हमारे देश में सदियों से एक रीति चली आ रही है, कि जैसे ही किसी लड़की की शादी हो जाए उसे अपने सुहाग की निशानियों को पहन के रहना होता है। चूड़ी, बिंदी, गहने, लाली-लिपस्टिक यह सभी चीज़ें पहनना हर सुहागन के लिए ज़रूरी हो जाता है।
और भई अगर गलती से वो ऐसा न करें तो? तो फिर सुनिए समाज के ताने, पति की लंबी उम्र की दुहाइयाँ और न जाने कितने तरह के अपशगुन। पर समाज ने महिलाओं को तो इस सोलह श्रृंगार की बेड़ियों में जकड़ दिया लेकिन पुरुषों का क्या? पत्नियों की लंबी उम्र का क्या?
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अब भई जितना हक़ पति को अच्छी सेहत और लंबी उम्र पाने का है, उतना ही हक़ इन चीज़ों पर पत्नियों का भी तो बनता है। तो फिर पुरुष क्यों नहीं करते ऐसा साज-श्रृंगार? महिलाओं को तो सिन्दूर से लेकर मंगलसूत्र तक पहनने के लिए ज़बरदस्ती बोला जाता है, जिससे उनपर शादीशुदा होने का ठप्पा लग जाए। लेकिन पुरुषों का क्या? उनको भी तो ठप्पा लगाओ भाई। वो क्यों बिना शादी के ठप्पे या सर्टिफिकेट के खुले घूमें और महिलाओं को ज़िन्दगी भर इस ठप्पे के साथ बहार निकलना पड़े?
आज इन्हीं कुछ सवालों के साथ नाज़नी लेकर आ रही हैं बोलेंगे बुलवाएंगे, हंस कर सब कह जायेंगे शो! जहाँ वो कुछ महिलाओं और पुरुषों से बात करेंगी और जानेंगी इस मानसिकता के पीछे का कारण।