हमारे समाज में सबको कानूनी तौर पर बराबर का अधिकार है। कहा जाता है कि जिस व्यक्ति को कानूनी तौर पर वोट डालने का अधिकार मिल जाला है वो हर तरह से देश का नागरिक माना जाता है। और अपने क्षेत्र की सरकारी सुविधाएं लेने का अधिकार होता है। इसके बावजूद हमारे यहाँ ऐसे बहुत से समुदाय हैं जिनको वोट डालने का अधिकार तो है लेकिन अगर बात करे उनके जमीनी हकीकत की तो उनको किसी तरह का कोई नहीं मिलता।
ऐसा ही एक समुदाय है जिसे लोग लोगडिया कहते हैं इन्हें बहुत से लोग पछैयां भी कहते हैं। पहले ये लोग अलग-अलग जगह बैलगाड़ी मे ग्रेस्ती लिए डेरा डाल कर रहते थे। इनके पास वोट डालने का अधिकार नहीं था क्योंकि इनका कोई स्थानीय ठिकाना नहीं था। समय के हिसाब से इन लोगों ने अपना रहन सहन तो बदला अपनी कमाई से थोड़ा- थोड़ा पैसा इकट्ठा किया जमीन भी ली। इन लोगों को वोट डालने का अधिकार तो मिला लेकिन आज भी इन लोगों को सरकारी लाभ कुछ नहीं मिलता।
चित्रकूट जिले के विकास खंंड पहाड़ी के कस्बा में लगभग 20 साल से 15 परिवार रह रहे हैं। उनका कहना है वह यहां 20 साल से रहते हैं और 12 साल से खुद की जमीन खरीद कर रहे रहे हैं और वोट भी डालते हैं। जब चुनाव आते हैं नेता प्रधान यहाँ आते हैं आस्वाशन भी देते हैं। लेकिन बाद मे कोई नहीं आता न ही हमे कोई सुविधा मिलती है। डीएम के पास गये ब्लाक में गये और प्रधान सबसे कह चुके हैं, लेकिन उनकी सुनवाई कही नहीं होती।
इनका पुस्तैनी काम है लोहा का समान बेचना महिला पुरूष सब लोहा कूटकर उससे हसिया, कुल्हाड़ी, खुर्पी बनाते हैं फिर गांव गांव बेचते हैं। दो साल से लाकडाऊन की वजह से इनका काम भी बंद है।
लोगों ने बताया इस समय इन लोगों के पास खाने तक को नहीं है कई कई टाइम तो हमें भूखा ही सोना पड़ता है। छोटे छोट बच्चे भूखे रहते हैं नमक रोटी खाते हैं कभी भूखे रहते हैं।
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