खबर लहरिया ताजा खबरें सहारनपुर- पत्रकार और उसके भाई की गोली मारकर हत्या

सहारनपुर- पत्रकार और उसके भाई की गोली मारकर हत्या

उत्तर-प्रदेश के सहारनपुर जिले में 18 अगस्त को एक दैनिक जागरण के पत्रकार आशीष कुमार और उनके भाई की गोली मारकर हत्या का मामला सामने आया है इस दोहरे हत्याकांड से क्षेत्र में दहशत का माहौल है बताया जाता है कि कोतवाली क्षेत्र के गढ़ी मलूक निवासी आशीष व उसके भाई का पड़ोस के महिपाल सैनी से गोबर फेंकने को लेकर विवाद हो गया था
सुबह तकरीबन दस बजे दोनों भाइयों की गोली मारकर हत्या कर दी गई
 घायल अवस्था में अस्पताल ले जाने पर डाक्टरों ने मृत घोषित कर दिया इस दोहरे हत्याकांड का वो मंजर क्षेत्रवासी भुला नहीं पा रहे हैं घटना के बाद क्षेत्र में पुलिस बल तैनात किया गया है

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घटना से गुस्साये लोगों ने बीच सड़क पर शव रखकर घंटो जाम लगाये रखा पुलिश कड़ी मशक्कत के बाद जाम खोलवा पाई दोहरे हत्याकांड से गुस्साई भीड़ महिपाल व उसके परिवार के एनकाउंटर करने की मांग कर रही थी
हत्या के बाद यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस घटना पर शोक व्यक्त किया तथा पत्रकार और उसके भाई के परिजनों को पांच-पाच लाख रुपये की राशि प्रदान करने की घोषणा की है।

कानून व्यवस्था को लेकर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एक बार फिर योगी आदित्यनाथ सरकार पर निशाना साधा है सहारनपुर में हुई पत्रकार की हत्या मामले में अखिलेश यादव ने कहा कि यूपी पहले उत्तम प्रदेश था लेकिन अब हत्या का प्रदेश बन गया है दिनदहाड़े हत्याओं का ग्राफ बढ़ता जा रहा है

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आए दिन कानून व्यवस्था दुरुस्त होने की बात करते हैंलेकिन अपराधी हर रोज कोई न कोई वारदात अंजा देकर उनके दावों को गलत सावित कर देते हैं। पत्रकारों पर हो रहे लगातार हमले चिंता का विषय बनता जा रहा है सरकार किसी भी पार्टी की भी रही हो लेकिन पत्रकारों को धमकाने, पीटने और हत्या के मामलों में कोई कमी नहीं आई है

एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार पत्रकारों पर हमले के 2014 में 63, 2015 में और 2016 में मामले दर्ज हैं. जबकि, 2014 में सिर्फ लोग, 2015 में एक भी नहीं और 2016 में लोग गिरफ्तार किए गए। 2017 में आई योगी आदित्यनाथ की सरकार।उसी साल आई द इंडियन फ्रीडम रिपोर्ट के अनुसार पूरे देश में 2017 में पत्रकारों पर 46 हमले हुए। इस रिपोर्ट के अनुसार 2017 में पत्रकारों पर जितने भी हमले हुएउनमें सबसे ज्यादा 13 हमले पुलिसवालों ने किए हैं। इसके बाद, 10 हमले नेता और राजनीतिक पार्टियों के कार्यकर्ताओं और तीसरे नंबर पर हमले अज्ञात अपराधियों ने किए विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक 2019 की माने तो भारत में पत्रकारों की स्वतंत्रता और उनकी सुरक्षा दोनों ही खतरे में है