शॉट 1- नमस्कार दोस्तों, मैं हूँ मीरा देवी, खबर लहरिया की ब्यूरो चीफ। मेरे शो राजनीति रस राय में आपका बहुत बहुत स्वागत है। एक बार फिर से हाजिर हूँ मैं, आपके साथ राजनीति की चर्चा को लेकर। कैसे हैं सब और बताइये क्या चल रहा है। राजनीति को लेकर आप और आपके आसपास किस तरह की चर्चाएं हैं। जहां तक मैं जानती हूँ कि अंदर ही अंदर बहुत कुछ चल रहा है विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर ही नहीं लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर भी।
शॉट 2- अगस्त महीने में मैं यूपी के ललितपुर और एमपी के टीकमगढ़ जिले रिपोर्टिंग के लिए गई थी। कम से कम एक हफ्ते रोज रिपोर्टिंग के दौरान राजनीतिक चर्चा का हिस्सा बनी ताकि भेद जान सकूं। कम से कम पांच गांवों के लोगों से बातचीत करने पर बात समझ आई कि राजनीतिक माहौल कितना गर्म चल रहा है। कुछ लोगों को तो सिर्फ अपने रोज के काम से मतलब है लेकिन कुछ लोग काम के साथ हर रोज शाम को राजनीतिक बातचीत जरूर करते हैं। कोई कहता है केंद्र में सपा आये तो कोई राज्य में कांग्रेस के आने का सपना देख रहे हैं। कोई बसपा को केंद्र में देखना चाहता है तो कोई फिर से योगी मोदी की सरकार की उम्मीद लगाए बैठे हैं।
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शॉट 3- अपनी मनमुताबिक पार्टी की सरकार लाने के लिए पार्टी छोड़ना और दूसरी पार्टी का साथ पकड़ने का सिलसिला जारी है। टीकमगढ़ के मोरपारिया गांव के दर्जनों कार्यकर्ता बीजेपी को छोड़ कांग्रेस का हाथ थाम लिया। अपने इंटरव्यू में वह बोले कि बीजेपी ने किसानों के साथ बहुत बड़ा अन्याय किया है। जो कहती है वह करती नहीं है। हमारी कोशिश होगी कि उनके गांव के अलावा आसपास के क्षेत्रों के लोग भी कांग्रेस के लिए ही वोट करें। साथ ही ललितपुर का गांव छिल्ला यहां के लोग कहते हैं कि वह बीजेपी की ही सरकार में लाना चाहते हैं।
शॉट 4- वैसे इस मायने में बांदा की राजनीति कम नहीं है। अभी हाल में कांग्रेस पार्टी के जाने माने नेता स्वर्गीय कुंवर विवेक सिंह की पत्नी मंजुला सिंह ने सपा पार्टी ज्वाइन कर ली। इसके बाद से बांदा की राजनीति में मानो भूचाल आ गया हो। फेसबुक वाट्सएप पर इसका सपोर्ट और विरोध जारी है। ऐसी भी चर्चा खूब है कि कुंवर विवेक सिंह बांदा के बहुत ही चहेते और जाने माने चेहरों में से एक हैं अगर सपा ने इनको टिकट दिया तो इनको हरा पाना किसी भी पार्टी के बस की बात नहीं। अगर ऐसा है तो सपा पार्टी ये मौका क्यों चूकेगी। ये तो आने वाला चुनाव नतीजा बताएगा।
शॉट 5- और हम चलते हैं इस ओर कि कुछ लोगों ने एक महिला होने के नाते किस किस तरह की बातें की गई। अपने रिपोर्टिंग कैरियर में मैंने बहुत देखा है कि अक्सर राजनीतिक लोग पार्टी बदलते रहते हैं लेकिन इतनी जोर से चर्चा का विषय वह नहीं बनते जितना कि मंजुला विवेक सिंह बनीं। आखिरकार क्यों? क्या वह एक महिला हैं इसलिए? क्या आपके हिसाब से उनमें राजनीतिक समझ नहीं? यही नहीं उनका उनका मजाक भी उठाया गया। अरे भाई क्यों? खैर यह एक अच्छी बात रही कि बहुत लोग राजनीति से ऊपर उठकर उनके सपोर्ट में भी बात किए।
शॉट 6- साथियों इन्हीं विचारों के साथ मैं लेती हूं विदा, अगली बार फिर आउंगी एक नए मुद्दे के साथ। अगर ये चर्चा पसन्द आई हो तो अपने दोस्तों के साथ शेयर करें। लाइक और कमेंट करें। अगर आप हमारे चैनल पर नए हैं तो चैनल को सब्सक्राइब जरूर करें। बेल आइकॉन दबाना बिल्कुल न भूलें ताकि सबसे पहले हर वीडियो का नोटिफिकेशन आप तक सबसे पहले पहुंचे। अभी के लिए बस इतना ही, सबको नमस्कार!
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