पोप फ्रांसिस ईसाई धर्म के सबसे बड़े समूह ‘कैथोलिक चर्च / Catholic Church’ के सबसे ऊंचे पद पर थे। इस पद को ही ‘पोप’ कहा जाता है। वे वेटिकन / Vatican सिटी में रहते थे। उनका असली नाम था जोर्ज मारियो बर्गोलियो / Jorge Mario Bergoglio।
लेखन – मीरा देवी
21 अप्रैल 2025 को दुनिया के सबसे बड़े ईसाई धर्मगुरु पोप फ्रांसिस का निधन हो गया। वे 88 साल के थे और काफी समय से बीमार चल रहे थे। वेटिकन सिटी (इटली का एक छोटा-सा देश) में उन्होंने अपनी आखिरी सांस ली। उनके जाने की खबर जैसे ही फैली दुनिया भर में शोक की लहर दौड़ गई। भारत में भी ईसाई समुदाय के साथ-साथ बाकी धर्मों के लोगों ने उन्हें याद किया और श्रद्धांजलि दी। प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति ने भी दुख जताया। देश के कई चर्चों में प्रार्थनाएं हो रही हैं और भारत सरकार ने उनके अंतिम संस्कार में हिस्सा लेने के लिए एक प्रतिनिधि दल भेजने का फैसला लिया है।
पोप फ्रांसिस कौन थे?
पोप फ्रांसिस ईसाई धर्म के सबसे बड़े समूह ‘कैथोलिक चर्च’ के सबसे ऊंचे पद पर थे। इस पद को ही ‘पोप’ कहा जाता है। वे वेटिकन सिटी में रहते थे। उनका असली नाम था जोर्ज मारियो बर्गोलियो। वे अर्जेंटीना (दक्षिण अमेरिका का एक देश) से थे। 2013 में जब उन्हें पोप बनाया गया तब वे पहले लैटिन अमेरिकी और पहले येसुएट समुदाय के पोप बने।
पोप फ्रांसिस बहुत सादा जीवन जीते थे। सोने-चांदी के गहनों की जगह लोहे का क्रॉस पहनते थे और बड़ी-बड़ी गाड़ियों की जगह छोटी सी गाड़ी से चलते थे। उन्होंने चर्च की पुरानी सख्त परंपराओं को थोड़ा नरम किया और गरीबों, पर्यावरण और भाईचारे की बातें सबसे ज़्यादा कीं।
पोप फ्रांसिस भारत के लिए क्यों थे खास?
भारत में करीब ढाई करोड़ लोग ईसाई धर्म मानते हैं यानी देश की आबादी का लगभग 2.3% हिस्सा। केरल, गोवा, तमिलनाडु, मिज़ोरम, नागालैंड और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में ईसाई बड़ी संख्या में रहते हैं। ऐसे में पोप फ्रांसिस का भारत से भी गहरा नाता रहा।
- शांति का संदेश – पोप हमेशा भारत की तारीफ करते थे कि यहां सब धर्म के लोग मिल-जुल कर रहते हैं। वे कहते थे कि दुनिया को भारत से सीखना चाहिए।
- भारत आने की इच्छा – पोप फ्रांसिस कई बार भारत आने की इच्छा जता चुके थे लेकिन सुरक्षा और राजनीतिक कारणों से यह संभव नहीं हो पाया।
- सेवा से जुड़ी संस्थाएं – भारत में बहुत सारे चर्च, स्कूल, अस्पताल और अनाथालय पोप के मार्गदर्शन में चलते हैं। ये गरीबों, बीमारों और बेसहारा बच्चों की सेवा करते हैं।
पोप फ्रांसिस की मौत की खबर और दुनिया का शोक
पिछले कुछ हफ्तों से पोप की तबीयत ठीक नहीं थी। 21 अप्रैल को उनका निधन हो गया। जैसे ही यह खबर आई वेटिकन सिटी में हजारों लोग इकट्ठा हो गए और मोमबत्तियां जलाईं। भारत में भी खासकर केरल, गोवा, मिज़ोरम और नागालैंड जैसे राज्यों के चर्चों में लोग जमा हुए और शोक मनाया। बहुत से लोगों ने कहा कि उन्होंने एक सच्चे इंसान को खो दिया।
पोप फ्रांसिस भारत की सरकार और नेताओं की प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लिखा – “पोप फ्रांसिस ने पूरी दुनिया को दया, सहिष्णुता और भाईचारे की राह दिखाई। भारत उनकी याद हमेशा रखेगा।” राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने भी कहा – “वे सिर्फ ईसाइयों के नहीं, पूरी मानवता के धर्मगुरु थे।” देश के कई मुख्यमंत्रियों और नेताओं ने भी दुख जताया और ईसाई समाज के साथ खड़े होने की बात कही।
पोप फ्रांसिस भारत सरकार अब क्या कर रही है?
भारत सरकार ने फैसला लिया है कि पोप के अंतिम संस्कार में हिस्सा लेने के लिए विदेश मंत्रालय से एक वरिष्ठ मंत्री और भारतीय चर्च के प्रतिनिधि वेटिकन जाएंगे। इसके साथ ही देशभर के चर्चों में झंडे आधे झुकाए गए हैं। सुरक्षा के भी खास इंतजाम किए गए हैं क्योंकि बड़ी संख्या में लोग प्रार्थना के लिए पहुंच रहे हैं।
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