शादी समाज का एक अहम हिस्सा है। समाज में लड़की-लड़के को एक साथ रहना है तो उसे शादी के बंधन में बंधना ही होगा। तभी जोड़े के रूप में वो समाज में खुल कर जी सकते हैं।
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हिन्दू धर्म में बहुत रस्में होती हैं जैसे जयमाल, फेरे और बहुत सी रस्मो में एक रस्म है कन्या दान की। रस्म जो हर मां बाप अपना फ़र्ज़ कर्त्तव्य समझते हैं, लेकिन ये मेरे दिमाग में यह रस्म खटकती थी। कन्या दान क्यों? बेटी क्या बाजार से लाई हुई चीज़ है जो गिफ्ट कर दिया? दान कर दिया?
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मां के पेट से ही बेटी जन्म लेती है बेटा भी लेकिन, बेटी को दान में दे देते हैं। बेटों को घर में रहना है ये बात सब कहते हैं लेकिन बेटी को घर में नहीं बैठा सकते। इस रिवाज से दूरिया बन गई है।
जब हम कोई समान खरीदते हैं तो उस चीज़ की कीमत अदा करते हैं और वो चीज़ अपनी हो जाती है। एक तरह से लड़की वाले लड़के की पूरी कीमत चुकाते हैं। फिर इस हिसाब से लड़की वाले के यहां लड़कों को रहना चाहिए?
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