नमस्कार दोस्तों, द कविता शो के इस एपीसोड में आपका स्वागत है। कहते हैं जल जंगल और जमीन ही इंसान के जीवन यापन का मुख्य साधन है। लेकिन लगातार कयी सालों से इनका दोहन हो रहा है। पिछले बार के एपीसोड की चर्चा में बहुत लोगों की मांग थी की मैं प्रकृति दोहन पर शो करू तो मैं बात करना चाहती हूं नदियों में बालू खनन और किसानो की बर्बादी पर।
वैसे तो बालू खनन अपने आप में बहुत बड़ा मुद्दा है और कई बार ये सुर्खियों में भी रहता है आप सब पढ़ते ही होगें। मीडिया लिखती रहती है बालू का अवैध खनन, ओवर लोडिंग या फिर पैसे का लेन-देन वगैरह वगैरह। मैं ज्यादा इन सबमें नहीं पड़ती हूं क्योंकि मुझे पता है कि इन तीनों कड़ियों का खेल किस जाल में होता है। खैर मेरे लिए ज़रूरी है उन आवाजों पर बात करना जिनपर बात नहीं होती है। बालू खनन के बाद जो ट्रक बालू लादकर ले जाते है उसकी वजह से खेती किसानी पर बहुत ही बुरा प्रभाव पडता है। बालू लादकर आने जाने का रास्ता खेतो से होता है जिन किसानों के खेत उस रास्ते में पडते हैं उनकी पूरी पूरी फसले बर्बाद हो रही हैं। बता दूँ की सरकार लीज सिर्फ बालू निकालने का करती हैं न की खेतो से भरे ट्रक निकलने का। और जब बालू से भरे ट्रक किसान के खेतो से निकलते है तो न सिर्फ खेत बंजर करते है बल्कि किसानों और उनके बच्चों के पेट में लात भी मारते हैं।
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ऐसा ही एक मामला हमारे सामने आया है। बांदा जिला के नरैनी ब्लाक के लहुरेटा और मानपुर गांव के कुछ किसान बहुत परेशान है मानपुर गांव के किसानों द्वारा बताया गया है कि उनके खेतों की खड़ी फसल बालू माफिया ने रौंद दी है और उनके खेतों में बड़े-बड़े गड्ढे कर दिए गए हैं। खेतों से जबरदस्ती बालू निकाली जा रही है। जब वह खेतों में गए मना करने के लिए तो जान से मारने की धमकी दी गई है उन्होंने कई बार शिकायत की लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई अभी इसी हप्ते हमारी रिपोर्टर ने खबर खबर की है। लोगों ने बताया कि गांव के ही जो पैसे वाले लोग हैं दबंग है वही बालू माफिया बने हुए हैं अगर लोग ज्यादा बोलते हैं तो घरों में बुलाकर उनको बंद करके मारते भी है।
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तो ऐसी बुरी स्थिति में लोग जी रहे हैं। ऐसा नहीं है की प्रशासन को पता नहीं है। लगातार लोग सिकायत करते हैं कार्यवाही की मांग करते हैं लेकिन समझ नहीं आता है की प्रसासन कार्यवाही क्यों नहीं करती है। किसानों की फसल बर्बाद क्यों करवा रहा है विभाग को क्या फायदा है लोगों को दुखी देख कर क्यों तरस नहीं आती है। महिलाएं अपनी जुबान से गालियाँ तक बता रही हैं गाँव के दबंग कैसे उनको गालिया देते हैं जान से मारने की धमी देते हैं फिर भी एक रोवा क्यों नहीं पसीज रहा है। ये सरकारी विभाग और सरकारी तन्त्र क्यों बनाये गये हैं जतना की समस्या का समाधान करने के लिए। मदद करने के लिए। लेकिन यहाँ पर तो उल्टा खेल होता है।
यूपी सरकार क्या ऐसे माफिया और अफसरों के उपर कार्यवाही करेगी। क्या उन किशानों के खेतो का मुआवजा मिलेगा जिनकी फसले माफिया बर्बाद कर रहे हैं। क्या कोई ऐसा रास्ता चुना जाएगा जहां से बालू भरे ट्रक रास्ते से निकल जाए और लोगों का नुक्सान भी न हो। तो दोस्तों आप क्या सोचते हैं इस मुद्दे पर अपनी राय और सुझाव जरुर से शामिल करें।
इस बार के शो में इतना ही अगले एपीसोड में मैं फिर मिलूंगी कुछ करारी बातों के साथ. तब तक के लिए नमस्कार।
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