समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने आरोप लगाते हुए कहा, “रामचरितमानस के आपत्तिजनक अंश जो ‘जाति’, ‘वर्ण’ और ‘वर्ग’ के आधार पर अपमान करते हैं,उन पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए”।
रामचरितमानस के कुछ अंश जाति के आधार पर समाज के एक बड़े वर्ग का “अपमान” करते हैं और इन पर “प्रतिबंध” लगाया जाना चाहिए – रविवार, 22 जनवरी को समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने आरोप लगाते हुए यह बात कही।
सपा नेता द्वारा रामचरितमानस के ऊपर दिए इस बयान के बाद पार्टी व मौर्य पर कई सवाल खड़े किये जा रहे हैं। सपा पार्टी ने यह बात साफ़ कर दी है कि वह मौर्य के विचार का समर्थन नहीं करती। यह उनके अपने विचार है। इस बयान के बाद से धर्म व जाति पर कई राजनीतिक आरोप भी देखने को मिल रहे हैं।
रिपोर्ट्स के अनुसार, यूपी की बीजेपी सरकार चाहती है कि सपा नेता माफ़ी मांगे और अपने कहे बयान को वापस लें।
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रामचरितमानस विवादित टिप्पणी पर भाजपा नेता ने उठाया सवाल
रामचरितमानस पर स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान पर बीजेपी नेता अपर्णा यादव ने कहा, “अपने चरित्र का उदाहरण दे रहे हैं स्वामी प्रसाद मौर्य..उन्होनें रामचरित मानस को पढ़ा ही नहीं”।
रामचरितमानस पर स्वामी प्रसाद मौर्या के बयान पर बोलीं BJP नेता अपर्णा यादव,
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रामचरितमानस को लेकर मौर्य का बयान
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, स्वामी प्रसाद मौर्य जोकि ओबीसी के एक प्रमुख नेता माने जाते हैं उन्होंने कहा, “धर्म मानवता के कल्याण और उसे मजबूत करने के लिए है।”
“अगर रामचरितमानस की कुछ पंक्तियों की वजह से जाति, वर्ण और वर्ग के आधार पर समाज के किसी वर्ग का अपमान होता है, तो वह निश्चय ही ‘धर्म’ नहीं, ‘अधर्म’ है। कुछ पंक्तियाँ हैं जिनमें ‘तेली’ और ‘कुम्हार’ जैसी जातियों के नामों का उल्लेख है,” उन्होंने कहा।
मौर्य ने दावा करते हुए कहा कि “इन जातियों से संबंध रखने वाले लाखों लोगों की भावनाओं को चोट पहुंची है।” उन्होंने रामायण के लोकप्रिय संस्करण रामचरितमानस पर अपनी टिप्पणी में कहा, “इसी तरह, एक ‘चौपाई’ (कविता) कहती है कि महिलाओं को दंडित किया जाना चाहिए। यह महिलाओं की भावनाओं को चोट पहुंचाने के बराबर है, जो आबादी का आधा हिस्सा हैं” – जोकि रामचरितमानस में कवि तुलसीदास द्वारा लिखी गयी है।
“अगर तुलसीदास की रामचरितमानस पर बहस करना एक अपमान है … तो धार्मिक नेता एससी, एसटी, ओबीसी और महिलाओं के अपमान के बारे में चिंतित क्यों नहीं हैं। क्या एससी, एसटी, ओबीसी और (बड़ी संख्या में) महिलाएं हिंदू नहीं हैं?”
उन्होंने मांग की कि “रामचरितमानस के आपत्तिजनक अंश जो ‘जाति’, ‘वर्ण’ और ‘वर्ग’ के आधार पर अपमान करते हैं,उन पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए”।
बयान उनकी व्यक्तिगत टिप्पणी है – सपा प्रवक्ता
बता दें, इस महीने की शुरुआत में बिहार के शिक्षा मंत्री और आरजेडी नेता चंद्रशेखर एक विवाद में आ गए थे जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि रामचरितमानस के कुछ छंद सामाजिक भेदभाव को बढ़ावा देते हैं।
मौर्य की टिप्पणी पर सपा प्रवक्ता फखरुल हसन ने कहा, “समाजवादी पार्टी सभी धर्मों और परंपराओं का सम्मान करती है।”
आगे कहा, “स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा दिया गया बयान उनकी व्यक्तिगत टिप्पणी है, और इसका सपा से कोई लेना-देना नहीं है। सपा युवाओं, बेरोजगारों और महिलाओं के लिए आवाज उठाती है।”
मौर्य के खिलाफ हो कार्यवाही – बीजेपी चीफ
यूपी के बीजेपी चीफ भूपेंद्र सिंह चौधरी ने मौर्य पर निशाना साधते हुए कहा, “इस तरह के बयान सिर्फ एक ‘विक्षिप्त’ (मानसिक रूप से परेशान व्यक्ति) द्वारा दिए जा सकते हैं। सपा को यह तय करना है कि बयान स्वामी प्रसाद मौर्य का है या पार्टी का।”
चौधरी ने कहा, “उन्हें अपना बयान वापस लेना चाहिए और अगर वह ऐसा नहीं करते हैं तो सपा को उनके खिलाफ कार्यवाही करनी चाहिए।”
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