खबर लहरिया जवानी दीवानी चप्पल सिलाई का काम कर पेट भरते हैं ललितपुर के रंखू लाल | Humans of Bundelkhand

चप्पल सिलाई का काम कर पेट भरते हैं ललितपुर के रंखू लाल | Humans of Bundelkhand

जिला ललितपुर ब्लाक महरौनी गांव टपरियन के रहने वाले इस व्यक्ति का नाम रंखू लाल है. यह चप्पल सिलाई का काम करते हैं और आपको बता दें कि रखूं लाल ये काम कम से कम 20 साल से ऊपर से कर रहे हैं. इनका कहना है कि हम चप्पल सिलाई करके अपना और अपनी पत्नी का खर्च चलाते हैं. लड़के-बहू सब अपने-अपने मन का करते हैं, हमें खाने पीने के लिए कोई कुछ नहीं देता था इसलिए हमने यहां महरौनी में चप्पल सिलाई की दुकान खोली हैं और यहां 20 साल से चप्पल सिल रहे हैं.

काम करने की उम्र तो अब नहीं रहीं पर पेट पालने के लिए कुछ तो करना पड़ेगा इसलिए बैठे-बैठे यही काम करते हैं. दिन में दो चार लोग आ गए तो घर का खर्च चल जाता है. हमें 1 दिन में 80 से 120 रूपए तक मिल जाते हैं तो इतने में हमारा घर चल जाता है.

हम पति-पत्नी में से किसी को पेंशन तक नहीं मिल रही कि उससे अपना खर्च चलाएं, पेट भरने के लिए कुछ ना कुछ तो करना ही पड़ेगा। लड़का-बहू अपने-अपने बच्चे देख रहे हैं, हम लोगों को कोई खर्च के लिए पैसा नहीं देता था इसलिए हमने ये काम चुना और इसको अपनाया और इससे पहले तो हम खेती करते थे, पर ढलती उम्र के साथ अब खेती करना थोड़ा मुश्किल हो गया है और खेती अब हमारे बस का भी नहीं लग रहा. अभी इस उम्र में यही सरल काम अपना लिया है हमने कि बैठे के बैठे रहेंगे और खर्चा भी चलेगा।

दिनभर यहीं बाजार में धूप में बैठे रहते हैं. रोज़ सुबह यहाँ पर हम 9:00 बजे तक आ जाते हैं और 5:00 बजे तक सूरज ढलने तक यहाँ से घर चले जाते हैं. यहां हम गरीब लोगों को सरकार कोई सुविधा भी नहीं दे रही है। हम इसी तरह से भटकते रहते हैं, इतनी उम्र हो गई है हमें आज तक पेंशन नहीं मिली है. पेंशन की आस में हमारी पूरी उम्र निकल गई हैं पर पेंशन का कोई अता-पता नहीं हैं.