जिला बांदा: खेत में जाने के लिए रास्ता और सिंचाई के लिए नाली की मांग को लेकर 1 सितंबर से खेत में ही सत्यग्रह अनशन पर पल्हरी गांव के बीसो किसान बैठे हुए हैं। अब 8 सितंबर को पैदल यात्रा कर लखनऊ के लिए भी रवाना होंगे। किसानों का आरोप है कि जिस रास्ते और नाली की मांग की लड़ाई के लिए वह आज खेत में ही अनशन पर बैठे हैं वहां से पहले रास्ता था और नाली थी। उस रास्ते और नाली से वह तीन पीढ़ी से बराबर निकलते आ रहे हैं। लेकिन इस साल उस रास्ते को अचनक बंद कर दिया गया है। जिससे उनको खेत में आने-जाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
जब इस मामले को लेकर के वह नरैनी तहसील एसडीएम और तहसीलदार के पास पहुंचे तो उन्होंने इस पर कार्यवाही नहीं की। उनका आरोप है कि तहसीलदार दूसरे पक्ष को अपना रिश्तेदार समझ कर सपोर्ट कर रहा है। यही कारण है कि उनकी समस्या नहीं सुनी जा रही है। इसलिए अब वह लखनऊ जाएंगे और मुख्यमंत्री को अपनी इस समस्या को सुनाएंगे।
जानते है इस मामले पर एसडीएम का क्या कहना है
फिलहाल नरैनी एसडीएम वंदिता श्रीवास्तव और कानूनगो द्वारा अनशन समाप्त करवा दिया गया है और रास्ता दिला दिया गया है। किसानों ने बताया कि जैसे ही खबर लहरिया ने बात की है उसके थोड़ी देर बाद ही एसडीएम और कानूनगो यहां पर आए और उन्होंने कार्यवाही करवाई। उन्होंने खेत में लगा एंगल और तार हटवा दिए और रास्ता निकाल दिया। 3 महीने का उनसे विभाग ने समय मांगा है कि 3 महीने बाद जैसे ही पानी सूखता है तो वह सेक्टर भी निकाल देंगे।
किसानों का कहना है कि हमने हमने भी अधिकारियों से कहा है कि आप जिस तरह से रास्ते को खुलवा कर हमारा अनशन तुड़वा रहे हैं उसी तरह हमारा अनशन भी अस्थाई रहेगा। 3 महीने बाद अगर रास्ता नहीं बनता है तो दोबारा से अनशन चालू हो जाएगा। किसानों का कहना है कि अभी तो फिलहाल लखनऊ जाने का प्रोग्राम कैंसिल हो गया लेकिन 3 महीने बाद अगर रास्ता नहीं बनता तो अनशन करेंगे और जरूरत पड़ी तो फिर लखनऊ भी जाएंगे।
सड़क बंद होने से खेती हुई बर्बाद
बांदा जिले के नरैनी तहसील अंतर्गत आने वाले पल्हरी गांव के किसान शैलेंद्र सिंह, दिलीप सिंह और कमल सिंह का आरोप है कि तीन पीढ़ी से चकरोड़ बना था। सिंचाई के लिए उसी चकरोड़ से नाली भी निकली थी। उनके दादा-परदादा और पिता भी उसी रास्ते से निकलते थे। खेत खलियान का काम करते थे। जैसे खेत में जाकर पानी लगाना, बुवाई करना, जुताई करना आदि। वह सेक्टर इतना चौड़ा था कि वहां से बैलगाड़ी ट्रैक्टर वगैरह सब निकल जाता था। किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं होती थी। इतना ही नहीं वह रास्ता आगे आधी दूरी तक पक्की रोड में भी बना है। लेकिन इस साल बगल के खेत के किसान ने सेक्टर को ही जोत लिया है। इसलिए उनको आने जाने में दिक्कत हो रही है।
