देश में इस वक्त कोरोना महामारी से जूझ रहा है भारत में अब तक कोरोना के कुल केस 9 लाख से ऊपर हो गए हैं। वैसे पूरी दुनिया के वैज्ञानिक इसका इलाज़ ढूंढ रहे है लेकिन कोई ठोस वैक्सीन नहीं बन पाई है। इस बीच प्लाज्मा थेरेपी के जरिये इलाज किया जा रहा है लेकिन अब इसकी काला बाजारी भी सामने आई है।
महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने किया प्लाज़्मा रैकेट का बड़ा खुलासा
महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने एक बड़ा खुलासा करते हुए बताया है कि कोरोना के मरीज़ों को ठीक करने के लिए प्लाजमा थेरेपी का प्रयोग राज्य में किया जा रहा है जिसका फायदा भी मरीज़ों को मिल रहा है। इस प्लाज्मा थेरेपी के नाम पर कई सारे लोग धांधली और कालाबाजारी करने में जुट चुके हैं। लोग अब कोरोना पॉजिटिव ना होते हुए भी खुद को कोरोना पॉजिटिव बता रहे हैं और प्लाज्मा डोनेट करने की बात कर रहे हैं।
ऐसी कई शिकायतें सरकार के पास आई है। उन्होंने बताया कि डार्क नेट पर प्लाज़मा 10 लाख रुपए प्रति लीटर के हिसाब से बिक रहा है। उन्होंने बताया कि मुंबई और आसपास के इलाकों में प्लाज्मा रैकेट काम कर रहा है। फिलहाल इस मामले में कोई भी आधिकारिक शिकायत अभी तक दर्ज नहीं करवाई गई है। लेकिन सरकार ने अपनी तरफ से सभी लोगों को सतर्क किया है।
क्या है प्लाज्मा थेरेपी
प्लाज्मा थेरेपी सिस्टम इस तरह काम करता है कि जो मरीज किसी संक्रमण( कोरोना ) से उबर कर ठीक हो जाते हैं उनके शरीर में वायरस के संक्रमण को बेअसर करने वाले प्रतिरोधी एंटीबॉडीज विकसित हो जाते हैं। इसके बाद उस वायरस से पीड़ित नए मरीज़ों के खून में पुराने ठीक हो चुके मरीज का खून डालकर इन एंटीबॉडीज के जरिए नए मरीज के शरीर में मौजूद वायरस को खत्म किया जा सकता है।
जब कोई वायरस किसी व्यक्ति पर हमला करता है तो उसके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता संक्रमण से लड़ने के लिए एंटीबॉडीज कहे जाने वाले प्रोटीन को बढाती है। अगर वायरस से संक्रमित किसी व्यक्ति के खून में पर्याप्त मात्रा में एंटीबॉडीज विकसित होता है तो वह वायरस की वजह से होने वाली बीमारियों से ठीक हो सकता है।
डार्क नेट किसे कहते हैं ?
डार्क नेट इंटरनेट का वह हिस्सा है जिसे आमतौर पर प्रयोग किए जाने वाले सर्च इंजन से एक्सेस नहीं किया जा सकता। इसका इस्तेमाल मानव तस्करी, नशीले पदार्थों की खरीद और बिक्री, हथियारों की तस्करी जैसी अवैध गतिविधियों में किया जाता है।
इसे ही डार्क वेब, डीप वेब या डार्क नेट कहते है। जिसे हम इंटरनेट की दुनिया मानते हैं वो केवल चार प्रतिशत ही है, मतलब सिर्फ उतना ही हम जैसे सामन्य लोग यूज़ करते है बाकी के 96 प्रतिशत डार्क नेट यूज़ होता है। सरल शब्दों में कहे तो जितने भी गैर कानूनी धंधे होते है वो यहीं होते है।
रेमडेसिविर की कालाबाजारी भी सामने आई
हाल ही में महाराष्ट्र में कोरोना के लिए सबसे कारगर इंजेक्शन रेमडेसिविर की कालाबाजारी की ख़बरें सामने आई थी। जहां पर खुद फूड एंड ड्रग्स विभाग के मंत्री राजेंद्र शिंगणे ने मुंबई के कुछ मेडिकल स्टोर्स पर औचक निरीक्षण किया था और छानबीन की थी। उन्होंने खुद इस बात को स्वीकार भी किया था कि राज्य में इस दवा की भारी किल्लत है। इस दवा को सभी अस्पतालों में भरपूर मात्रा में सप्लाई करने के लिए दवा को बनाने वाली सभी कंपनियों से बातचीत शुरू है और खरीदने की प्रक्रिया आरंभ कर दी गई है।
रेमडेसिवीर की कालाबाजारी करते हुए मुंबई से लगे नालासोपारा में पुलिस ने दो लोगों को अरेस्ट भी किया था। जो 54 हजार की दवा को 25 हजार में लोगों को बेच रहे थे। इस दवा की वजह से मुंबई के कई मेडिकल स्टोर्स पर लोगों की भारी भीड़ देखी गई थी और जान बचाने के लिए लोग इस दवा को मुंह मांगे दाम पर खरीदने को मजबूर थे।