खबर लहरिया Blog लखनऊ : घंटाघर पर प्रोटेस्ट कर रही महिलाओं को -पुलिस ने घसीटकर पीटा, कई महिलाएं बेहोश

लखनऊ : घंटाघर पर प्रोटेस्ट कर रही महिलाओं को -पुलिस ने घसीटकर पीटा, कई महिलाएं बेहोश

लखनऊ :घंटाघर पर प्रोटेस्ट कर रही महिलाओं को -पुलिस ने घसीटकर पीटा, कई महिलाएं बेहोश

उत्तर प्रदेश के लखनऊ में एक बार फिर यूपी पुलिस की अमानवी चेहरा सामने आया है। करीब दो महीने से लखनऊ के घंटाघर पर नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ धरने पर बैठी मुस्लिम महिलाओं की पुलिस से झड़प हो गई। महिलाओं ने पुलिस पर मारने, पीटने और घसीटने का आरोप लगाया है।

धरने में शामिल करीब 70 साल की बुजुर्ग महिला रोते हुए कहती हैं कि, ‘साहब! मुझे पुलिस ने मारिस है, लेडीज पुलिस ने मारिस है। बुजुर्ग महिला अपने दोनों हाथों से अपने आंसुओं को पोछते हुए और अपने शरीर के निचले हिस्से पर इशारा करते हुए कहती हैं कि ‘लेडीज पुलिस ने मेरे शरीर पर आगे की तरफ मारिस है।’ एक अन्य महिला कहती हैं कि, ‘पुलिस की इस बर्बरता की वजह से तीन महिलाएं यहाँ पर बेहोश पड़ी हैं, कई महिलाएं अस्पताल में एडमिट हो गई हैं।

इसी धरने में शामिल करीब 40 साल की आमिना नाम की महिला कहती हैं कि, ‘पुलिस ने कुरान और जानमाज (जिस पर नमाज़ पढ़ते हैं) को पैर से मारा है।’ आमिना कहती हैं कि, ‘हमारी सबसे पवित्र चीज को यूपी पुलिस ने बेअदबी से फेंक दिया।’ अपनी बात को आगे बढ़ाते आमिना कहती हैं कि, ‘जो भी पुलिस वाले थे सबके मुंह ढके हुए थे किसी पर भी नेम प्लेट नहीं लगा हुआ था।’

नागरिकता संशोधन कानून, एनआरसी व एनपीआर के खिलाफ लखनऊ के घंटाघर पर प्रदर्शन कर रही महिलाओं को पुलिस ने जब जबरन हटाने की कोशिश की तो प्रदर्शनकारी महिलाएं उग्र हो गईं। उन्होंने जोरदार प्रदर्शन शुरू कर दिया। बताया जा रहा है कि, ‘कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए एक साथ बड़ी संख्या में लोगों का एक जगह एकत्र होना खतरनाक माना जा रहा है। इससे संक्रमण फैलने का भी खतरा है जिसे देखते हुए पुलिस ने उन्हें हटाने की कोशिश की पर बात नहीं बनीं।

धरने में शामिल करीब 35 साल की अंजुम बताती है कि, ‘यूपी पुलिस के अंदर इंसानियत नाम की चीज नहीं है, पुलिस ने वालों ने विकलांग दंपत्ति को भी धक्के मारकर बाहर निकाल दिया। अंजुम कहती हैं कि ये ऐसा कैसे कर सकते हैं। इन्हें जरा सा तो सोचना चाहिए। महिला ये भी कहती हैं कि, ‘ यूपी पुलिस बिना नेम प्लेट के क्यों आती हैं, क्यों अपना नाम और अपना चेहरा नहीं दिखाती।

गौरतलब है कि कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए प्रदेश की योगी सरकार ने किसी भी तरह के राजनीतिक, धार्मिक, सामाजिक व सांस्कृतिक  कार्यक्रमों के साथ धरना-प्रदर्शन पर पूरी तरह रोक लगा रखी है। इसी क्रम में पुलिस आज लखनऊ के घंटाघर पर सीएए के खिलाफ जारी धरना खत्म  करवाने पहुंची थी।

धरने में शामिल एक महिला नाम ना बताते हुए कहती हैं कि, ‘मैं एक भारतीय मुस्लिम महिला हूँ, और अगर सरकार को कोरोना से हमारी इतनी फिक्र है तो हम दो महीने से यहाँ बैठे हुए हैं उसके बारे में सोचे। महिला कहती हैं कि, ‘हम सरकार को बता दें कि कोरोना वायरस से ज्यादा खतरनाक सीएए और एनआरसी है। जब तक यह कानून वापस नहीं होता, उनका धरना खत्म नहीं होगा।

बता दें कि लखनऊ के घंटाघर पर पिछले दो महीने से महिलाएं धरने पर बैठीं हैं। आज पुलिस उन्हें समझाने पहुंची थी। पुलिस ने महिलाओं से कहा कि घंटाघर से केजीएमयू नजदीक है, जहां कोरोना से संक्रमित मरीजों का इलाज चल रहा है। लिहाजा वे धरना ख़त्म कर दें, क्योंकि भीड़भाड़ की वजह से संक्रमण का खतरा है। लेकिन प्रदर्शनकारी महिलाओं ने पुलिस की एक नहीं सुनी और घंटाघर खाली करने से मना कर दिया। इसके बाद पुलिस ने उन्हें नोटिस थमाया। जिसे महिलाओं ने स्वीकार कर लिया, लेकिन हटने को तैयार नहीं हुई।

इस घटना को लेकर समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता अमीक जमई ने एक ट्वीट में लिखा कि शांतिपूर्वक घंटाघर की महिलाओं ने देश-दुनिया का ध्यान खींचा, 3 साल बेमिसाल में बेटियों के साथ योगी राज में यही रिवाज है, यह सही है कि से हमें एहतियात बरतने की जरूरत की जरूरत है और महिलाएं अपने विवेक से आंदोलन की दिशा को तय करे!