खबर लहरिया Blog मजदूरों ने वन विभाग के ऊपर मजदूरी के पैसे न देने और अभद्रता करने का आरोप लगाया

मजदूरों ने वन विभाग के ऊपर मजदूरी के पैसे न देने और अभद्रता करने का आरोप लगाया

दो जून की रोटी के लिए लोग अपना घर छोड़कर परदेश में मजदूरी करते है और फिर उन मजदूरो की मजदूरी न मिले तो उनके साथ क्या बीतती होगी, ये आप अंदाजा लगा ही सकते है। जी हाँ ऐसा ही एक मामला महोबा जिले में 26 फरवरी को सामने आया था। जिसमे मजदूरों ने वन विभाग के ऊपर मजदूरी के पैसे न देने और अभद्रता करने का आरोप लगाया था। किसी भी तरह की कोई कार्यवाही नही हुई तो मजदूरों ने डीएम आवास घिराव किया था। मध्यप्रदेश से मजदूरी करने आये मजदूरो की मजदूरी न देने पर आधा सैकड़ा से अधिक मजदूरो एडीएम को लिखित ज्ञापन दिया।

मामला महोबा वन विभाग का है जहां पर मध्यप्रदेश के सतना और रीवा जिले से आधा सैकड़ा से अधिक मजदूरो ने वन विभाग के नर्सरी, में गड्डा खुदाई का काम लगभग डेढ़ महिने किया था, और मजदूरी मागने पर अधिकारी उन्हें आजकल का आश्वासन दिया करते थे। जब मजदूरो को खाने-पीने के लिए पैसे नही बचे, आर्थिक स्थिति बुरी हो गयी तो मजदूरों ने वनक्षेत्राधिकारी कार्यालय पहुँचे, और मजदूरी की मांग की। मजदूरो का आरोप है कि उनके साथ अभद्रता और बंधक बनाने का प्रयास किया गया था। आखिर थक हार कर मज़दूरों ने जिलाधिकारी की चौखट पर पहुँचकर न्याय की गुहार लगाई। वहाँ जिलाधिकारी न मिलने पर अपर जिलाधिकारी को प्रार्थना पत्र दिया। मजदूरों ने पत्र में लिखा था कि यदि मजदूरो को कुछ होता है तो इसके जिम्मेदार वन विभाग होगा।

लोगो के अनुसार पान नर्सरी में उन्होंने डेढ़ महीने तक मजदूरी का काम किया था। जिसकी मजदूरी आज तक नही मिली। कई बार मजदूरी मांगी है, पर आश्वासन मिलता रहा है। अब हमारे परिवार चलाने के लिए लाले पड़े है। आर्थिक स्थिति बुरी हो गई है। 26 फरवरी को हम अपने बच्चों को लेकर महोबा वन विभाग गए, जहां पर हमारे साथ गाली गलौज किया गया। डीएम के पास गए थे, वो नही मिले पूरी रात सड़क पर बिताई।

MGNREGA

करीब दो दर्जन मजदूर सतना और रीवा जिले के थे। वन विभाग के द्वारा जिले के मजदूरों को मजदूरी का काम न देकर अंतर्जनपदीय लोगो को बुलाया था। जिसमे डेढ़ महीने पेड़ लगाने और गड्ढे खोदने का किया था। काम पूरा होने के बाद मजदूरों ने जब मजदूरी मांगी तो उनको टहला दिया गया। 26 फरवरी को मजदूरों ने वन विभाग कार्यालय का घेराव किया धरना प्रदर्शन किया। जब वहाँ से कोई मदद नही मिली तो कलक्ट्रेड मे डीएम ऑफिस के बाहर अपना डेरा जमा लिया। रात को वन विभाग के कर्मचारी कुछ मजदूरों को कार्यालय ले मजदूरी भुगतान कारने के बहाने ले गए। वहां पर मजदूरों से भद्रता की गई। उनके मोबाइल छीन लिए गए। उनको रोज की मजदूरी से कम रुपये लेने की बात कही गई। लोगो ने नही मानी तो उनको बंधक बनाने की कोशिश की गई। इसकी सूचना लोहिया वाहनी के योगेश यादव को पड़ी तो वह अपनी टीम के साथ मौके पर पहुँचे और मजदूरों को अधिकारियों के चुंगल से छुड़ाया। लोहिया वाहनी के कार्यकताओ ने मजदूरों को खाने के लिए दिया। सर्दी के मौसम में मजदूरों ने अपने छोटे छोटे बच्चों के साथ सड़क पर रात गुजारी।
सरकार अपने जिले के मजदूरो मजदूरी नही दे पा रही है। अधिकारी अंतरराजीय मजदूरों को बुलाकर मजदूरी करा रहे है। आख़िर अधिकारियों के मन मे क्या चल रहा है। क्या उनकी पहले से मजदूरी न देने का प्लान था। हमारे देश पलायन भला कैसे रुकेगा। जब अधिकारी ही पलायन करा रहे है। अगर महोबा जिले के मजदूरों को मजदूरी का काम मिलता तो सतना और रीवा के मजदूर अपने बच्चों के साथ क्यों काम करने आते। और उसमे भी मजदूरी नही दी रही है। आख़िर अब क्या इस मामले में होगा।