अमेरिकन मुद्रा की 1 डॉलर की कीमत अब भारतीय रुपयों में 80 रूपये हो गयी है। यह पहली बार हुआ है कि रूपये में इतनी ज़्यादा गिरवाट देखी गयी है।
भारतीय रुपया आज 19 जुलाई 2022 को 1 डॉलर के मुकाबले 80 रूपये तक पहुंच गया है। यह भारत के इतिहास में पहली बार देखने को मिल रहा है। बता दें, पिछले कुछ दिनों से रुपये में काफ़ी गिरावट देखने को मिली है।
देखा जाए तो हर देश की मुद्रा में उतार-चढ़ाव होते रहते हैं। इसका कारण हैं ‘फॉरेन एक्सचेंज’। ‘फॉरेन एक्सचेंज’ यानी जिसके अंदर सामान का लेन-देन और भ्रमण या किसी काम से अगर कोई बहार गया है तो उसमें उसको उसी देश के पैसे की ज़रूरत होती है। उदाहरण के तौर पर, कई बार व्यापार में भी इसकी ज़रूरत पड़ती है। जैसे भारत को कुछ अनाज और तेल जैसे प्रदार्थ की ज़रूरत है और इलेक्ट्रॉनिक्स के सामान भी भारत में अमेरिका से ही आते हैं। ऐसे में जो भी सामान अमेरिका से भारत आता है, उसके उतने पैसे उन्हें देने पड़ते हैं तो यह पैसे उन्हें उस देश की मुद्रा में ही दिए जाते हैं।
जिस मुद्रा की मांग ज़्यादा होगी, उसकी क़ीमत भी अधिक रहेगी। विश्व का बड़ा हिस्सा अपना व्यापार अमेरिकी मुद्रा यानि ‘डॉलर’ में ही करता है इसलिए मुद्रा बाज़ार (मनी मार्केट) में डॉलर की मांग हमेशा बनी रहती है।
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मनी मार्केट क्या है?
मनी मार्केट यानि पैसों का बाज़ार। अगर इसे समझा जाए तो मुद्रा बाजार (मनी मार्केट) एक गतिशील बाज़ार है जिसमें अल्पकालीन (कम समय) प्रतिभूतियों (वह धन या कागज़ात जो जमानतदार द्वारा किसी की जमानत के रूप में जमा किया जाता है) का लेन-देन किया जाता है। अपनी अल्पकालीन वित्तीय ज़रूरत के लिए व्यक्ति, फर्म, कम्पनी, निगम, सरकार, संस्थाएँ, कृषक सभी मुद्रा बाज़ार पर निर्भर होते हैं ।
दिसंबर 2014 के बाद से 25% तक गिरा रुपया
सोमवार, 18 जुलाई 2022 को लोकसभा में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक लिखित जवाब में आरबीआई (RBI) द्वारा निकाले आंकड़ों को बताते हुए कहा था कि रुपया 31 दिसंबर, 2014 के रेट के मुकाबले 25 फीसदी तक गिर गया है। 31 दिसंबर, 2014 को डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत 63.33 थी, जो कि 11 जुलाई, 2022 को 79.41 रुपये प्रति डॉलर दर्ज की गई है। यह 25 फीसदी तक की गिरावट है।
मुद्रा में गिरावट का कारण
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि यूएस डॉलर ( US Dollar) के मुकाबले भारतीय रुपये में आई गिरावट के पीछे कई वैश्विक तथ्य हैं। जैसे :-
-रूस-यूक्रेन की लड़ाई
-कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें
-दबाव में चल रही वैश्विक आर्थिक परिस्थितियां
वहीं सबसे बड़ा कारण अर्थव्यवस्था में गिरावट है। देश में महंगाई आसमान छू रही हैं। दिन पर दिन चीज़ों के दाम बढ़ते जा रहे हैं। पेट्रोल की बढ़ती कीमतें रुकने का नाम नहीं ले रहीं। इसके साथ ही रोज़मर्रा के इस्तेमाल में आने वाले अन्य पदार्थों के दाम में भी बढ़ोतरी देखने को मिली है।
इसके आलावा मुद्रा में गिरावट की एक और वजह है सप्लाई में कमी। कई देशों में युद्ध के चलते पदार्थों की सप्लाई में कमी आई है जिसके चलते महंगाई बढ़ी है।
करीबन दो हफ़्ते पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था, “रिज़र्व बैंक की रुपये पर नज़र हैं। सरकार एक्सजेंच रेट को लेकर लगातार भारतीय रिज़र्व बैंक के संपर्क में हैं।” इस बीच अमेरिकन मुद्रा वैश्विक बाज़ार में अपनी जड़े जमाने के साथ-साथ और भी शक्तिशाली होती जा रही है। ऐसे में रूपये की घटती कीमतें भारत जैसे विकाशशील देश की अर्थव्यवस्था को लेकर बड़ा सवाल खड़ा करती है।
इस आर्टिकल को आमरा आमिर द्वारा लिखा गया है।
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