खबर लहरिया जासूस या जर्नलिस्ट कब तक सरकारी योजनाएं चढ़ती रहेंगी घोटालों की भेंट? जासूस या जनर्लिस्ट

कब तक सरकारी योजनाएं चढ़ती रहेंगी घोटालों की भेंट? जासूस या जनर्लिस्ट

दोस्तों हर बारी मैं अपने शो में हत्या और बलात्कार जैसे मामलों पर चर्चा करती हूं। लेकिन इस बार मैं चर्चा करने वाली हूं प्रधानमंत्री शहरी आवास घोटाले के ऊपर जिसमें सरकारी धन का बहुत ज्यादा बंदरबांट किया गया है और यह भी एक टाइम का ही मामला है तो बने रहिए इस पूरे वीडियो को देखने के लिए मेरे साथ जासूस या जनरलिस्ट पर।

दोस्तों मामला महोबा जिले का है जहां पर हमारी कबरेज के दौरान जासूसी के तहत मिली जानकारी में पता चला की वर्ष 2016 से 21 के बीच तैनात रहे सहायक परियोजना अधिकारियों व प्राइवेट संस्था के कर्मचारियों ने लाभार्थियों को योजना का लाभ दिलाने के नाम पर सरकारी धन के दुरपियोग का एक बडा खेल खेला है| जिसकी जांच डूडा के प्रभारी परियोजना अधिकारी व डिप्टी कलेक्टर द्वारा की गई जांच में घोटाला पाया गया। जिसके बाद डिप्टी कलेक्टर नेम परियोजना के सहायक अधिकारी सहित 11 लोगों के ऊपर FIR महोबा कोतवाली में दर्ज कराई गई| जासूसी के दौरान यह भी पता चला की प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ दिलाने के नाम पर कर्मचारियों द्वारा 93 लाभार्थियों के खाते में आवास की निर्धारित राशि से दुगना भेजा गया है| जिससे एक करोड़ 53 लाख 35 हजार का वित्तीय दुरुपयोग कर रहे थे लोगों के खातों में डाला गया है।

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डोडा विभाग अधिकारी से जब हमने इस मामले में बात की तो उन्होंने कहा कि जो पैसा गवन हुआ था उसमें एक करोड़ ₹800000 वसूला जा चुका है और 70 लोगों को नोटिस जारी की गई है अगर वह वसूली नहीं होती तो दोबारा नोटिस जारी होगी| इसके बाद भी अगर नहीं होता तो एसडीएम के जरिए आरसी जारी कराई जाएगी| यह कब तक होगी वह यह नहीं बता सकते और इसके बाद भी अगर नहीं कुछ होता तो आगे का जो भी मामला है वह कोतवाली से होगा।

जब मैंने इस मामले में महोबा कोतवाली ऐसो से जानकारी ली तो उन्होंने बताया कि विवेचना चल रही है जब तक पूरे साथ डॉक्यूमेंट इकट्ठा नहीं हो जाते तब तक विवेचना चलेगी अभी कुछ साक्ष्य मिले हैं कुछ लोगों का पैसा भी जमा हो गया है वह डॉक्यूमेंट भी अलग करने होंगे और जिन लोगों का नहीं जमा हुआ उन लोगों का अलग करना होगा अब यह इतना ज्यादा गबन का मामला है करोड़ों रुपए का तो उसमें समय तो लगेगा ही।

अब सवाल यह उठता है कि यह सरकारी धन के दुरुपयोग और घोटाले का कोई पहला मामला नहीं है लेकिन ज्यादातर घोटालों के मामले में लीपापोती कर दी जाती है अगर मैं बात करूं महोबा जिले की ही तो इसके पहले भी आवास घोटाले के मामले सामने आए हैं और इस मामले को लेकर कुछ लाभार्थी तो कोर्ट पर भी गए हैं अब देखना यह है कि यह जो इतना बड़ा खुलासा हुआ है घोटाले का क्या पूरी तरह से इसका निपटारा हो पाता है या इसमें भी कुछ लीपापोती होगी तो यह थी मेरी आज की जासूसी भरी कहानी अगली बार फिर मिलूंगी किसी ने मुद्दे के साथ तब तक के लिए दीजिए इजाजत नमस्कार।

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