खबर लहरिया Blog 20 मार्च को गौरैया संरक्षण दिवस पर खास

20 मार्च को गौरैया संरक्षण दिवस पर खास

20 मार्च को गौरैया संरक्षण दिवस होता है।

 

 

 

 

 

 

 

गौरैया संरक्षण दिवस :मई जून के महीने में तपती दोपहर में घर के लोग सब सो जाते और मैं और मेरी बहने इंतज़ार करते सन्नाटा होने का। सबके सोते ही हम शुरू हो जाते गौरैया रानी को बुलाकर दाना पानी देने के लिए पर ऐसे कहां आ सकती थी वह।

फिर हम एक तरक़ीब सोचते। एक छोटी लकड़ी लेते फिर उसमें लंबी सी रस्सी बांधते और और उसके सहारे एक टोकरी खड़ी करके नीचे दाना डाल देते और रस्सी का दूसरा हिस्सा पकड़कर दूर छिप जाते। जैसे ही गौरैया आती तो रस्सी खींच लेते।

बहुत बार मेहनत करने के बाद आखिरकार गौरैया पकड़ने में सफलता मिल जाती। उसको नहलाते, कलर करते, खाना खिलाते और पानी पिलाने की कोशिश करते पर वह खाना पानी न करती। उसको उड़ने के लिए एक पैर में धागा बांधकर उठाते और पीछे पीछे खूब दौड़ते। घर के लोगों की नींद खुलने से पहले गौरैया को उड़ा देते। जब कोई गौरैया उस कलर की आसपास दिखती तो कहते कि वह गौरैया मेरी ही है।

यह खेल स्कूल खुलने के पहले तक चलता। फिर गौरैया बरसात आने से पहले मेरे घर के छप्पर में घोसला बनाती। उसमें अंडे देती फिर उसके बच्चे होते। उनकी चू-चू की आवाज बड़ी मनमोहक होती। गौरैया अपने बच्चों को दाना पानी लाती और उनके मुंह में डाल देती। उसका घोसला और वह खुद हमारे घर के सदस्य जैसे बन जाते।

सुबह नींद खुलती तो सबसे पहले घोसले के पास जाते और उनकी एक आवाज सुनने के लिए इंतज़ार करते। और वह दिन आता जब घर सूना करके गौरैया अपने बच्चों को लेकर उड़ जाती। हम खूब रोते।

 

आज वह दिन जब मैं याद करती हूं तो अपने आप में मुझे बहुत गुस्सा आती है कि मैं भी न गौरैया के साथ इस तरह करके कितना बेवकूफी करती थी। कितना दुख दर्द होता रहा होगा उनको। ये भी लगता है कि मेरे जैसे न जाने कितने बच्चे यही करते रहे होंगे। पर हां उस समय गौरैया को दाना पानी खिलाने के लिए बेताब रहते थे। आज मैं देखती हूं कि इस पीढ़ी के बच्चे गौरैया को किताबों में या फिर इंटरनेट पर ही देख और पढ़ पाते हैं। गौरैया गांवों के छप्पर में आज भी कभी कभी दिखाई दे जाती है पर आवाज तो न सुनी होगी बहुत दिनों से। उस विलुप्त होती मेरे द्वारा कलर की गई गौरैया का मेरे आंगन में आने का इंतज़ार मैं आज भी करती हूं। वादा करती हूं कि अगर तुम आओ तो पहले से ज्यादा दाना पानी तुम्हें दूंगी पर तुम आओ तो पहले और कितना इंतज़ार कराओगी या आओगी ही नहीं क्योंकि इसका आकलन मेरे पास नहीं है। तुम्हारे लिए अपनी पढ़ाई के समय पढ़ी कविता तुम्हें फिर से सुनाती हूं शायद तुम मान जाओ।

आओ चिड़िया रानी आओ,
फुदक फुदक कर नाच दिखाओ।
चहक चहक कर गीत सुनाओ,
आओ चिड़िया रानी आओ।
आँगन में जब आती हो,
मन मेरा हर्षाती हो।
गीत मधुर जब गाती हो,
सबको खुश कर जाती हो।
दाना जब तुम चुगती हो,
बड़ी सलोनी लगती हो।
फुरर् से जब तुम उड़ती हो,
बड़ी सुहानी लगती हो।
खग दुनिया की रानी हो,
तुम तो बड़ी सयानी हो।