इस शिक्षक दिवस कुछ खास, क्यों लड़कियां हो रही विद्यालय से बाहर
सरकार शिक्षा के नाम पर हर साल करोड़ो रूपये खर्च करती है, अनेक तरह से प्रचार प्रसार करती है। कई अभियान भी शिक्षा के नाम पर चलाती है, पर इसका असर गाँव मे बहुत ही कम देखने को मिलता है। आज भी बच्चे स्कूल नही जा पा रहे हैं। यह हम नही बल्कि शिक्षा विभाग के आंकड़े बता रहे है। महोबा जिला में एक हजार 25 जूनियर हाईस्कूल और प्राइमरी स्कूल है, और लगभग 100 स्कूल इंटर कॉलेज है। फिर भी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के अनुसार जो ड्राप आउट बच्चो की संख्या निकल कर आई है वह चौकाने वाली है। ममहोब जिले में 11 सौ बच्चे इस साल ड्राप आउट हुए है। जिनमे कुछ बच्चो का एडमिशन कराया गया है, पर अभी भी कुछ बच्चे स्कूल में दाखिला नही ले पाए है। अधिकारी के अनुसार जो बच्चे बाहर है, माता पिता के साथ पलायन कर गए है, उन बच्चों का नाम नही लिखा पाए है। बीला दक्षिण गाँव की रहने वाली रचना का कहना है कि वह गाँव में ही कक्षा 8 तक पढ़ी है, पर घर की स्थिति अच्छी न होने की वजह से पढ़ाई बंद कर दी है। क्योंकि गाँव से दूसरी जगह पढ़ाई करने जाना पड़ता है। पापा की तबियत खराब हो गई थी, घर मे कोई कमाने वाला नही है। भाई और एक छोटी बहन पढ़ रही है। सबका खर्च कैसे चलता। पूनम का कहना है कि वह भी गाँव मे ही 8 तक पढ़ी है। उसके बाद पढ़ाई बंद कर दी है। लगभग 3 साल हो गए हैं। हर कोई काम करने के लिए नही था। मम्मी अकेली रहती थी। उनका भी पढ़ाई करने का बहुत मन था पर किसी ने पढ़ने नही दिया। पापा क्रेशर में मजदूरी करते थे। अब नही पढ़ना क्यों की अब शादी हो रही है। ममता के अनुसार वह भी गाँव मे ही 8 वी तक पढ़ी लिखी है। वह आगे पढ़ना चाहती थी। पर उसके भाई ने नही पढ़ने दिया। भाई मना कर रहा था इसलिए मम्मी पापा ने फिर नही पढ़ाया,