विश्व भर में कोरोना ने पहले ही होहराम मचाया हुआ हैअब इसमें १ और अध्याय जुड़ गया है. वो है दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में स्थित तबलीगी जमात के मरकज में आयोजित एक धार्मिक कार्यक्रम। दरअसल, इस कार्यक्रम में दुनिया के कई देशों से आए लोग शामिल हुए थे. साथ ही कार्यक्रम में शामिल होने के बाद अपने घर लौटे 9 लोगों की देश के अलग-अलग हिस्से में मौत हुई है.चिंता का विषय ये है कि इस कार्यक्रम में 1700 के आसपास लोगों के पहुँचने का अनुमान है. फ़िलहाल जमात के मौलाना के खिलाफ पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है
सबसे पहले जानते है की आखिर ये तबलीगी जमात है क्या ?
मरकज, तबलीगी जमात, ये तीनों शब्द अलग-अलग हैं। तबलीगी का मतलब होता है, अल्लाह के संदेशों का प्रचार करने वाला। जमात मतलब समूह और मरकज का अर्थ होता है मीटिंग के लिए जगह। यानी की अल्लाह की कही बातों का प्रचार करने वाला समूह। तबलीगी जमात से जुड़े लोग पारंपरिक इस्लाम को मानते हैं और इसी का प्रचार-प्रसार करते हैं।
मुशर्रफ़ अली जो तबलीगी जमात के सदस्य है उनके बयान में कहा गया है कि जब भारत में जनता कर्फ्यू का ऐलान हुआ, उस वक्त बहुत सारे लोग मरकज में रह रहे थे. 22 मार्च को प्रधानमंत्री ने जनता कर्फ्यू का ऐलान किया. उसी दिन मरकज को बंद कर दिया गया. बाहर से किसी भी आदमी को नहीं आने दिया गया. जो लोग मरकज में रह रहे थे उन्हें घर भेजने का इंतजाम किया जाने लगा. 21 मार्च से ही रेल सेवाएं बन्द होने लगी थी, इसलिए बाहर के लोगों को भेजना मुश्किल था. फिर भी दिल्ली और आसपास के करीब 1500 लोगों को घर भेजा गया.
अब करीब 1000 लोग मरकज में बच गए थे. 24 मार्च को अचानक एसएचओ निज़ामुद्दीन ने हमें नोटिस भेजा की हम धारा 144 का उल्लंघन कर रहे हैं. हमने उसी दिन उनको जवाब दिया कि मरकज को बन्द कर दिया गया है.
तबलीगी जमात के 1500 लोगों को उनके घर भेज दिया गया है. अब 1000 बच गए हैं जिनको भेजना मुश्किल है, क्योंकि ये दूसरे राज्यों से आए हैं. हमने ये भी बताया कि हमारे यहां विदेशी नागरिक भी हैं.
हमने एसडीएम को अर्जी देकर 17 गाड़ियों के लिए कर्फ्यू पास मांगा. ताकि लोगों को घर भेजा जा सके. हमे अभी तक कोई पास जारी नहीं हुई है. 25 मार्च को तहसीलदार और एक मेडिकल कि टीम आई. उन्होंने लोगों कि जांच की. 26 मार्च को हमें एसडीएम के ऑफिस में बुलाया गया और डीएम से भी मुलाकात कराया गया. हमने फंसे हुए लोगों की जानकारी दी और कर्फ्यू पास मांगा. 27 मार्च को 6 लोगों की तबीयत खराब होने की वजह से मेडिकल जांच के लिए ले जाया गया. 28 मार्च को एसडीएम और डब्ल्यू एच ओ की टीम 33 लोगों को जांच के लिए ले गई, जिन्हें राजीव गांधी कैंसर अस्पताल में रखा गया. 30 मार्च को अचानक ये खबर सोशल मीडिया में फैल गई की कोराना के मरीजों की मरकज में रखा गया है और टीम वहां रेड कर रही है. अब मुख्यमंत्री ने भी मुकदमा दर्ज करने के आदेश दे दिए. अगर उनको हकीकत मालूम होती तो वह ऐसा नहीं करते.