चित्रकूट के मऊ ब्लॉक के एक छोटे से गाँव कोलमजरा की रहने वाली सुनीता के मन में बचपन से ही कुछ बड़ा करने की ललक थी। लेकिन बचपन में ही माँ का देहांत हो गया, किसान घराने की नन्ही सुनीता के कन्धों पर अपने बाकी भाई बहनों को संभालने और खाना बनाने की ज़िम्मेदारी आ गई। सुनीता को पढ़ने की चाह तो थी लेकिन उनके पिता के पास इतने पैसे नहीं थे कि वो सुनीता की पढ़ाई पूरी करा सकें।
फिर भी सुनीता ने हाई स्कूल तक की परीक्षा देकर और उच्च नंबरों से पास होकर अपने परिवार का मान बढ़ाया। सुनीता आगे भी पढ़ना चाहती थीं लेकिन घर में आर्थिक तंगी के चलते उन्हें दसवीं के बाद ही काम ढूंढने के लिए निकलना पड़ा।
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सुनीता ने शुरू में एक स्वयं सहायता समूह से जुड़कर कुछ दिन काम किया, लेकिन वहां पर पैसा मिलने में में देरी के चलते उन्हें वो नौकरी छोड़नी पड़ी।
2011 में सुनीता को खबर लहरिया के बारे में पता चला और सुनीता ने खबर लहरिया में पत्रकारिता की ट्रेनिंग लेना शुरू किया। शुरुआत में इस काम के दौरान कई तरह की चुनौतियाँ भी आयीं।
बुंदेली लिखने में परेशानी होना, लोगों से बात करने में झिझकना, खबर ढूंढने में हिचकिचाना लेकिन सुनीता हार मानने वालों में से कहाँ थीं। समाज ने इस बीच कई तरह के सवाल भी उठाए, लेकिन उन्होंने सभी चुनौतियों को पार कर अपने कसबे में अपने परिवार का नाम रौशन किया।
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खबर लहरिया से जुड़ने के बाद सुनीता ने अपने लिए घर खरीदा और अपनी शादी का खर्च भी खुद ही उठाया।
आज सुनीता देवी खबर लहरिया में सीनियर रिपोर्टर के पद पर कार्यरत हैं। पिछले 11 सालों में सुनीता ने कई अहम और गंभीर मुद्दों पर रिपोर्टिंग करी है और अपने क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण पत्रकार के रूप में अपनी पहचान बनाई है।