देश भर में जारी कोरोना के खिलाफ जंग के बीच मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने ‘भारत पढ़े ऑनलाइन’ मुहिम की शुरुआत की है। इसके लि्ए उन्होंने ऑनलाइन शिक्षा पद्धति को ज्यादा प्रभावशाली और रचनात्मक बनाने के लिए सुझाव मांगे हैं। इस अभियान का उद्देश्य भारत में डिजिटल शिक्षा के लिए उपलब्ध प्लेटफार्म को और बढ़ावा देना तथा देशभर के बुद्धिमान लोगों से इसमें आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए सुझाव लेना है। सभी सुझाव सीधे-सीधे मानव संसाधन विकास मंत्रालय एवं मानव संसाधन विकास मंत्री के साथ साझा किये जायेंगे। इस ऑनलाइन शिक्षा कार्यक्रम के बारे में अगर कोई सुझाव है तो ‘भारत पढ़े ऑनलाइन हैश टैग ( #BharatPadheOnline )’ पर पोस्ट कर सकता है। इसके अलावा
bharatpadheonline.mhrd@gmail.com पर भी भेज सकते हैं। इसके लिए उन्होंने अपना एक वीडियो भी जारी किया है।
मेरा आप सभी से निवेदन है कि आप सब मंत्रालय को ऑनलाइन शिक्षा पद्धति को और अधिक प्रभावशाली और रचनात्मक बनाने हेतु अपने सुझाव दें। आप सभी अपने सुझाव #BharatPadheonline का उपयोग करते हुए मेरे @DrRPNishank व मंत्रालय के @HRDMinistry टि्वटर अकाउंट में भेज सकतें हैं। #IndiaFightsCorona pic.twitter.com/BkSQMjb82e
— Dr. Ramesh Pokhriyal Nishank ( Modi Ka Parivar) (@DrRPNishank) April 10, 2020
कोरोना वायरस से पैदा हुए हालातों को देखते हुए ऑनलाइन शिक्षा को तेजी से बढ़ावा देने का यह फैसला किया गया है। दरअसल, जब तक कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा पूरी तरह से नहीं टल जाता तब तक स्कूल- कॉलेजों को खोलना मुश्किल है। ऐसे में ऑनलाइन शिक्षण ही विद्यार्थियों की पढ़ाई का एकमात्र जरिया है। कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण बच्चों से लेकर युवाओं तक की पढ़ाई पूरी तरह से चौपट हो गई है। सभी स्कूल-कॉलेज बंद हैं। लॉकडाउन के चलते छात्र-छात्राएं परिवार सहित घर में कैद हैं। स्कूल-कॉलेजों ने व्हाट्सएप और ऑनलाइन क्लास शुरू कर छात्र-छात्राओं को पढ़ाने का काम शुरू कर दिया है। भारत पढ़े ऑनलाइन कार्यक्रम की शुरुआत तो अच्छी है लेकिन, इंटरनेट स्पीड और कम डाटा उपलब्ध होना ऑनलाइन पढ़ाई के दुश्मन साबित हो रहे हैं।
कोरोना संक्रमितों की बढ़ती संख्या को देखते हुए शायद ही कभी स्कूल-कॉलेज खुलें। इसका अभी कुछ पता नहीं है इससे छात्र-छात्राएं सिर्फ ऑनलाइन पढ़ाई पर निर्भर हो गए हैं। ज्यादातर स्कूलों ने ऑनलाइन शिक्षण की शुरुआत एक अप्रैल से ही कर दी थी। इसके तहत अध्यापकों द्वारा पाठ्यक्रम के अनुसार ऑनलाइन शिक्षा दी जा रही है। इससे जहां बच्चों का पाठ्यक्रम समय से पूरा हो सकेगा। वहीं, पढ़ाई का ज्यादा नुकसान भी नहीं होगा।
शहरों के लिए तो ये बात ठीक है लेकिन अगर ग्रामीण स्तर की बात की जाए तो वहां किस प्रकार ऑनलाइन पढ़ाई होगी? न इंटरनेट की सुविधा और न ही पर्याप्त बिजली।
दिल्ली में ऑनलाइन पढ़ा रही कुछ शिक्षिकाओं से हमारी बात हुई तो उन्होंने बताया कि स्कूल की अपनी टाइमिंग फिक्स थी 8 बजे से 3 बजे तक। लेकिन जबसे घर से पढ़ाई कराई जा रही है कोई समय सीमा ही नहीं होती। सुबह 8 बजे से रात के 10 भी बज जाते हैं। ऐसे में अगले दिन बच्चों को क्या पढ़ाएंगे या क्या गेम खेलाया जायेगा इसकी प्रेक्टिस भी नहीं हो पाती। हर क्लास के बच्चों का अलग-अलग क्लास लिया जाता है और वो भी ऑनलाइन ही होना है और इंटरनेट स्पीड तो सिरदर्द बढ़ा रहा है। ऐसे में डबल मेहनत और टाइम भी डबल बेस्ट हो रहा है। लेकिन क्या किया जाये? हमारे लिए तो यह एक गंभीर चुनौती है।