कोरोना वायरस की वजह से सभी विद्यालयों को बंद कर दिया गया है लेकिन अब 1 जुलाई से उत्तर प्रदेश के सभी प्राथमिक विद्यालय खुलने जा रहे हैं। हालांकि, अभी सिर्फ शिक्षकों और प्रधानाध्यापकों को ही स्कूल आना होगा। छात्रों के लिए 1 जुलाई से स्कूल शुरू नहीं होंगे। बेसिक शिक्षा महानिदेशक विजय किरन आनंद द्वारा इस संबंध में आदेश जारी कर दिया गया है।
बताया गया है कि स्कूलों में बच्चे नहीं आएँगे लेकिन शिक्षकों को विद्यालय संबंधित कार्य निपटाने के लिए आना होगा। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार बेसिक शिक्षा महानिदेशक विजय किरन आनंद ने बताया कि शिक्षकों को शारदा अभियान के अंतर्गत 6 से 14 साल तक के बच्चों को स्कूलों में नामांकन करवाना है। इसके अलावा शिक्षकों को दीक्षा ऐप के जरिये अपनी ट्रेनिंग पूरी करनी है। शिक्षकों को छात्रों तक किताबें पहुंचाना और उनके युनिफ़ॉर्म बनवाने जैसे जरूरी काम भी करवाना हैं। उन्होंने कहा कि यदि कोई शिक्षक विद्यालय में नहीं पहुँचता है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।
हालांकि विद्यालय को खोलने के लिए सबसे बड़ी समस्या ये है कि अधिकतर विद्यालयों को कोरन्टाइन सेंटर बनाया गया है. काेरोना संक्रमण और संक्रमितों की बढ़ती संख्या को देखते हुए इन्हें खाली करना संभव नहीं है।
आपको बता दें की केंद्र सरकार ने राज्यों से विद्यालय को खोलने को लेकर 9 राज्यों से रिपोर्ट मांगी है. जिसमे मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ समेत ज्यादातर राज्य जुलाई में स्कूलों को खोलने को तैयार नहीं हैं।
मध्य प्रदेश के लोक शिक्षण आयुक्त जयश्री कियावत ने बताया कि राज्य में अभी स्कूल खोलने को लेकर कोई निर्णय नहीं लिया गया है। इसके अलावा, बोर्ड की ओर से जारी निर्देशों का आंकलन कर एक आदर्श गाइड लाइन तैयार की जाएगी। इस पर काम किया जा रहा है.
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने स्पष्ट किया है कि दूरवर्ती इलाकों में जहां इंटरनेट कनेक्टिविटी और संक्रमण नहीं है, वहां सामाजिक दूरी का पालन करते हुए स्कूलों को खोला जा सकता है। राज्य में ऑनलाइन शिक्षा व्यवस्था को विकसित और मजबूत करने की जरूरत है। जिन स्थानों पर स्कूलों को खोलने में समस्या है, वहां ऑनलाइन शिक्षा के विकल्प का इस्तेमाल किया जा सकता है।
बिहार में जून के हालात की समीक्षा के बाद स्कूल, कॉलेज और कोचिंग आदि खोलने का फैसला होगा। स्कूल खोलने के लिए 10 बिंदुओं पर शिक्षा विभाग ने जिलों से रिपोर्ट मांगी है। इसके लिए जिला शिक्षा अधिकारी को विद्यालय प्रबंधन समितियों के सदस्यों और अभिभावकों से विमर्श कर रिपोर्ट देना है।
हालांकि ज्यादातर अभिभावक विद्यालय खोलने के पक्ष में नहीं है खास कर जिनके बच्चे प्राइमरी में पढ़ते है.