अजयगढ़ में महिलाओं व छात्राओं को माहवारी के समय आने वाली समस्याओं से मुक्ति दिलाने के लिए अजयगढ़ तहसील के पुराने बस स्टैंड ज्ञानी जैन के सामने स्त्री स्वाभिमान योजना के तहत सेनेटरी पैड मशीन लगाईं गई है l जो महिलाएं बेरोजगार थी उनको रोजगार देने के लिए शासन की ओर से यह मशीन लगाईं गई हैl ताकि महिलाएं जागरूक हो सकें और कपड़े की जगह सैनेटरी पैड का इस्तेमाल करें l
भारत सहित कई ऐसे देश हैं जहां की महिलाएं माहवारी से जुड़ी तमाम तरह की परेशानियों का सामना करती हैं। उन्हें नहीं पता कि इस दौरान शरीर को कितनी सफाई और स्वच्छता की ज़रूरत होती है। कई ऐसे गांव भी हैं जहां आज भी महिलाओं को सैनिटरी नैपकिन उप्लब्ध नहीं हैं। और उन्हें मजबूरन कपड़ा इस्तेमाल करना पड़ता हैl जिससे उनके स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है l
नेशनल फ़ैमिली हेल्थ सर्वे (2015-16) की रिपोर्ट के मुताबिक ग्रामीण इलाकों में 48.5 प्रतिशत महिलाएं सैनिटरी नैपकिन का इस्तेमाल करती हैं जबकि शहरों में 77.5 प्रतिशत महिलाएं. कुल मिलाकर देखा जाए तो 57.6 प्रतिशत महिलाएं इनका इस्तेमाल करती हैंl सैनेटरी पैड मशीन लगने से अब महिलाओं में जागरूकता बढ़ेगी और स्वच्छता का विशेष ध्यान भी रखा जायेगाl
सैनेटरी पैड बनाने वाली नसीमा ने बताया कि पैड बनाने के बाद बैक्टीरिया मारने वाली एक मशीन यहाँ उपलब्ध है उसमे रखा जाएगा, जिससे पैड में बैक्टीरिया न हो और न ही कोई साइड इफेक्ट न हो l उसके बाद 30 रूपये में वितरण किया जायेगाl महिलाएं चाहे तो यहाँ से खरीद सकती हैं या फिर बाजार के दुकानों पर उपलब्ध होगा वहां से खरीद सकती हैंl
नसीमा ने यह भी बताया की जिन महिलाओं को उनके बारे में जानकारी नहीं है उन को जागरूक करना है और माहवारी में इसको यूज़ करने की सलाह देना है ताकि इंफेक्शन से बचाया जा सके और इसमें एक और बात अवगत कराई जाएगी की यह जो पैड हैं इनको एक अलग तरीके से बनाया गया है जिससे कि इनका प्रयोग करने के बाद प्रकार का नुकसान ना हो |
जैसे कि यूज़ पैड को कचरे में फेंकने से कभी-कभी जानवर भी इनको खा लेती थी तो गाय को भी काफी नुकसान होता है और यहां वहां डालने से भी सैनेटरी पैड गल नहीं पाते थे लेकिन यह पैड कुछ दिन में गल जायेगाl |
सैनेटरी पैड मशीन की इंचार्ज राबिया ने बताया कि यूज़ पैड को कचरे में फेंकने से कभी-कभी जानवर भी इनको खा लेती थी तो गाय को भी काफी नुकसान होता है और यहां वहां डालने से भी सैनेटरी पैड गल नहीं पाते थे लेकिन यह पैड कुछ दिन में गल जायेगा |
जिनका प्रयोग खाद बनाने में भी हो सकता है इसी के कारण इनको इस प्रकार बनाया गया कि इनका यूज होने के बाद भी प्रयोग किया जा सके, और लोगों में जागरूकता फैलाई जा सकेl पैड बनाने वाली लड़कियां और महिलाएं भी काम कर रही हैं यह काम सिर्फ महिलाओं के लिए ही चुना गया है क्योंकि एक महिला ही दूसरी महिला से खुलकर बात कर सकती है और अच्छा सजेशन दे सकती है और जागरूक कर सकती है l
आज भी गाँव में ज्यादातर महिलाएं सैनेटरी पैड की जगह कपड़े का इस्तेमाल करती हैं और पूछने पर शर्म के मारे बताती भी नहींl यह भी देखा जाता है की गांव से मार्केट दूर होता है तो महिलाएं जा नहीं पाती या घर में भाई पिता से न बता पाने से भी कपड़े का इस्तेमाल करना पड़ता हैl पर अब यहाँ मशीन लगने से पास में मिलेगा तो लड़कियां हिचकिचाएंगी नहीं और स्वस्थ्य भी रहेगी |
– ललिता