जो पानी के लिए घंटों लाइन में लगे रहते हैं या मीलों दूर से लाते हैं। ये तस्वीर बुंदेलखंड के चित्रकूट जिले की है जहाँ बारहों महीने लोगों को पानी की समस्या से जूझना पड़ता है। गाँव की महिलाएं सुबह चार बजे ही दिन में पीने के पानी की तलास में निकल जाती हैं। सोचिए! कितना मुश्किल होता होगा उन महिलाओं को जो भोर से पानी की तलास और फिर घर का काम, खेत जाना और फिर शाम सुबह पानी की तलास मानों यही जिन्दगी बन गई हो।
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बचपन स्वतंत्र जिदंगी का वो हिस्सा है, जहां न गम होता है न किसी बात की चिंता। बेफिक्र बेपनाह खुशी स्वछंद उड़ने की आजादी एवं माता-पिता समाज का बेइंतहा प्यार मिलने का नाम बचपन है। इन सबको पीछे छोड़ ये बच्चा निकल पड़ा है पानी की तलास में। जिस उम्र में बच्चे के कंधे पर कॉपी- किताब का बोझ होना चाहिए उस उम्र में खुद से ज्यादा बोझ लेकर पानी ढूंढने की चिंता चेहरे पर साफ झलक रही है।
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ये तस्वीर भी बुंदेलखंड की है जो हर किसी को निशब्द कर देती है, सिर पर पानी का बोझ बगल में बच्चा, पांव में चप्पल तक नहीं और जंगल-जंगल पानी के लिए भटकना देश में जलसंकट की दुर्लभ तस्वीर को बयाँ कर रही है।
कहते हैं डर के आगे जीत है! कुछ ऐसी ही है इस तस्वीर की कहानी, ये तस्वीर चित्रकूट के ऐसे जंगल से है जहाँ आमतौर पर लोग नहीं जाते लेकिन पानी की तलास में ये महिला पहुँच गई। जंगल में पहाडो के बीच से निकल रही पानी की पतली धार से लोटे में पानी लेकर बाल्टी में कपड़े से पानी छानकर बाल्टी में इकठ्ठा कर रही हैं।
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ऐसी तस्वीरों से रूबरू कराने का हमारा मकसद हो रही पानी की बर्वादी को खत्म करना है। अगर जल संरक्षण पर ध्यान नहीं दिया गया तो वो दिन दूर नहीं जब यह संकट जल्द ही ‘जल युद्ध’ का रूप अख्तियार कर सकता है।
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हालाँकि बाँदा जिले के डीएम ने जल संकट से निपटने के लिए जनपद में कुआं-तालाब जियाओ अभियान शुरू किया है। इसमें सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को भी जोड़ा। गांव-गांव जल चौपाल लगाकर ग्रामीणों को कुआं व तालाब का महत्व बताया। इन्हें पुनर्जिवित करने के लिए शपथ दिलाई। जो काफी सराहनीय है। ऐसे अभियान हर जिले में चलने चाहिए, अगर जनता इस अभियान पर अमल करे तो शायद ऐसी तस्वीरों को दुबारा न देखना पड़े।
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