स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती उर्फ़ पार्थसारथी पर लगभग 17 छात्राओं से यौन उत्पीड़न करने का मामला सामने आया है। वह दक्षिण पश्चिम दिल्ली के वसंत कुंज क्षेत्र में एक निजी इंजीनियरिंग संस्थान के निदेशक हैं। मामले की शिकायत छात्राओं ने 4 अगस्त 2025 को वसंत कुंज उत्तर पुलिस स्टेशन में की थी। फ़िलहाल आरोपी फरार है और पुलिस ने कई राज्यों में दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड, राजस्थान आदि में आरोपी को तलाश कर रही है। इस सम्बन्ध में Lookout Circular (निगरानी आदेश) जारी किया गया है ताकि वह देश छोड़कर न भाग सके।
क्या है पूरा मामला
स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती जिन्हें पार्थ सारथी के नाम से भी जाना जाता है। दिल्ली के एक निजी प्रबंधन संस्थान Sri Sharada Institute of Indian Management, Vasant Kunj से जुड़े हैं। मैनेजमेंट संस्थान की कई महिला छात्राओं ने संत स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार ये छात्र आर्थिक रूप से ईडब्ल्यूएस (अर्थ आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) से संबंधित हैं और संस्थान में छात्रवृत्ति पर स्नातकोत्तर प्रबंधन डिप्लोमा पाठ्यक्रम कर रहे हैं। शिकायत 4 अगस्त को वसंत कुंज नॉर्थ पुलिस स्टेशन में दर्ज कराई गई थी। पुलिस के सामने करीब 32 छात्रों में से कम से कम 17 ने इन आरोपों को स्पष्ट किया।
यह संस्थान कर्नाटक के श्रृंगेरी स्थित जगद्गुरु शंकराचार्य महासंस्थानम दक्षिणाम्नाय श्री शारदा पीठम द्वारा संचालित है। इस मामले में जब उनसे पूछताछ की गई तो उन्होंने कहा कि आरोपी का आचरण और गतिविधियाँ अवैध, अनुचित और पीठ के हितों के विरुद्ध पाई गईं। इस वजह से उससे सभी संबंध तोड़ लिए हैं।
महिलाओं ने लगाया आरोप
महिलाओं ने यह भी आरोप लगाया कि स्वामी चैतन्यानंद छात्राओं को देर रात बुलाते थे, उनके नंबरों पर अश्लील संदेश भेजे जाते थे और अगर वे विरोध करतीं तो उन्हें परीक्षा में फेल करने या डिग्री रोकने की धमकी दी जाती थी। लड़कियों ने कुछ संस्था के फैकल्टी मेंबर्स पर भी आरोप लगाया कि उन्होंने छात्राओं को उनके आदेश मानने के लिए दबाव डाला। सामने आया है की आरोपी इस संस्थान की मैनेजमेंट कमिटी का सदस्य भी है। रिपोर्ट्स से सामने आया है कि उनके खिलाफ पहले भी 2006 और 2016 में छेड़छाड़ के मामले दर्ज कराये गए थे।
पुलिस द्वारा की गई जाँच
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार इस मामले में जाँच के दौरान, पुलिस को संस्थान के बेसमेंट में एक वोल्वो कार मिली जिसका इस्तेमाल पार्थसारथी करते थे। जाँच करने पर पता चला कि कार में जाली राजनयिक नंबर प्लेट (39 UN 1) का इस्तेमाल किया गया था और उसे ज़ब्त कर लिया गया।
आरोपी स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती फरार
पुलिस ने यह भी बताया कि उन्होंने सीसीटीवी फुटेज की जाँच की है और घटनास्थल के साथ-साथ आरोपी के निजी पते पर भी छापेमारी की है। बताया जा रहा है कि वह आखिरी बार आगरा के पास देखा गया था। आरोपी की गिरफ्तारी के लिए कई टीमें गठित की गई हैं।
पुलिस की टीम आरोपी की तलाश में
पुलिस की टीम उसकी तलाश में लगी हुई है मगर पुलिस ने बताया की स्वामी चैतन्यानंद गिरफ्तारी से बचने के लिए लगातार स्थान बदल रहा है। फिलहाल आरोपी को श्री श्रृंगेरी मठ प्रशासन के निर्देशक पद से हटा दिया गया है और पुलिस ने उन्हें देश से भागने से रोकने के लिए लुक-आउट यानी सतर्क रहने की नोटिस जारी की है।
इस तरह की घटना पहली नहीं है। पहले भी देश में कई बाबाओं, संतो के नाम यौन हिंसा अपराध में सामने आए हैं। इनमें कथित तौर पर आसाराम बापू, नारायण साईं (आसाराम के पुत्र), गुरमीत राम रहीम सिंह, स्वामी प्रेमानंद के नाम शामिल हैं। यहां तक कि आज भी कई महागुरु कहे जाने वाले धार्मिक गुरु महिलाओं के ऊपर आपत्तिजनक टिप्पणी करते भी नजर आते हैं, लेकिन उन पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती है। इनमें कथित तौर पर अनिरुद्धाचार्य महाराज, रामभद्राचार्य जैसे नाम शामिल है। सवाल उठता है कि आखिर इन संतों, बाबाओं पर इस तरह से विश्वास कर लेना कि उनके नाम पर कॉलेज या कोई संस्था खोल देना या फिर उन्हें कोई ऊंचा पद देना कितना सही है? अगर इस तरह के संस्था चल रहे हैं तो उनकी कितनी जांच होती है और वह कितने विश्वास करने योग्य हैं?
यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें