26 अप्रैल 2012 को रिलीज़ हुई फिल्म तेज़ एक्चुली हॉलीबुड की फिल्म स्पीड से प्रेरित था | फर्क यह है कि ‘स्पीड’ में बस में बम रखा है जबकि ‘तेज’ में एक ब्रिटिश ट्रेन में जिसकी स्पीड 60 मील से कम होते ही धमाका हो जाएगा। अब शुरु होती है यात्रियों को बचाने की जद्दोजहद और यह भी कुछ ऐसे ही होता है जैसे ‘स्पीड’ में देखा गया था।
तेज की कहानी तीन ट्रेक पर चलती है। पहला ट्रेक है बम लगाने वाले आकाश राणा यानी अजय देवगन का, जो लंदन से ग्लासगो जा रही ट्रेन में बम लगा देता है। ट्रेन की स्पीड 60 मील प्रति घंटे की रफ्तार से कम की जाएगी या रोक दी जाएगी तो बम फट जाएगा और उसमें बैठे यात्रियों की जान जा सकती है। वह 10 मिलियन यूरो की मांग करता है। दूसरा ट्रेक है उसे पकड़ने के लिए निकले लंदन काउंटर टेररिज्म ऑफिसर अर्जुन खन्ना यानी अनिल कपूर का जो कॉले डिटेल और पैसे देने के बहाने आकाश को गिरफ्तार करना चाहता है।
तीसरा ट्रेक है रेलवे ट्रेफिक कंट्रोलर संजय यानी बोमन ईरानी का जो न केवल आकाश से लगातार बात करता रहता है बल्कि इस कोशिश में लगा हुआ है कि ट्रेन किसी तरह रोकी जाए। उसकी बेटी भी उसी ट्रेन में सफर कर रही है। ये तीनों ट्रेक एक साथ चलते रहते हैं और इनमें सबसे अच्छी है अर्जुन और आकाश वाली कहानी। अगर आपने टॉम ऐन जैरी के फैन हो तो आप इसमें खो जाएंगे ठीक वैसे ही इन दोनों के बिच चूहे-बिल्ली का खेल चलता रहता है और इस कारण ही फिल्म में रोचकता बनी रहती है। ‘तेज’ की सबसे बड़ी कमजोरी इसकी कहानी है।
जी हाँ आकाश के बम लगाने के पीछे जो कारण बताया गया है वो बहुत ही कमजोर और बेतुका है। आकाश पिछले दरवाजे से इंग्लैंड में घुसता है और पकड़ा जाता है। इसका गुस्सा वह इस तरीके से निकालता है। मतलब कुछ भी तो बाकी की कहानी आप फिल्म देख कर खुद जानिये क्योकि ये फिल्म आपको यूट्यूब पर आसानी से मिल जायेगी।