खबर लहरिया Blog लॉकडाउन का पर्यावरण पर असर, स्वच्छ हुई शहर की आबोहवा

लॉकडाउन का पर्यावरण पर असर, स्वच्छ हुई शहर की आबोहवा

लॉकडाउन का पर्यावरण पर असर, स्वच्छ हुई शहर की आबोहवा :कोरोना और लॉकडाउन की वजह से देश कई तरह की समस्याओं से जूझ रहा है लेकिन दूसरी तरफ इससे प्रदूषण में बड़ी कमी देखने को मिल रही है। सड़क पर गाड़ियों की कतारें, धुंआ उगलती फैक्ट्रियां और धूल बिखेरते निर्माण कार्य हमारे शहरों के विकास की पहचान बन गए थे। इस सब ने हमारे शहरों की हवा को कितना जहरीला और नदियों को कितना प्रदूषित किया, यह हम सब जानते हैं। अब लॉक डाउन में पर्यावरण जो सुधार हुआ है वह भी देखने योग्य है।
लोगों ने न ऐसी साफ-सुथरी हवा पिछले कई दशकों से महसूस की और न ही ऐसा मनमोहक नीला आकाश देखा है। तमाम सरकारी गैर सरकारी कोशिशें भी वह नहीं कर सकीं, जिसे कोरोना का संक्रमण रोकने के लिए किए गए लॉकडाउन ने कर दिखाया। आज आबोहवा पूरी तरह बदल चुकी है।जहां एक ओर इसके कारण मानव जीवन अस्त-व्यस्त हुआ है, वहीं दूसरी ओर यह प्रकृति के लिए किसी वरदान से कम नहीं रहा है। पूरी दुनिया जिस पर्यावरण की रक्षा और चिंता को ले कर बड़ी-बड़ी संगोष्ठियां कर कार्य योजनाएं बनाती रही, अरबों रुपये भी खर्च किए गए, लेकिन फिर भी कोई हल न निकल सका। पर इस स्थिति में पर्यावरण पर असर  काफ़ी अच्छा  हुआ है और सुधार आया है।

पिछले करीब सवा महीने की बात की जाए तो पता चलता है कि लॉकडाउन के कारण जनता को भले ही परेशानियों का सामना करना पड़ा हो, लेकिन पर्यावरण को लेकर लॉकडाउन का सकारात्मक पहलू भी सामने आया है। पूरी दुनिया में प्रदूषण का स्तर काफी कम देखने को मिल रहा है। हवा लगभग साफ हो गई है। लॉकडाउन के कारण पर्यावरण में आया सकारात्मक बदलाव हमें इस बात का अहसास कराता है कि यदि प्रकृति और उसके संसाधनों का अनुचित दोहन नहीं किया जाए तो हम कई मुसीबतों जैसे बाढ़, सूखा, बढ़ते तापमान आदि से बच सकते हैं।
हर वर्ष की भांति इस वर्ष गर्मी कम पड़ रही है अगर सुबह का तापमान देखा जाए तो इस मई के महीने में सुबह हल्की ठंड महसूस होती है जो दिल को सुकून देता है। बादल, बारिश और उत्तरी हवा के कारण ठंड महसूस होती रही। इसके बाद मौसम कुछ सुधरा। हर वर्ष अगर 2019 की बात करें तो इतना टाइम इतनी धूप और असहनीय गर्मी होती थी जिससे मानव, जीव जंतु ब्याकुल थे। लेकिन इस टाईम लोगों को सुखद अनुभूति हो रही है।सरकार को इस बात पर विचार करना चाहिए और सोचना चाहिए की ऐसा क्या किया जाए जिससे साफ और शुद्ध हवा मिलती रहे और जो पर्यावरण में सुधार हुआ है वह ऐसे ही बरकरार रहे।