खेल हमारे सर्वांगीण विकास के लिए बहुत ही बेहतरीन टाँनिक है। खेल चाहे कोई भी हो इससे शारीरिक विकास व मानसिक विकास होता है। बच्चों के स्वास्थ्य के लिए खेल बहुत ही बच्चों के स्वास्थ्य के लिए खेल बहुत ही आवश्यक हैं।चाहे वह विद्यालय में शिक्षा ग्रहण करने आये बच्चों के लिए हो या घर में धमाचौकड़ी कर रहे बच्चों के लिए। आपने देखा होगा बच्चा जब बहुत छोटा होता है, तब वह चारपाई पर लेटा हुआ अपने हाथों और पैरों को चलाता रहता है, जिससे उसकी वर्जिश होती है और उसका दूध पच जाता है। खेल-खेल में वह अपने-आपको तंदुरूस्त रखता है। खेल हमारे जीवन में शारीरिक, मानसिक, मनोवैज्ञानिक और बौद्धिक स्वास्थ्य के साथ गहराई से जुड़ा हुआ है। यदि हम प्रतिदिन खेल खेलते हैं तो वह हमारे मानसिक कौशल को विकसित करता है। https://www.facebook.com/khabarlahariyaenglish/videos/612373966166968/?modal=admin_todo_tou
उत्तर-प्रदेश जिला के ब्लाक महरौनी, पूर्व माध्यमिक विद्यालय क्योलारी में 16 दिसंबर को खेल कराया गया जिसमें बच्चे काफी रूचि लेते दिखे। छात्रा रुबीना राजपूत और राजा बेटी ने बताया कि हम लोग रोज इसी तरह से फुटबॉल या अन्य तरह-तरह के गेम खेलते हैं। हम लोगों को खेलने में बहुत रुचि है और बहुत ही अच्छा लगता है जब हम लोग कुछ खेल खेलते हैं तो अच्छा लगता है खेलने के बाद पढ़ने में भी मन लगता है।छात्राओं का कहना है कि हम सब हर रोज लंच में 30 मिनट खेलते हैं अगर हम लोग कबड्डी खेलते हैं तो एक टीम में 10 बच्चे रहते हैं या 5 बच्चे। कभी-कभी तो हम लोग स्कूल में लूडो भी खेलते हैं और कभी फुटबॉल कभी कबड्डी तो कभी कैरम बोर्ड, कभी चोर सिपाई बहुत मजा आता है इस सारे गेमों में। और हमारे जो टीचर हैं वह हम लोगों को खेलने का मौका भी देते हैं कभी टीचर हम लोगों को साथ में खिलाते हैं और कभी हम लोग अपने मन से खेलते हैं।
छात्राओं ने यह भी बताया कि शनिवार को हमारी टीचर बालसभा करवाती हैं जिसमें हम लोगों को पार्टी बनाकर गीत गाने पड़ते हैं हम लोग लड़की और लड़का साथ में खेलते हैं। कभी हम लड़कियां ही लड़कियां खेलते हैं।
स्मिता त्रिपाठी शिक्षामित्र का कहना है कि हमारे स्कूल का नामांकन 22 बच्चों का है हम सभी प्रकार के बच्चों को गेम खिलाते हैं। हमारे स्कूल के बच्चे लंच के बाद आध घंटा खेलते हैं और सभी बच्चों का मन भी लगता है खेलने में। हम बच्चों को प्रेरित भी करते हैं कि बच्चे खाना खाकर कुछ देर खेलें। जिससे उनका स्वास्थ्य भी ठीक रहता है। कभी-कभी तो प्राइमरी के बच्चे भी खेलने के लिए आ जाते हैं फिर दोनों स्कूल के बच्चे खेलते हैं।
स्मिता त्रिपाठी ने यह भी बताया कि हम यह भी चाहते हैं कि हमारे स्कूल के कुछ बच्चे खेल में निकल जाए जितना जरूरी बच्चों को पढ़ाई लिखाई है उतनी ही जरूरी खेल है। खेल के साथ हम संगीत भी बच्चों को सिखाते हैं ताकि किसी भी क्षेत्र में पीछे न रहें।
अभिभावक अमान सिंह और अशोक कुमार का कहना है कि बच्चों को स्कूल में खेलकूद कराया जाता है पर बच्चे खेलने में ही मगन हो जाते हैं पढ़ाई में उनका मन नहीं लगता है। जब बच्चे घर आते हैं तो यही कहते आते हैं कि आज हमारे स्कूल में गेम हुआ है और हम लोगों से पढ़ाई की बात कोई नहीं करता कि इस तरह की पढ़ाई हुई है। खेलना अच्छी बात है लेकिन पढ़ाई के साथ।
आपको बता दें कि खेलों के महत्त्व को देखते हुए, भारत सरकार ने विद्यार्थियों और बच्चों के कल्याण और अच्छे स्वास्थ्य शारीरिक विकास के साथ ही मानसिक कौशल को सुधारने के लिए विद्यालय और कॉलेजों में खेल खेलना अनिवार्य कर दिया है। विद्यार्थियों का किसी ने किसी खेल में भाग लेना अनिवार्य कर दिया गया है। खेल बढ़ते हुए बच्चों के विकास के लिए बहुत ही आवश्यक है, क्योंकि इससे उनमें अच्छी आदतें और अनुशासन विकसित होता है। इस लिए तो कहा जाता है की जीवन में आगे बढ़ने और जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए तंदुरुस्त शरीर में एक स्वस्थ मन का होना बहुंत ही जरूरी है।
रिपोर्टर- सुषमा देवी, ललितपुर