रास्ता ना होने से इस साल उनकी फसल की बुवाई भी लेट हो पाई है क्योंकि धान में पानी की जरूरत होती है और रास्ता ना होने से वह निकल नहीं पा रहे थे। पानी वहां तक नहीं जा पा रहा था। जिस कारण वह काफी परेशान थे। बड़ी मुश्किल के बाद उन्होंने किसी तरह 3 दिन पहले ही धान की बेड खेत में लगाई है जो बिल्कुल मुरझाई हुई नजर आ रही है। अगर यही बेड समय से लग जाती तो जैसे अन्य खेतों में हरी-भरी फसल दिखती है,उनकी खेतों में भी होती। लेकिन इतना लेट हो गया कि उससे उनकी फसल को नुकसान हो गया। अगर फसल की पैदावार अच्छी नहीं होगी तो वह किसान भुखमरी की कगार पर आ जाएंगे क्योंकि वह लोग खेती के सहारे ही अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं।
तहसील से लेकर डीएम तक सुनाई आपबीती
कुट्ट सिंह,राजाराम और धीरज बताते हैं कि यहां पर किसी की भूमि नहीं है। पहले से सेक्टर था और वह सरकारी ज़मीन है, जिसको जोत लिया गया है। इसलिए वह चाहते हैं कि जैसे पहले सेक्टर था उसी तरह बना रहे। जो सेक्टर जोत लिया गया है उसको प्रशासन द्वारा निकाला जाए। उन्होंने बताया कि कई बार वह लोग विभागों के चक्कर लगा चुके हैं लेकिन विभाग इस पर कोई भी कार्यवाही करने से कतरा रहा है।
उन्होंने यह भी बतया कि 1 दिन तहसीलदार आए थे और निरीक्षण करके जेसीबी द्वारा थोड़ी दूर तक रास्ते को खुदवाया। जो तार लगा था उसको भी हटवाया है। इसके बाद पता नहीं क्या सोचा कि फिर वापस चले गए और अब कह रहे हैं कि रास्ता यहां से नहीं होगा। लोगों का कहना है कि यहां से बैलगाड़ी और ट्रैक्टर निकलना तो दूर की बात अब पैदल चलना भी मुश्किल हो रहा है।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि विभाग पैसा पा गया है, इसी कारण नहीं सुन रहा और ना ही नाप कर रहा है। इसलिए वह अनशन पर बैठे हैं। जब तक उनको न्याय नहीं मिलेगा तब तक वह बराबर बैठे रहेंगे। उन्होंने 6 तारीख को खेत पर सुद्धि-बुद्धि हवन भी किया है। उनका कहना है कि इस सेक्टर से आने जाने के लिए लगभग 22 किसानों की खेती पड़ती है। उन सभी किसानों को निकलने के लिए समस्या आ रही है। सिंचाई के लिए पानी की भी दिक्कत आ रही है। अगर यही स्थिति रही और सुनवाई नहीं हुई तो आगे उनकी खेती परती पड़ जाएगी क्योंकि निकलने के लिए साधन ही नहीं होगा। सिर पर रख के कितना बोझा ढोएगें या मजदूरों में पैसा खर्च करगें।
आजकल वैसे भी खेती बाड़ी में कुछ खास पैदावार नहीं होती है और अगर होती भी है, तो समय से खाद बीज और पानी नहीं मिलता। इसलिए भी फसल ठीक से नहीं हो पाती और किसान कर्ज की स्थिति में डूबता चला जा रहा है। उनका कहना है कि यहां से कोई कार्यवाही नहीं हो रही है तो वह 8 सितंबर को 2 बजे के बाद यहां से पैदल यात्रा करके लगभग पचासों किसान लखनऊ के लिए रवाना होंगे और 15 सितंबर को मुख्यमंत्री आवास के सामने सत्याग्रह करेंगे। लेकिन वह न्याय पाकर ही रहेंगे, क्योंकि यहां पर गलत हो रहा है उन किसानों के साथ जब पहले से यहां पर रास्ता था तो क्यों नहीं दिलाया जा रहा है क्यों प्रशासन इसमें पक्षपात कर रहा है।
इस खबर की रिपोर्टिंग गीता देवी द्वारा की गयी है।
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