नोनिया साग आमतौर पर जंगलों, आदिवासी क्षेत्रों और ग्रामीण इलाकों में अधिक देखने को मिलता है। खास बात यह है कि इसकी कोई विशेष खेती नहीं की जाती। बरसात के मौसम में यह स्वतः ही उग आती है।
रिपोर्ट – सुमन, लेखन – सुचित्रा
अभी बरसात का मौसम चल रहा है। ऐसे में कौन सी सब्जी बनाई जाए ये घर में सबसे बड़ा सवाल बन जाता है? मौसम के अनुसार हर चीज़ अच्छी लगती है, लेकिन जब बात बरसात की होती है तो इसका स्वाद और भी खास हो जाता है। इस मौसम में अलग-अलग तरह की चीज़ें खाने को मिलती हैं। जैसे ही मौसम बदलता है, बाज़ार में भी बदलाव देखने को मिलता है खासकर हरी सब्ज़ियों और साग की भरमार होती है।
बरसात का मौसम जब खत्म होता है, तो ये मौसमी सब्ज़ियाँ और साग भी धीरे-धीरे बाजार से गायब होने लगते हैं। अगर बात करें कम बजट में स्वादिष्ट और पौष्टिक भोजन की, तो बरसात का मौसम सबसे अच्छा माना जाता है। क्योंकि इसी मौसम में खेतों, जंगलों, गांव की गलियों और झाड़ियों में कुछ खास किस्म के पौधे अपनेआप उग आते हैं। इन पौधों की पत्तियाँ हम साग के रूप में खाते हैं। ऐसे ही साग का नाम है नोनिया साग, जिसे कहीं कहीं नोनिया भाजी, कुलफा या नोनिया साग भी कहा जाता है।
ग्रामीण क्षेत्र में नोनिया साग मिलना आसान
नोनिया साग आमतौर पर जंगलों, आदिवासी क्षेत्रों और ग्रामीण इलाकों में अधिक देखने को मिलता है। खास बात यह है कि इसकी कोई विशेष खेती नहीं की जाती। बरसात के मौसम में यह स्वतः ही उग आती है कभी जंगलों में, तो कभी खेतों की मेड़ पर या गांव के बेकार पड़ी ज़मीन पर। जो लोग इस बात से अनजान होते हैं कि इसकी भी सब्जी बनाकर खाई जाती है वे इसके स्वाद से भी अनजान होते हैं। लेकिन एक बार नोनिया का साग खाने के बाद स्वाद भुलाया नहीं जाता। ग्रामीण महिलाएं और बच्चे इसे तोड़कर घर लाते हैं और फिर इसे तरह-तरह से पकाते हैं।
बाजार में नोनिया साग
जहां तक बाजार की बात है, बिहार में इसकी काफी मांग है। पटना जिले के कई प्रमुख बाजारों जैसे फुलवारी मार्केट, चितकोहरा मार्केट, राजा बाजार, जयपुर मार्केट, मसौढ़ी और परसा मार्केट में यह बड़ी मात्रा में नोनिया बिकता हुआ दिख जाएगा।
महिलाओं के आय का जरिया
गांव की महिलाएं इसे जंगलों से तोड़कर लाती हैं और डलियों में भरकर बाजारों में बेचने बैठ जाती हैं। वहां लोग इसे खरीदते हुए दिखाई देते हैं। यह न केवल ग्रामीण महिलाओं के लिए आय का साधन बनता है, बल्कि शहरी लोगों के लिए एक पारंपरिक स्वाद और पोषण का स्रोत भी है।
भुजिया बनाने का आसान तरीका
बिहार में इसे कई तरीके से बनाया जाता है जैसे भुजिया और नोनिया में दाल डाल कर स्पेशल साग बनाया जाता है। नोनिया बनाने के दोनों तरीके हम आपको बताते हैं। पटना जिले के कुम्हरार पार्क के पास रहने वाली महिला कंचन कुमारी ने नोनिया की भुजिया बनाने की विधि बताई।
