जैसे जैसे पश्चिम बंगाल में विधान सभा चुनाव का समय नज़दीक आ रहा है, वैसे–वैसे बंगाल में सियासी मुद्दे गरमाते जा रहे हैं। राष्ट्रीय जनता दल (रजद) के नेता तेजस्वी यादव ने सोमवार, 1 मार्च, 2021 को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात की और बंगाल में आगामी विधानसभा चुनावों में उन्हें अपना पूर्ण समर्थन देने की पेशकश भी की।
“हर हाल में करूंगा ममता का समर्थन”-तेजस्वी
राज्य सचिवालय नबन्ना में ममता बनर्जी से मिलने के बाद तेजस्वी यादव ने अपने पिता का जिक्र करते हुए कहा कि, “बिहार और आसपास के अन्य राज्यों के कई लोग पश्चिम बंगाल में रहते हैं। मैं बिहार के सभी लोगों से एकजुट होकर ममता जी का समर्थन करने की अपील करता हूं। मैं उनका समर्थन करने के लिए हर वो कोशिश करूंगा जिससे वो आगामी चुनाव में भारी मतों से जीत हासिल करें। इस बार के विधान सभा चुनाव का मकसद बंगाल और उसकी संस्कृति की रक्षा करना है, जो अद्वितीय है। यह बंगाल के मूल्यों को बचाने की लड़ाई है। हमारे और आप सभी के नेता लालू प्रसाद जी भी यह चाहते हैं।”
पीटीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार तेजस्वी ने कहा कि वो नहीं चाहते कि भाजपा चुनाव आयोग को नियंत्रित करे। बताते चलें कि तेजस्वी यादव ने बिहार चुनाव के दौरान एनडीए के खिलाफ चुनावी लड़ाई का बहुत बखूबी से नेतृत्व किया था। और इस समय उनका चुनावी मैदान में ममता के समर्थन में उतरना, बंगाल के अल्पसंख्यक वर्ग का वोट तृणमूल कांग्रेस की ओर खींचने का एक बहुत ही बढ़िया रणनीति मानी जा रही है।
इसके साथ ही आपको बता दें कि इस बार राजद तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की सहयोगी के रूप में कुछ सीटों पर चुनाव लड़ेगी। आगामी चुनाव के प्रचार के चलते तेजस्वी यादव दो दिन पहले बंगाल पहुंचे और पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की।
अखिलेश ने भी किया है गठबंधन का सहयोग-
इस गठबंधन का समर्थन करते हुए, यूपी के पूर्व मुख्यामंत्री अखिलेश यादव ने पश्चिम बंगाल में आठ चरणों में विधानसभा चुनाव कराने के आयोग के फैसले के खिलाफ ममता बनर्जी द्वारा की गई आपत्तियों का समर्थन किया है। अखिलेश ने कहा कि कई चरणों में चुनाव कराना भाजपा की पुरानी रणनीति है।
इसके साथ ही पिछले महीने कांग्रेस–आईएसएफ गठबंधन में शामिल होने के लिए तेजस्वी यादव ने आमंत्रण ठुकरा दिया था, और अब जब वो ममता के समर्थन में उतरे हैं तब कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने इस अलाइंस को नेहरूवादी विचारधारा के विरुद्ध बताया है।
एकदम से बने इस गठबंधन को राजद की एक सोची समझी रणनीति माना जा रहा है। क्यूंकि बीते साल बिहार चुनाव में एनडीए ने राजद को बहुत अच्छी टक्कर दी थी, जिसको मद्देनज़र रखते हुए ऐसा माना जा रहा है कि बंगाल में बीजेपी की सरकार बनने से रोकने के लिए तेजस्वी बनर्जी का समर्थन करने वहां पहुँच गए।
अब यह तो वक़्त बताएगा कि हर पार्टी के द्वारा इतने सियासी षड्यंत्र बनाने के बाद कौन सी पार्टी बाज़ी मारेगी।
इस खबर को खबर लहरिया के लिए फ़ाएज़ा हाशमी द्वारा लिखा गया है।