हाल ही में सुप्रीम कोर्ट का आदेश आया है कि महिलाएं अपनी मर्ज़ी से गर्भपात करा सकती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला महिलाओं के हक़ और उनकी स्वतंत्रता के लिए लिया है। जब इस मुद्दे पर महिलाओं से बात की तो कुछ महिलाओं का मानना था की ये फैसला ठीक भी है लेकिन कुछ महिलाओं का कहना है कि यह फैसला ठीक नहीं भी है। जो महिलाएं रेप पीड़ित हैं और उनको गर्भ रह गया है और पता नहीं चला, बाद में पता चलता है कि वो गर्भ से हैं और वो नहीं चाहती बच्चा रखना। और वो गर्भपात कराना चाहती हैं तो उस समय उनको बहुत दिक्कत आती है।
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सरकारी डाक्टर बिना कानूनी कार्यवाही के गर्भपात करते नहीं हैं। ऐसे में प्राईवेट अस्पतालों के डाक्टरों को मनमानी पैसा वसूल करने का मौका मिलता था। यहां ऐसी महिलाओं को फायदा हो सकता है बिना डाक्टर की सलाह के दवा मेडिकल से लेकर या घरेलू उपचार करने से कई बार लड़कियों की जान को खतरा हो जाता है।
जो महिलाएं बच्चा नहीं चाहतीं और वो चाहतीं हैं गर्भपात कराना लेकिन परिवार का दबाव है उन्हें बच्चा पैदा ही करना है, ऐसी महिलाएं अब खुलकर अपने हक़ के लिए लड़ सकती हैं।
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला महिलाओं को उनके अधिकारों से और करीब लेकर आता है। हालांकि, मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट में अभी भी महिलाओं के अधिकारों को देखते हुए काफ़ी संसोधन होना बाकी है जिसमें मैरिटल रेप शामिल है जिसे रेप की परिभाषा में जल्द ही शामिल करने की बात कही गयी है।
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