नोनिया भुजिया बनाने की विधि
- नोनिया को 5–6 बार साफ़ पानी से अच्छी तरह धो लें, ताकि मिट्टी और कचरा पूरी तरह निकल जाए।
- पत्तों को छलनी या सूती कपड़े पर 10–15 मिनट के लिए फैला दें, ताकि बचा हुआ पानी सूख जाए।
- सूखने के बाद नोनिया को बारीक काटें। इसके लिए चाकू या हसुली (हंसिया) का इस्तेमाल किया जा सकता है।
- एक कढ़ाई में आधा चम्मच तेल गर्म करें।
- लहसुन की कुछ कलियों को हल्का कूट लें और गरम तेल में डालें।
- साथ में 2 सूखी लाल मिर्च भी डालें।
- जब लहसुन और मिर्च सुनहरे भूरे हो जाएं, तब कटी हुई नोनिया डालें।
- नोनिया पानी छोड़ेगी — इसे बीच-बीच में चलाते रहें।
- 1–2 बार चलाने के बाद स्वादानुसार नमक डालें।
- 8–10 मिनट तक मध्यम आंच पर पकाएं, और हर 2 मिनट में चलाते रहें।
- जब सारा पानी सूख जाए और भुजिया हल्की कुरकुरी हो जाए, तब गैस बंद कर दें।
स्वादिष्ट “नोनिया भुजिया” तैयार है, इसे गरमा गरम परोसें।
नोनिया साग इस विधि से भी बना सकते हैं।
कंचन कुमारी बताती हैं कि यदि आपको साग बनाना है, तो चना या मसूर की दाल को 8–10 घंटे पहले भिगोना जरूरी है। अगर आप सुबह साग बनाना चाहते हैं, तो रात भर के लिए दाल भिगो दें। सुबह दाल को साफ़ पानी से धोकर अलग रख लें। साग (नोनिया) को 5–6 बार साफ़ पानी से धोएँ ताकि मिट्टी और गंदगी पूरी तरह निकल जाए। फिर इसे पतला और बारीक काट लें।
एक कढ़ाई गैस पर रखें और उसमें एक चम्मच तेल गरम करें। लहसुन और मिर्च डालें। जब यह सुनहरे भूरे (ब्राउन) रंग के हो जाएँ, तब दाल डाल दें। दाल को कुछ मिनट तक अच्छे से भूनें, जब तक वह थोड़ा पकने न लगे। अब उसमें बारीक कटा हुआ साग डालें और दोनों को हल्का मिलाएँ। इसमें फिर नमक डालकर चलाएं। फिर उसमें ज़रूरत के अनुसार पानी डालें, जिससे दाल और साग एकसाथ पक जाएँ। फिर इसे 10 मिनट तक धीमी आंच पर पकने दें।
बस जब दाल गल जाए तो साग और दाल को एक साथ मिला ले ताकि दोनों बराबर दिखे और दाल गाढ़ी हो जाए। इसके बाद अलग से तड़का लगाएं। तड़के के लिए एक छोटा पैन या तड़के वाला चम्मच लें। उसमें थोड़ा तेल गरम करें। गरम तेल में सरसों के दाने, लाल मिर्च और हींग डालें। जब तड़का तैयार हो जाए, उसे पक चुके साग पर डालें और तुरंत ढक्कन बंद कर दें, जिससे तड़के की खुशबू अंदर समा जाए। कुछ देर बाद ढक्कन खोल दें। ध्यान रखें कि साग भाप से पानी न छोड़े, वरना स्वाद फीका पड़ सकता है।
नोनिया की यह दोनों रेसपी बिहार के ग्रामीण परिवारों के लिए भी बहुत खास होती है। स्वाद में तो अच्छी लगती ही है साथ ही सब्जी के महंगे दामों से भी बचाती है। अब नोनिया साग शहर तक पहुँच चुका है जिसे लोग खाना पसंद करते हैं।
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