खबर लहरिया आओ थोड़ा फिल्मी हो जाए गाँव की सच्ची तस्वीर देखिये पंचायत में | आओ थोड़ा फिल्मी हो जाये

गाँव की सच्ची तस्वीर देखिये पंचायत में | आओ थोड़ा फिल्मी हो जाये

गाँव की सच्ची तस्वीर देखिये पंचायत में | आओ थोड़ा फिल्मी हो जाये :गाँव की सच्ची तस्वीर देखिये पंचायत में हैल्लो दोस्तों मैं हूँ लक्ष्मी शर्मा। दोस्तों हमारी फिल्मों ने अलग ही तरह के गांव दिखाना शुरू कर दिए थे। ये या तो ‘वासेपुर’ जैसे थे या ‘स्वदेस’ जैसे। पूरी फिल्मी दुनिया ही उन गांवों का जिक्र करने में लगी थी जिसका गाँव से कोई लेना देना नहीं था. लेकिन पंचायत आपको एक सच्चे ग्रामीण भारत के दर्शन करता है. जिसे देख कर आप को लगेगा ये आपके ही गाँव की कहानी है. जी हाँ आज हम बात करने वाले है अमेज़न पर रिलीज़ हुई वेव सीरीज़ पंचायत की. तो चलिए थोड़ा फ़िल्मी हो जाते हैं. कहानी उत्तर परदेश के बलिया जिले की है. जितेंद्र कुमार नीना गुप्ता, रघुवीर यादव जैसे ऐक्टर द्वारा अभिनीत ये कहानी एक शहरी और महत्व कांक्षी लड़के अभिषेक यानी जितेंद्र के एक गाँव में पंचायत सचिव की पोस्टिंग से शुरू होती है. हाथ में कोई और काम न होने कारण अभिषेक ने सोचा घर बैठने से तो अच्छा है नौकरी ही कर ले. अभिषेक का दोस्त प्रतीक भी उसे ये ही सलाह देता है. तो अभिषेक सामान बांध कर बस से निकल पड़ता है फुलेरा गांव , जहां उसकी नौकरी लगी है. बस फिर क्या जैसे ही वो फुलेरा में कदम रखता है मुश्किलें पलकें बिछाए उसका इंतजार कर रही होती हैं. ग्राम पंचायत की प्रधान होती तो मंजू देवी यानी नीना गुप्ता हैं, लेकिन उनके पति प्रधानपति बनकर सारा काम खुद ही देखते हैं. इन्हीं के अंदर रहकर अभिषेक को काम करना होता है. अब अभिषेक गांव पहुंच तो जाता है लेकिन वहां उसका मन नहीं लगता. उसका दोस्त उसे CAT के एग्जाम की तैयारी के लिए कहता है और बोलता है कि अगर अच्छी नौकरी चाहिए तो MBA करो. इसी ताने बाने के साथ एपिसोड आगे बढ़ती है। इस सीरीज़ में कुल 8 एपिसोड है जो एक दूसरे से जुड़े हुए है. अगर हम एक सार में देखे तो ‘हम निराश होते हैं और मेहनत करने से डरते हैं. लेकिन हमें कोशिश करते रहना चाहिए. क्योंकि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती’ बात तो बहुत छोटी सी है लेकिन मतलब बहुत उलझा है. ऐसी बातें हम दिन में पता नहीं कितनी बार सुनते हैं और एक पल के लिए सोचते हैं कि अब से पीछे नहीं हटेंगे, लेकिन अगले ही पल हम फिर वही पुराने ढर्रे पर चल पड़ते हैं. जिंदगी में तो मुश्किलें आती-जाती रहती हैं मगर इतनी आसानी से उम्मीद का दामन छोड़ देंगे तो आगे बढ़ ही नहीं पाएंगे. ऐसा ही कुछ मैसेज इस वेव सीरीज़ बाकी आप इसे खुद देख कर समझ सकते है.इतनी ईमानदारी से इसे फिल्माया गया है कि आप निर्देशक दीपक कुमार मिश्रा के फैन हो जाते हैं। । हमारी तरफ से इसे मिलते है 3 . 5 स्टार। आपको ये वेव सीरीज़ कैसी लगी हमें कमेंट कर के जरूर बातये अगर वीडियो पसंद आई हो तो लाइक और दोस्तों के साथ सेयर जरूर करे तो मिलते है अगले एपिसोड में तब तक के लिए नस्कार