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क्वारनटीन सेंटर का हाल बेहाल

क्वारनटीन सेंटर का हाल बेहाल :कोरोना के लिए अब लॉकडाउन 4 लागू कर दिया गया है जितने भी प्रवासी मज़दूर अपने जिले या राज्य को लौट रहें हैं उन्हें क्वारनटीन सेंटर में रखा जा रहा है. लेकिन कई क्वारनटीन सेंटर की हालत बद से बत्तर है. हाल ही में कई ऐसे मामले सामने आये जिन्होंने इन क्वारनटीन सेंटरों की कमियों को उजागर किया।

मुम्बई से परिवार के साथ लौटे एक आदमी की 16 मई को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज के लालापुर कोरंटाइन सेंटर प्रिमाइस में मौत हो गयी। मृतक अपनी पत्नी और बच्चों के साथ उल्लास नगर महाराष्ट्र में रहते थे। 13 मई को वे प्राइवेट वाहन से अपने गांव पंडुआ थाना लालापुर पहुंचे थे। महाराष्ट्र से आने के चलते सभी को गांव में ही बनाये गये कोरेंटाइन सेंटर में रख दिया गया था। 16 मई रात करीब 11.30 बजे मुस्लमीन नाम के ब्यक्ति को सीने में दर्द हुआ तो एम्बुलेंस को फोन किया गया। जब तक एम्बुलेंस पहुंचती उनकी मौत हो चुकी थी. ऐसे ही
उत्तर प्रदेश बांदा जिला के साड़ी गांव के मजरा करिदा डेरा में भी ऐसा ही मामला सामने आया. मृतक मुन्ना के परिजनों के अनुसार लॉकडाउन के चलते अहमदाबाद से चार मजदूर साइकिल यात्रा करके गांव तक 15 दिन में पहुंचे। इसके बाद मुन्ना को कोरेंटाइन सेंटर में रखा गया जहाँ अचानक उसकी तबीयत खराब हो गई.उसके मुंह से खून गिरने लगा तब उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया जहाँ से उसे कानपुर के लिए रिफर कर दिया गया. कानपुर में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। उसकी मौत का कारण उसे खून की कमी बताया गया.

ऐसे ही झारखण्ड के गोला सहित ग्रामीण क्षेत्रों में प्रवासी लोगों के लिए बने शेल्टर होम व कोरंटाइन सेंटरों में सुविधाओं का घोर अभाव है। सबसे बदतर स्थिति पंचायत स्तर पर बने सेंटरों का है। गोला एसएस प्लस टू हाई स्कूल में बने शल्टर होम में कई बार प्रवासी ठहरे, पर यहां की अव्यवस्था को देख कर प्रवासियों को दूसरे दिन ही भागना पड़ा। कोरंटाइन सेंटर में रखे गए लोगों को न भोजन मिल रहा है, ना कोई अन्य सुविधा। अधिकतर कोरंटाइन सेंटर में बिजली पानी तक की सुविधा नहीं है। भोजन तक इन्हें अपने घर से मंगाना पड़ रहा है। जबकि सरकार ने कोरंटाइन सेंटर में रखे गए लोगों के लिए 14वें वित्त आयोग की राशि से प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 60 रुपये खर्च करने का निर्देश दिया गया है। लेकिन हालात आप सब के सामने हैं.


मध्य प्रदेश के भिंड जिले में भी बाहर से आये लोगों को कोरंटाइन सेंटरों में रखा जा रहा है और प्रशासन ने इन लोगों के लिए खाने पीने के साथ साफ-सफाई और अन्य आवश्यक चीजों की उपलब्धता की पूरी व्यवस्था होने का दवा कर रही है. लेकिन वहां के मज़दूरों की माने तो दाल में कीड़े होते हैं तो रोटियां भी खाने लायक नहीं होती. लोगों का तो यहां तक कहना है कि शिकायत करने पर एक दिन ठेकेदार ने उन्हें खाना तक नहीं दिया. हालाकिं मामला सामने आने के बाद कलेक्टर ने कार्रवाई की बात कही है, वैसे बिहार का मामला तो आप सबको याद ही होगा। जहाँ मज़दूरों ने सुविधाओं के अभाव में जम कर बबाल किया. जहां पटना के पण्डारख प्रखंड के राजकीय मध्य विद्यालय में बने केंद्र में जम कर हंगामा और तोड़फोड़ किया गया. इस दौरान सेंटर की दर्जनों कुर्सियां पटक कर और दीवार में मारकर तोड़ दी गई. हंगामा देख सभी मौजूद लोग मौके से फरार हो गए. हंगामा का कारण सेंटर की कुव्यवस्था बताई जा रही है. मज़दूरों के अनुसार न साफ सफाई है न साफ़ शौचालय खाना भी समय पर नहीं मिलता। तोड़फोड़ करने के बाद सभी ने एनएच 31 मुख्य मार्ग पर आकर कुछ देर के लिए जाम लगाया. हालाकिं मौके पर पहुंची पुलिस ने क्वारंटाइन किए गए लोगों को समझाया.
बिहार के ही खड़गपुर के नरेंद्र सिंह महाविद्यालय में बने कोरेंटाइन सेंटर में रह रहे प्रवासी मजदूरों ने सुविधा और व्यवस्था के अभाव को लेकर जमकर हंगामा किया और प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी एवं प्रदर्शन किया।

17 मई को सभी प्रवासी खाना, पेयजल, शौचालय और आवश्यकता से अधिक लोगों को रखने के विरोध में धरने पर बैठ गए। मजदूरों ने कोरेंटाइन सेंटर में लगे लाउडस्पीकर को अपने कब्जे में लेकर समय पर लोगों को खाना न देने और पेयजल की समस्या को लेकर प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। लोगों का कहना था कि कई बार कहने के बावजूद हमलोगों की अबतक जांच नहीं की गई। कोलकाता आदि प्रदेशों से आए 50 लोगों की कोई सुध नहीं ली जा रही है। इनको कोरेंटाइन सेंटर के बाहर ही वॉलीबॉल कोर्ट में रात गुजारनी पड़ी। इन्हें न कोई खाना और न ही पानी दिया। सुबह होते ही प्रवासी एक जगह इकठ्ठे होकर धरना पर बैठ गए।