विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में ब्राह्मण विरोधी नारे लिखने वालों को शनिवार को ‘‘कायर वामपंथी” करार दिया। कहा कि इस तरह की गतिविधियां विश्वविद्यालय परिसरों में ‘शांति एवं समरसता’ में खलल डालने में कभी सफल नहीं होगी।
वीरवार, 1 दिसंबर को जेएनयू परिसर में स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज भवन की कई दीवारों पर ब्राह्मण विरोधी के नारे लिखे पाए गए थे। नारों में लिखा था, “ब्राह्मणस्य कैंपस छोड़ो, यहां खून होगा”, “ब्रह्मिन भारत छोड़ो” और “ब्रह्मिणो-बनिया, हम तुम्हारे लिए आ रहे हैं! हम बदला लेंगे’, ‘शाखा वापस जाओ’ इत्यादि चीज़ें जेएनयू की दीवारों पर लिखी पायी गयी।
इस घटना के बाद विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने एक बयान ज़ारी करते हुए इस घटना की निंदा की और परिसर को रूप बिगाड़ने के लिए ‘अज्ञात तत्वों’ को ज़िम्मेदार ठहराया। इसके साथ ही घटना के जांच के आदेश दे दिए गए हैं। हालांकि, अभी तक इस मामले को लेकर किसी का भी नाम सामने नहीं आया है।
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विहिप ने नारे लिखने वालों को कहा ‘कायर वामपंथी’
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में ब्राह्मण विरोधी नारे लिखने वालों को शनिवार, 3 दिसम्बर को ‘‘कायर वामपंथी” करार दिया। कहा कि इस तरह की गतिविधियां विश्वविद्यालय परिसरों में ‘शांति एवं समरसता’ में खलल डालने में कभी सफल नहीं होगी। विश्वविद्यालय ने ‘राष्ट्रवाद और समरसता’ का विचार अपनाया है, जिसे इस तरह के नारों से कमज़ोर नहीं किया जा सकता।
घटना को लेकर विहिप कार्यकारी अध्यक्ष ने ज़ारी किया बयान
विश्व हिंदू परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने एक वीडियो के ज़रिये मामले को लेकर अपना बयान दिया। उन्होंने वीडियो में कहा कि वह इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि जेएनयू प्रशासन और दिल्ली पुलिस इस घटना की जांच करेगी व उन लोगों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करेगी।
जेएनयू परिसर में हुई घटना की तस्वीरें काफी तेज़ी से सोशल मीडिया पर भी वायरल हुई। विहिप के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने नारे लिखने वाले लोगों की आलोचना करते हुए कहा, “जेएनयू एक अजीब दुनिया है। कुछ कायर वामपंथियों ने रात के अंधेरे में ब्राह्मण भारत छोड़ो के नारे लिख दिये।”
आगे कहा ‘‘और इसके बाद ये बहादुर लड़के सहायक प्राध्यापक परवेश (कुमार) चौधरी के आवास तक गये जो ब्राह्मण नहीं, बल्कि एक दलित हैं और उन्हें वापस जाने को कहते हुए उनके आवास के बाहर एक नारा लिख दिया।” उन्होंने आरोप लगाया कि प्रोफेसर चौधरी को इसलिए निशाना बनाया गया क्योंकि वह विहिप के राष्ट्रीय प्रवक्ता है और दलित होने के बावजूद हिंदुत्व का मुखर समर्थन करते हैं।”
अपनी बात को जोड़ते हुए आगे कहा, ‘‘टुकड़े-टुकड़े गिरोह के लिए अभिव्यक्ति की आजादी का समर्थन करने वाले लोग दूसरों के प्रति काफी असिहष्णु हैं। मैं उनसे कह देना चाहता हूं कि जेएनयू ने अब राष्ट्रवाद और समरसता अपना ली है।”
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वैचारिक मतभेदों से माहौल नहीं खराब होना चाहिए
जेएनयू परिसर में जिन शिक्षकों के दरवाज़ों पर नारे लिखे गए, उनमें से एक अध्यापक प्रवेश कुमार ने कहा कि वैचारिक मतभेदों के कारण विश्वविद्यालय का माहौल खराब नहीं होना चाहिए और हिंसा का माहौल नहीं बनाना चाहिए।
कुमार ने आगे कहा कि ये सभी शिक्षक या तो सीधे तौर पर आरएसएस ( RSS ) से जुड़े हुए हैं या उससे सहानुभूति रखते हैं। “मैं आरएसएस से जुड़ा हुआ हूँ। मैं विहिप का राष्ट्रिय प्रवक्ता भी हूँ……… यही वामपंथियों के साथ समस्या भी है। वे सोचते हैं कि वे जो कहते हैं वही सही है……2014 से पहले जाति आधारित राजनीति बहुत ज़्यादा प्रचलित थी लेकिन उसके बाद हिंदुत्व की राजनीति सामने आई जिसने सभी विभिन्न समूहों को हिंदू पाले में समेट लिया।”
जेएनयू हमेशा से ही देश का ध्यान आकर्षित करता आया है। कैंपस में जो भी चीज़ें गठित होती है, उसे देश भर में फैलने में देर नहीं लगती। कैम्पस में पिछले कई सालों में राष्ट्रविरोधी नारों की घटनाएं सुनी गयी और इस बार ब्राह्मण विरोधी नारे की घटना सामने आयी है। पुलिस व विश्वविद्यालय मामले की जांच में जुटी है लेकिन अभी तक किसी भी आरोपी को इस मामले में नहीं पकड़ा गया है। इसके साथ ही यह भी देखा गया कि मामले को लेकर दिल्ली के सीएम की तरफ से कोई भी बयान या टिप्पणी नहीं की गयी है।
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