हेलो दोस्तों, मैं हूं मीरा देवी। खबर लहरिया की ब्यूरो चीफ। मेरे शो राजनीति, रस, राय में आपका बहुत बहुत स्वागत है। जिसका मुझे था इंतजार वो घड़ी आ गई आ गई इस गाने को गया रही हूं इस लिए क्योंकि मैं ही नहीं हम सब को इंतजार था कि कोरोना की वैक्सीन आ जाये और अब कुछ अच्छा सुनने को मिले।
बहुत हो गया कोरोना कोरोना लेकिन मेरा कहने का मतलब यह बिल्कुल नहीं कि कोरोना भाग गया और हम सेफ हो गए। अभी भी दो गज की दूरी मास्क है जरूरी को फॉलो करना है। बुन्देखण्ड के बांदा जिले में डीएम के माध्यम से जारी प्रेस विज्ञप्ति के हिसाब से वैक्सीन की 7960 डोज मिल गई और स्वास्थ्य कमियों को लगाई गई है।
हम सबको देश के डॉक्टरों पर नाज़ है उनको बहुत बहुत धन्यवाद करते हैं कि उन्होंने इस वैक्सीन को बनाने में रात-दिन एक कर दी। अब सोशल मीडिया में कुछ अंधभक्त लोग यह कह रहे हैं कि प्रधानमंत्री का कमाल है उन्होंने कितना जल्दी वैक्सीन बना डाली। उन्होंने बहुत बड़ी सफलता हासिल कर ली है। अब देखिए इनको पता होना चाहिए कि यह कमाल सिर्फ और सिर्फ डॉक्टरों का है तो प्रधानमंत्री कहां से आ गए भाई। कहीं इनका मकसद आने वाले 2022 के चुनाव जीतने की तैयारी तो नहीं।
क्योंकि जब भी कोई तरक्की वाले काम होते हैं तो उसका क्रेडिट वोटिंग के लिए प्रधानमंत्री को मिले यह उन लोगों के साथ बेईमानी और नाइंसाफी है जिन्होंने इस पर काम किया। दोस्तों, कोरोना की वैक्सीन पर ज़बरदस्त पॉलिटिक्स हो रही है। सपा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव अभी हाल में ही बांदा आये थे उन्होंने अपने भाषण में कहा कि वह बीजेपी की वैक्सीन नहीं लगवाएँगे।
उन्हें बीजेपी की वैक्सीन पर भरोसा नहीं है और वह तभी इंजेक्शन लगवाएँगे जब उनकी खुद की सरकार आएगी। इसी तरह से रोज चैनलो, फेसबुक, ट्वीटर के आदिम से पार्टी के लोग वैक्सीन को लेकर सवाल उठा रहे हैं। यह बात सिर्फ नेताओं की ही नहीं आमजन मानस के बीच भी ऐसी भावनाएं पनप रही हैं कि इस वैक्सीन को लेकर क्यों भरोसा किया जाए।
वह बात और है कि बहुत लोग ज्ञानी बनकर ज्ञान दे रहे हैं कि उनको डॉक्टरों और देश की सरकार पर भरोसा नहीं है तो वह खुद पर भी भरोसा नहीं कर सकते। ऐसे में तब और सवाल और संदेह के घेरे में वैक्सीन आ जाती है जब अधिकारी इस वैक्सीन को लगवाने से बचते हैं और मीडिया के सवाल पर चुप्पी साध लेते हैं। रिपोर्टिंग के दौरान हमने देखने को मिला कि चित्रकूट जिले के सीएमओ खुद वैक्सीन लगवाने से कतराते नजर आए और कई तरह के बहाने करते रहे साथ ही और कई स्वास्थ कर्मी भी, आख़िरकार क्यों? यही तो मुद्दे बनते हैं कि जब पहला चरण सिर्फ स्वास्थ्य कर्मियों के लिए है इसीलिए कि जनता के बीच भरोसा हो पाए फिर सोचिए सीएमओ ने ऐसा क्यों किया। ऐसे में सवाल उठना, भरोसा न बैठ पाना स्वाभाविक है।
खैर जो भी है यह वैक्सीन सबको निःशुल्क मिले ताकि देश का अंतिम व्यक्ति इस टीकाकरण का लाभ ले सके। आखिरकार जिंदगी तो सबकी बराबर है न और सबको अपनी जिंदगी से प्यार है। राजनीति जो होगी वह देखनी ही पड़ेगी। साथियों इन्हीं विचारों के साथ मैं लेती हूं विदा, अगली बार फिर आउंगी एक नए मुद्दे के साथ। अगर ये चर्चा पसन्द आई हो तो अपने दोस्तों के साथ शेयर करें। लाइक और कमेंट करें। अगर आप हमारे चैनल पर नए हैं तो चैनल को सब्सक्राइब जरूर करें। बेल आइकॉन दबाना बिल्कुल न भूलें ताकि सबसे पहले हर वीडियो का नोटिफिकेशन आप तक सबसे पहले पहुंचे। अभी के लिए बस इतना ही, सबको नमस्कार!