ललितपुर जिले के छोटे से गांव समोगर के रहने वाले राजू विश्वकर्मा को बचपन से संगीत में रूचि थी और सीखने की रुची भी| उसका पढाई में एक भी मन नहीं लगता था| जहां भी जाता संगीत के बारे में ही सोचता रहता था और कहीं भी संगीत प्रोग्राम होता हो वह अक्सर उसमें जाया करता था और देखता था कि किस गाने को किस तर्ज में गाया जा रहा है, बडे लगन के साथ ध्यान लगाकर सीखता था| आज वह गायक है और संगीत पार्टियों में गाने के लिए भी जाता है| कहते है न कि मन में किसी सपने को पुरा करने का हौंसला हो तो मंजिल आसान होती है|
राजू विश्वकर्मा का कहना है कि संगीत कार्यक्रमों को देख और सुनकर ही उसे संगीत का अनुभव हुआ है और संगीत में रूचि आई| क्योंकि जब वह कार्यक्रम से सुनकर जाया करता था तो अपने घर में उन गानो कि तर्ज निकाल कर गया करता था और सीखता था और अब गाने भी लगा है| अब गांव में जब भी कोई प्रोग्राम या कोई पार्टी फंक्शन वगैरा होता है,तो उसे अक्सर लोग बुलाते हैं और उसके गाने को बहुत ही पसंद करते हैं| उसके माता-पिता की यही ख्वाहिश है कि आगे चलकर वह एक अच्छा सिंगर बने| जहां सोसाइटी में प्रोग्राम होते हैं,तो जाता है और हर मंगलवार और शनिवार को एक संगीत पार्टी गांव में ही रखी जाती हैं| जहां उनके गांव के छोटे-छोटे बच्चे और बड़े भी एक साथ बैठकर संगीत पार्टी का मनोरंजन लेते है| जिसमें बहुत मंजा आता हैं और छोटे बच्चों को सीखने का मौका भी मिलता है|जब वह पढ़ता था तो पढ़ाई में कोई मन भी नहीं लगता था| उसके मन में बस एक ही सपने का ख्याल था कि उसे संगीत में आगे बढना है| जिससे उसका खुद का सपना पुरा हो और बडे सिंगर कि महफिल तक पहुंच कर अपने माता-पिता का नाम रोशन करे| लेकिन उससे अभी वह बहुत दुर है पर हौंसला नहीं छोंडे गा| उसकी पुरी कोशिश है अपने सपने को पुरा करने की|